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(IFS) भारतीय विदेश सेवा
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(IFS) भारतीय विदेश सेवा क्या है ? इतिहास, कार्य, प्रशिक्षण सहित पूरी जानकारी हिंदी में

आईएफएस का पूरा नाम इंडियन फॉरेन सर्विस है|

भारतीय विदेश सेवा मंत्रालय को चलाने के लिए एक विशेष सेवा का निर्माण किया गया जिसे भारतीय विदेश सेवा अर्थार्त इंडियन फॉरेन सर्विस कहते है.

यह सेवा भारतीय केंद्र सरकार का ही हिस्सा है| भारत के विदेश सचिव इस सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते है| गठन 1946 में किया गया था.

सामान्य नागरिक अपनी शिक्षा और काबिलियत के दम पर इस सेवा का सदस्य बन सकता है| विदेश सेवा के लिए चुनाव एक विशेष परीक्षा द्वारा किया जाता है ये परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित कराई जाती है.

चुनाव हो जाने के बाद सिलेक्टेड कैंडिडेट को विशेष प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है जो की कई भागो में पूरा किया जाता है| इस प्रशिक्षण में विदेश भाषा की शिक्षा, व्यापार की शिक्षा, राष्ट्रमंडल के विदेश सेवा अधिकारी प्रशिक्षण केंद्र में डेढ़ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है.

इसके बाद ही विदेश दूतावास में नियुक्ति होती है| भारतीय प्रशासनिक सेवा में यह सेवा दूसरे स्थान पर आती है| इस सेवा में प्रत्येक वर्ष 10 – 20 रिक्तिया ही होती है.

इन्हे लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण में संस्थान में प्रशिक्षण देने के बाद विदेश मंत्रालय से सम्बन्ध करा दिया जाता है इसके बाद सिलेक्शन ग्रेड आईएफएस अधिकारियो की नियुक्ति छोटे देशो में की जाती है.

इसके बाद Super Time Scale में देश में उच्चायुक्त पदों पर नियुक्ति मिलती है| वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियो को बड़े देशो जैसे रूस, इंग्लैंड, अमेरिका के राजदूत पदों पर नियुक्त किया जाता है.

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इतिहास – History of Indian Foreign Service in Hindi

ईस्ट इंडिआ कम्पनी के निदेशक मंडल ने कोलकाता के फोर्ट विलियम में एक ऐसा विभाग बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जो वारेन हेस्टिंग्स प्रशासन पर इसके द्वारा गोपनीय एव राजनीतिक कारोबार के संचालन में दबाव को कम करने में मदद कर सके.

इसकी स्थापना कम्पनी द्वारा ही की गयी थी फिर भी भारतीय विदेश विभाग ने विदेशी योरोपीय शक्तियों के साथ कारोबार किया.

भारत के गवर्नर जनरल एडवर्ड लॉ, एलेनबरो के पहले अर्ल ने सरकार के सचिवालय के चार विभागों – विदेश, ग्रह, वित्त और सैन्य विभाग में व्यवस्थित कर प्रशासनिक सुधारो को अंजाम दिया.

इनमे प्रत्येक अध्यक्षता एक सचिव स्तर अधिकारी द्वारा की गयी थी|

भारत सरकार की बहारी गतिविधियों को संचालित करने के लिए एक राजनयिक सेवा का गठन किया गया| सरकार का कहना है की विदेश में एक ऐसी प्रतिनिधित्व प्रणाली त्यार करना अनिवार्य है जो भावी सरकार के उद्देश्यों के साथ पूर्ण सामंजस्य बिठा सके.

भारत की आजादी से ठीक पहले ही सरकार ने विदेश में भारत के कूटनीतिक, दूतावास संबंधित और प्रतिनिधित्व के लिए भारतीय विदेश सेवा की स्थपना की|

कार्य – भारतीय विदेश सेवा

सिविल सेवाओं की जिममेदारी भारत के प्रशासन को कुशलपूर्वक और प्रभावी ढंग से चलाने की है| यह माना जाता है की भारत एक विशाल देश है और भारत के प्रशासन को आर्थिक और प्राकृतिक रूप से और मानव संसाधन के कुशल प्रबंधन की आवश्यकता है.

सिविल सेवा के सदस्य राज्य सरकार और केंद्र सरकार के प्रशासन के रूप में प्रशासन को चलाते है.

