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मेरे प्यारे कृष्ण भक्तों, आज के इस लेख के माध्यम से मैं आपके साथ Lord Krishna Images and Wallpaper के साथ – साथ उनके जीवन के बारे में भी कुछ बात बताऊंगा.

तो चलिये, बिना किसी भी बात की देरी किए, शुरू करते हैं और सबसे पहले मैं आपको यह बता दूँ कि इस लेख में हम प्रभु श्री कृष्ण के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु के बारे में शॉर्ट में जानेंगे.

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इस लेख में आपको भगवान कृष्ण की कौन-कौन सी तस्वीर डाउनलोड करने को मिलेगी ?

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श्री कृष्ण का जीवन परिचय हिंदी में – Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

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यह तो आप सभी जानते हैं कि प्रभु श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब उनकी माता और पिता जी मथुरा के कारावास में थे तब उनका जन्म हुआ था.

चलिए मैं शॉर्ट में बताता हूँ कि श्री कृष्ण के माता पिता कारावास में क्यों थे?

एक बार देवकी (प्रभु कृष्ण की माँ) के भाई कंश ने एक पंडित जी को अपनी कुंडली दिखाई तो वहाँ से उसे यह ज्ञात हुआ कि उसका अंत उसके बहन के आठवे बेटे के हाथ होगा.

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इस बात का जब कंश को ज्ञात हुआ तो उसने अपनी बहन और बहनोई को कारावास में डाल दिया और जब भी उनकी बहन को बच्चा होता तो वो उसे मार डालता.

लेकिन जब देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र ने रात्रि में 12 बजे जन्म लिया तो स्वम ही सारे कारावास के दरवाजे खुल गए और फिर वसुदेव ने अपने उस संतान को मथुरा से उठा कर गोकुल में यशोदा और नन्द के घर में उनके बच्चे के जगह पर रख आए और उनकी बेटी को अपने कारावास में ले आए.

यशोदा और नन्द ने कृष्ण को अपना बच्चा समझ लिया और उसका पालन पोषण किया और इसी वजह से वो दोनों कृष्ण जी के पालक माता पिता कहलाएँ.

श्रीमद भागवत पुराण के वर्णन के अनुसार कृष्ण जब बाल्यावस्था में थे तब नन्दबाबा के घर आचार्य गर्गाचार्य द्वारा उनका नामकरण संस्कार हुआ और तभी उनका नाम कृष्ण रखा गया.

“कृष्ण” मूलतः एक संस्कृत शब्द है, जो “काला” “अंधेरा” या “गहरा नीला” का समानार्थी है| “अंधकार” शब्द से इसका संबंध ढलते चंद्रमा के समय को कृष्ण पक्ष कहे जाने में भी स्पष्ट झलकता है.

इस नाम का अनुवाद कहीं-कहीं “अति-आकर्षक” के रूप में भी किया गया है| लेकिन कृष्ण नाम के रखने से पहले से वो वासुदेव के पुत्र थे और इसी कारण से उनको वासुदेव नाम से भी जाना जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण के नाम – Krishna Names in Hindi

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“कृष्ण” नाम के अतिरिक्त भी कृष्ण भगवान को कई अन्य नामों से जाना जाता रहा है, जो उनकी कई विशेषताओं को दर्शाते हैं जैसे कि-

  1. मोहन
  2. गोविन्द
  3. माधव
  4. गोपाल कन्हैया
  5. श्याम
  6. केशव
  7. द्वारकाधीश प्रमुख हैं|

अगर इनके नाम की लिस्ट आपके सामने प्रस्तुत करू तो भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम हैं.

नन्द पेशे से दूध का काम किया करते थे जिस वजह से अक्सर कृष्ण को मक्खन खाने को मिल जाता था और जब कभी नहीं मिलता तो वो अपने आस पड़ोस के घरों में जा कर के चोरी से मटका तोड़ कर माखन खा लिया करते थे जिस वजह से उनका नाम माखन चोर भी रखा गया.

