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Shirdi Sai Baba Images

Shirdi Sai Baba Images, Story and Chalisa

Sai Baba Images : आज के इस लेख में मैं आपके साथ साईं बाबा, जिन्हें हम शिरडी के सांई बाबा के नाम से भी जानते है उनके बारे में बताने जा रहा हूँ, साथ ही यहाँ आपको Sai Baba HD Images and Sai Baba HD Photos का कलेक्शन भी मिलेगा.

वैसे तो साईं बाबा एक गुरु थे, लेकिन उनके भक्त उन्हे एक संत, एक फकीर, एक सतगुरु और भगवान शिव के अवतार के रूप में भी माना करते थे। हालाँकि ऐसा हम सिर्फ बोलते हैं.

भगवान एक हैं लेकिन असल में तो हम सभी अपने – अपने धर्म के अनुसार अपने ईश्वर को मानते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं.

दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि साई बाबा ईश्वर का एक रूप हैं जिन्हे हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग पूजते हैं। यहाँ तक कि साई बाबा के जीवनकाल के बाद आज भी उन्हे सम्मानित और याद किया जाता है।

चलिए अब एक नज़र हम शिरडी के साईं बाबा का इतिहास पर डालते हैं और इसके बाद मैं आपके साथ इनके जीवन में बीती कुछ सच्ची घटनाओं के बारे में भी बताऊँगा जो कि आज के समय में कहानी का रूप लिए हैं.

Sathya Sai Baba History in Hindi

Saibaba Images HD Download
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साईं बाबा का जन्म कब हुआ और कहाँ?

साईं बाबा की जीवनी : साईं बाबा एक ब्राह्मण जोड़े अर्थात ब्राह्मण परिवार में पथरी नामक एक गाँव में हुआ था। लेकिन यदि आप साईं बाबा के जन्म की तारीख के बारे में जानने चाहते हैं तो साईं बाबा का जन्म 28 September 1838 में हुआ था.

साईं बाबा का जन्म कब हुआ था?
जन्मतिथि 28 सितम्बर, 1838

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Biography of Sai Baba in Hindi

जन्म के कुछ समय पश्चात उनके माता-पिता ने उन्हें एक फकीर को सौंप दिया था, और इस बात के बारे में साईं बाबा ने खुद अपने आखिरी दिनों में बताया था।

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16 वर्ष की उम्र में पहली बार साईं बाबा महाराष्ट्र के शिरडी गांव आये थे, अर्थात जैसा आज हम बोलते हैं कि शिरडी वाले साईं बाबा तो ऐसा बिलकुल नहीं है कि वो वहाँ के रहने वाले थे.

शिरडी में उन्होंने एक पेड़ के नीचे बिना भोजन और बिना पानी के बैठ कर गहरा ध्यान करना आरम्भ कर दिया और यह देख वहाँ के लोग बहुत आश्चर्यचकित हुये.

कुछ समय पश्चात वहाँ के सभी लोगों को इस युवा बाबा पर बहुत आस्था होने लगी, और फिर कुछ इस तरह Sai Baba Shirdi में ही बस गए.

जैसा कि मैंने आपको बताया कि साई बाबा एक गुरु थे तो चलिये अब मैं आपको बताता हूँ कि उनकी शिक्षाएं क्या बोलती थी अर्थात किस बात पर उनका ज्यादा ध्यान था-

  1. प्यार
  2. माफी
  3. दूसरों की मदद
  4. दान
  5. संतुष्टि
  6. आंतरिक शांति के अलावा भगवान और गुरु की भक्ति के नैतिक संहिता पर ध्यान केंद्रित करना।

इसके साथ ही साईं बाबा ने धर्म या जाति के आधार पर भेद करने वालो की निंदा की।

ऐसा तो आप भी आज देखते हैं कि साई बाबा की आस्था हिन्दू एवं इस्लाम दोनों धर्म के लोग करते हैं और इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके शिक्षण में हिंदू धर्म और इस्लाम के संयुक्त तत्व शामिल है.