मंत्रालय के निर्देश अनुसार शासन की व्यवस्था को व्यवस्थित करते है| नीतियों के तहत देश को प्रबंधित रखते है| सर्वोच्च रैंकिंग सिविल सेवक भारत के मंत्रिमंडल सचिवालय का प्रमुख होता है.

जिसे कैबिनेट सचिव भी कहते है वह भारत सिविल सेवा बोर्ड का अध्यक्ष होता है भारतीय प्रशासनिक सेवा का अध्यक्ष भारतीय सरकार के व्यापर नियम के तहत सभी नागरिक सेवाओं का अध्यक्ष होता है .

भारतीय विदेश सेवा की चयन प्रक्रिया

संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के तहत नियुक्त भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियो के पहले समूह ने सेवा में योगदान दिया.

इस परीक्षा को आज भी IFS अधिकारी चयन के लिए प्रयोग किया जाता है|

सिविल सेवा परीक्षा का उपयोग कई भारतीय प्रशासनिक सेवा के चयन के लिए किया जाता है यह परीक्षा तीन चरणों में पूर्ण होती है.

प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा तथा अंत में साक्षात्कार और यह अत्यंत चुनौती पूर्ण है| चयन प्रकिर्या लगभग बारह महीने की होती है हाल के वर्षो में प्रति वर्ष 20 व्यक्तियों को इस सेवा के लिए चुना जाता है.

भारतीय विदेश सेवा का प्रशिक्षण

भारतीय विदेश सेवा के लिए नए सदस्यों को बहुत अधिक कठिन प्रशिक्षण से गुजरना होता है| इस सेवा के लिए प्रशिक्षण लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में दिया जाता है.

जहाँ पर कई सिविल सेवा संगठनों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाता है| लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नई दिल्ली में स्तिथ विदेश सेवा संसथान में हिस्सा लिया जाता है फिर वही से भारत और विदेश भर्मण के लिए बेजा जाता है.

प्रशिक्षण ख़तम होने के बाद अधिकारी को अनिवार्य रूप से एक विदेशी भाषा सीखनी होती है फिर इसके बाद विदेश मंत्रालय द्वारा अधिकारी को एक मिशन पर भेज दिया जाता हैं.

संघ लोक सेवा आयोग – Indian Foreign Service Information

आप सभी जानते है की upsc यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन प्रशासनिक सेवा के लिए एग्जाम कंडक्ट कराती है|

दोस्तों आईएएस, आईएफएस, आईपीएस ये सभी सिविल सेवा यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा ही कराई जाती है और इन परीक्षा के लिए सिलेबस भी एक ही है.

हमने अपनी पिछली पोस्ट में आईएएस एग्जाम के सिलेबस के बारे में बताया था सिलेबस आप नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है.

इन तीनो सेवा के लिए आपको संघ लोक सेवा आयोग अर्थार्त सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी ही करनी होगी और इनमे से किसी भी परीक्षा के लिए कोई अलग रूल नहीं है.

तीनो के लिए एक ही रूल है सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में पूरी होती है|

  1. प्रारंभिक परीक्षा
  2. मुख्य परीक्षा
  3. साक्षात्कार

जिसका सिलेबस हमने आपको बताया ही हुआ है और सिविल सेवा परीक्षा में आप 21 वर्ष के बाद ही बेठ सकते है इसके लिए आपको किसी भी सब्जेक्ट से ग्रेजुएट होना अनिवार्य है| यदि आप ग्रेजुएशन लास्ट ईयर में है तब भी आप इस एग्जाम में बैठने के लिए समर्थ है.

अनुछेद 315 के तहत

अनुछेद 315 के अधीन प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग होगा|

दो या दो से अधिक राज्य यह करार कर सकेंगे की राज्य के उस समूह के लिए एक ही लोक सेवा आयोग होगा और यदि इसका संकल्प राज्यों में से प्रत्येक राज्य के विधान मंडल के सदन द्वारा या जहाँ भी दो सदन हो वह प्रत्येक सदन द्वारा पारित कर दिया जाता है.

भारतीय विदेश सेवा का यह लेख यही समाप्त होता है| मुझे उम्मीद है की आपको यहाँ पर दी गयी जानकारी पसंद आई होगी| अगर आपको अभी भी कुछ पूछना है तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हो और इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हो.

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