वो बचपन से ही बहुत शैतान किसम के बालक थे, लेकिन फिर भी उनकी बाते सभी का दिन मोह लिया करती थी.

बाल्यावस्था में ही उन्होंने बड़े – बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए असम्भव थे.

जैसे कि उन्होंने मथुरा में मामा कंस का वध किया, सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसा लिया इसके अलावा और भी कई कार्य किए.

दोस्तों यदि आप डिटेल में प्रभु श्री कृष्ण के समकालीन के बारे में जानना चाहते हैं तो मैं आपको बता दूँ कि महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है आप चाहे तो वो पढ़ सकते हैं.

महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है.

हर इंसान को अपनी जिन्दगी में श्रीमद्भगवद्गीता को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए.

श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई (श्री कृष्ण वध)

124 वर्षों के जीवन काल के बाद उन्होंने अपनी लीला को समाप्त कर दिया.

उन्होंने अपने राज पाठ तो छोर दूर किसी जंगल में चले गए जहाँ एक दिन वो एक पेड़ का सहारा लिए लेटे हुए और एक इंसान ने उन्हे पीछे से देख उनके पैर पर तीर चला दिया जिससे उनकी मृत्यु हो गई और फिर उन्होंने अपने शरीर को त्याग दिया और हमेशा के लिए अमर हो गए.

ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई उसके बाद ही कलियुग का आरंभ हो गया था.

कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं और आज भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ इस उत्सव को मनाते हैं.

अधिक जानकारी के लिए आप भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व और उनके जीवन से जुडी कुछ जरूरी बाते पढ़ सकते हो.

जरूर पढ़े : Shri Krishna Janmashtami Puja Vidhi (कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि)

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भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में जाना जाता है और वे सत्य, सफलता, प्रेम और आध्यात्मिकता के अवतार हैं जो सभी दुखों और पापों को नष्ट कर सकते हैं।

कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र हैं लेकिन उन्हें गोकुल लाया गया था। कृष्ण को चरवाहों के साथ खेलना पसंद है और वह राधा के लिए बांसुरी बजाते है।

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विष्णु के आठवें और सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्री कृष्ण की सर्वश्रेष्ठ और सुंदर तस्वीरें।

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नीचे आपको भगवान श्री कृष्ण की प्यारी बचपन की तस्वीरें डाउनलोड करने को मिलेगी जो बहुत सुंदर है।

प्रिय भक्तों, इस लेख में मैंने आपको Lord Krishna Images For WhatsApp DP and Facebook, Krishna Janmastmi Wallpapers, and Radha Krhishna ki Picutres, Childhood Photos of Lord Krishna अपलोड करी है। इन सभी तस्वीर को डाउनलोड करें और शेयर करें, कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।

भगवान श्रीकृष्ण के बारे में 8 रहस्यमई बातें

👉 1. लोगों के अनुसार श्रीकृष्ण का रंग काला या फिर नीला था परंतु ऐसा नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग ना तो काला था ना हीं नीला था। दरअसल उनकी त्वचा का जो रंग था उसे मेघ श्यामल कहते है जिसे अंग्रेजी में क्लाउड श्यामल कहा जाता है। यह रंग नीला रंग, काला रंग और सफेद रंग का मिक्सचर होता है।

👉 2. प्रचलित जनश्रुति के अंतर्गत देखा जाए तो श्री कृष्ण भगवान की बॉडी में से एक अलग ही प्रकार की गंध निकलती रहती थी, जिसका इस्तेमाल वह अपने छुपे हुए अभियानों को छुपाने के लिए करते थे। श्री कृष्ण के अलावा यह खूबी द्रोपदी में भी पाई जाती थी। द्रोपदी की बॉडी में से जो सुगंध निकलती थी, वह काफी आकर्षित थी। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण की बॉडी मे से जो सुगंध निकलती थी, वह कुछ कुछ गोपीकाचंदन और रात रानी की सुगंध से मिलती जुलती थी।