साई बाबा ने हिंदू और मुस्लिम दोनों अनुष्ठानों का अभ्यास किया, एवं दोनों परंपराओं से प्रेरित शब्दों और आंकड़ों का उपयोग करके उन्होंने लोगों को ज्ञान बांटा।

साई बाबा अक्षर ज्ञान बांटने के दौरान कहा करते थे, अल्लाह मालिक है (भगवान राजा है) और हम सबका मालिक एक है।

आज के समय में वे साईं बाबा के नाम से जाने जाते हैं, जहाँ “साईं” शब्द मुसलमानों द्वारा पिता के लिए पवित्र माना जाता है वही “बाबा” हिन्दुओं के लिये पवित्र शब्द माना जाता है.

साई बाबा के भक्त अक्सर कहते हैं कि शिरडी वाले साईं बाबा ने उन्हें भगवान राम, श्री कृष्ण इत्यादि के रूप में कई बार दर्शन दिये हैं एवं वो उनके सपने में आते है और उन्हें सलाह दे जाते थे कि क्या सही है और क्या गलत है.

तो दोस्तों, यह था शिरडी साईं बाबा का इतिहास और शिरडी साईं बाबा का जीवन परिचय।

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आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं साईं बाबा पर बनी कुछ फिल्में के बारे में-

Shirdi Ke Sai Baba Movies

भूतकाल के कुछ वर्षों में किए गए सर्वे के अनुसार यह देखा गया है कि लोगों को किताब पढ़ने से ज्यादा अच्छा फिल्म देखना लगता है और यही वजह है कि साईं बाबा को लेकर बॉलीवुड में कई फिल्में बनाई गई है.

दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि इन फिल्मों का मुख्य उद्देश्य केवल पैसे कमाना नहीं हैं बल्कि लोगों को उनके बारे में बताना है ताकि फिल्म देख कर Sai Baba of Shirdi की ओर उनके भक्तों की आस्था और श्रद्धा बढ़े.

यदि आपने बॉलीवुड में बनी साई बाबा पर बनी फिल्म देखी है तो यकीनन ही आपको ज्ञात होगा कि उनमें से कुछ Film Shirdi Ke Sai Baba के जीवन के इतिहास चित्रित की गई है.

अब मैं आपको साईं बाबा पर चित्रित कुछ ऐसी फिल्मों के नाम बताने जा रहा हूँ जिसके द्वारा उनके जीवन में किये गये चमत्कार, साईं बाबा के जीवन, इतिहास को स्पष्ट रूप से दिखाती है.

  • नोट – साई बाबा पर बनी फिल्में कई भाषा में बनी है तो यदि आप चाहे तो इंटरनेट के माध्यम से इन फिल्मों को किसी भी भाषा में डाउनलोड कर के देख सकते हैं।
साईं बाबा की फिल्म का नाम भाषा
शिरडी चे साईं बाबा मराठी
शिरडी के साईं बाबा हिंदी
श्री शिरडी साईंबाबा महतयाम तेलुगू
भगवान श्री साईं बाबा कन्नड़
साईं बाबा मराठी
श्री साईं महिमा तेलुगू
शिरडी साईं बाबा हिंदी
ईश्वर अवतार साईं बाबा हिंदी
सबका मलिक एक हिंदी
शिरडी साईं तेलुगू
  1. Shirdi Che Shree Saibaba – Marathi film 1955. SHRI SAIBABA OF SHIRDI marati movie taken in 1955 by KUMARSEN SAMARTH Director.
  2. Shirdi Ke Sai Baba Full Movie 1977 (Hindi).
  3. Sri Shirdi Sai Baba Mahatyam Full Movie || Vijayachander, Chandra Mohan, Anjali Devi (Telugu).
  4. Full Kannada Movie 1993 | Bhagwan Sri Saibaba | Sai Prakash, Sudharani, Shashi Kumar.
  5. Shirdi Saibaba | Full Marathi Movie | Aushim Khetarpal | Sudhir Dalvi.
  6. Sri Sai Mahima | Full Length Telugu Movie | Sai Prakash, Murali Mohan.
  7. Hindi Devotional Movie Shirdi Sai Baba (2001) Bollywood Devotional Movie.
  8. Shri Sai Baba Ka Adbhut Avatar.
  9. This Film is dedicated to all Sai devotees and based on the book ”MASHIDHITH PRAKATALA PARMESHWAR” by the original writer Shri. Raghunath S. Junnarkar and The edited version by ”Saibandhu Vijay Hajare”
  10. Sri Shirdi Saibaba Mahathyam (1986) (Telugu Movie), Cast : Vijayachander, Chandra Mohan, J. V. Somayajulu, Anjali Devi, Director : K. Vasu

यदि आपने इनमें से कोई भी फिल्म देख रखा है तो नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको कौन सी फिल्म अच्छी लगी और क्यों?