👉 3. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की बॉडी ठीक उसी प्रकार की थी, जिस प्रकार लड़कियों की बॉडी होती है अर्थात नरम परंतु जब भगवान श्री कृष्ण युद्ध करने के लिए जाते थे या फिर जब वह युद्ध के मैदान में होते थे, तब उनकी बॉडी बहुत ही कठोर हो जाती थी और इसके पीछे कारण यह था कि भगवान श्रीकृष्ण योग और कलारीपट्टू विद्या में काफी पारंगत थे। इसका मतलब यह है कि भगवान श्रीकृष्ण के अंदर यह कला थी कि वह जब चाहे तब अपनी बॉडी को परिस्थिति के हिसाब से ढाल लेते थे। श्री कृष्ण के अलावा यह गुण द्रौपदी और कर्ण में भी उपलब्ध था।

👉 4. जैसा कि आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और इनका बचपन बरसाना, नंदगांव, वृंदावन और गोकुल जैसी जगह में बीता हुआ था। इन्होंने रहने के लिए द्वारका का चयन किया था और सोमनाथ के पास मौजूद प्रभास के इलाके में इन्होंने अपनी बॉडी का त्याग किया था। दरअसल भगवान श्री कृष्ण अपने कुल का नाश होते देख कर के काफी ज्यादा व्यथित हो गए थे और तभी से वह प्रभास क्षेत्र मे रहने लगे थे।

एक दिन किसी शिकारी ने हिरण समझकर के भगवान श्री कृष्ण को तीर मार दिया था जो उनके पैरों में लगा और उसके तुरंत बाद ही शरीर छोड़ने का निर्णय लिया। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब शरीर छोड़ा तब ना तो उनकी बॉडी पर कोई बाल था ना ही उनकी बॉडी पर किसी भी प्रकार की झुरिया पड़ी थी। यानी कि वह 119 साल की उम्र में भी बिल्कुल जवान जैसे दिखते थे।

👉 5. भगवान श्री कृष्ण की द्वारका गुजरात राज्य में स्थित है, जो कि समुद्र के तट पर मौजूद है और यहीं पर इन्होंने अपने पूर्वजों की जमीन पर एक बहुत ही विशाल घर का निर्माण करवाया था। कुछ विद्वानों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने जीवन के अंतिम सालों को छोड़कर के कभी भी द्वारका में 6 महीने से ज्यादा नहीं रह सके थे।

👉 6. सभी लोग यही जानते है कि श्री कृष्ण की 16000 पटरानियां थी परंतु हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्री कृष्ण की सिर्फ 8 पत्नी थी और जो श्री कृष्ण की 16000 पटरानियां थी वह सभी भौमासुर के यहां पर बंधक बनाई गई महिला थी और इन्हें आजाद भगवान श्री कृष्ण ने ही किया था। इनमें से कुछ महिलाएं किसी की पत्नी थी, किसी की मां थी और किसी की बहन थी, जिनका अपहरण भौमासुर ने किया था जिसे की नरकासुर भी कहा जाता है। नरकासुर माता भूदेवी और पिता वराह का पुत्र था।

👉 7. जगन्नाथ धाम पुरी के बारे में आप सभी जानते ही होंगे। यह एक बहुत ही पवित्र स्थल है और इसकी गिनती चारों धाम में होती है। भगवान श्री कृष्ण का दिल जगन्नाथ धाम पुरी को ही कहा जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ के मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण के दिल का एक पिंड रखा हुआ है। इस पिंड में स्वयं ब्रह्मा जी विराजमान है।

👉 8. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो त्रेता युग में श्री कृष्ण भगवान ने ही राम भगवान के तौर पर अवतार लिया था और उन्होंने छिपकर के तीर मारकर के वानर वीर बाली की हत्या कर दी थी और जब भगवान श्री कृष्ण का युग आया तब उन्होंने बाली को जरा नाम का बहेलिया बनाया था और इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने अंतिम समय में वैसी ही मृत्यु का चुनाव किया जैसी मृत्यु उन्होंने त्रेता युग में भगवान राम बनकर के वानर वीर बाली को दी थी।

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