अब मैं आपके साथ साईं बाबा के जीवन में की गई कुछ चमत्कार जो कि एक दम सत्य घटना है उसके बारे में चमत्कारी कहानी को शेयर करने जा रहा हूँ, जिसे आप अपने बच्चों, छोटे भाई बहन या दोस्तों को सुना सकते हैं.

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यहां साईं बाबा की वास्तविक जीवन तस्वीरों का संग्रह है:

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1. Sai Baba Stories in Hindi

साईं बाबा के चमत्कार की कहानी : जैसा कि आप जानते हैं कि साईं बाबा जाती और धर्म के विरोध थे और वो सबको एक मानते थे इसलिए वो रोज़ मंदिर और मस्जिद में दिया जलाते थे.

अब जैसा कि आप जानते हैं कि दिया जलाने के लिए तेल की आवश्यकता होती है और साई बाबा दीया जलाने के लिए तेल एक बनिये से मांगते थे.

एक दिन बनियों ने चिढ़ के मारे क्योंकि बाबा तेल लेने के बदले ना तो उस बनिये को कोई मुद्रा या कोई समान देते थे और वो एक फकीर थे इस वजह से वो उनसे मांग भी नहीं सकता था इसलिए उसने बाबा से कह दिया बाबा उसके पास तेल नहीं है.

बाबा थोड़े गंभीर स्वभाव के थे और इसी वजह से तब बाबा ने बनिया को बिना कुछ कहे वहां से चुपचाप चले गये। मंदिर जाकर उन्होंने दिये में तेल की जगह पानी डाला और दिया जला दिया.

हैरानी कि बात यह है कि दिया भी जल पड़ा और फिर यह बात चारों तरफ आग की तरह फैल गई.

जब बनिया को इसके बारे में पता चला तो वो साई बाबा के पास जाकर माफी मांगने लगा और फिर बाबा ने उन्हें माफ़ कर दिया और उनसे कहा कि अब कभी झूठ मत बोलना.

आपको साई बाबा की यह कहानी कैसी लगी नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बताना मत भूलिएगा…

2. Sai Baba Story in Hindi

धीरे – धीरे बाबा के द्वारा किए गए चमत्कार के बारे में दूर – दूर तक बातें फैल गई और फिर दूर – दूर से उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई भक्त शिरडी आने लगे.

एकबार बाबा के पास उनका एक भक्त बहुत दूर से अपनी पत्नी को लेकर बाबा के दर्शन के लिये आया था, दर्शन होने के उपरांत जब वह वापिस जाने लगा तो जोरों से बारिश होने लगी.

उनका भक्त और उनकी पत्नी बारिश को देख परेशान होने लगे और तब बाबा ने उनकी परेशानी को देखकर कहा – हे अल्लाह बारिश को रोक दो मेरे बच्चों को घर जाना है और फिर बाबा के द्वारा एक चमत्कार हुआ कि उनके बोलते ही अर्थात तत्काल ही बारिश रुक गई.

आपको साईं बाबा की कहानी कैसी लगी नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताना मत भूलिएगा…

3. Sai Baba Ki Sachi Kahani

एक बार की बात है किसी गाँव के एक व्यक्ति की एक बेटी अचानक खेलते – खेलते वहां के कुएं में गिर गई.

वहाँ के लोगों को लगा कि वो बच्ची कुएँ में डूब रही है और फिर सब लोग वहां दौड़कर गये और देखा कि वह लड़की गिरी नहीं है बल्कि लटकी हुई है.

अब सवाल यह है कि वो लड़की किस चीज का सहारा लेकर लटकी तो दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि वो कोई अदृश्य है जो उसे पकड़े हुए है। वह और कोई नहीं बल्कि बाबा ही थे क्योंकि वह बच्ची कहती थी कि मैं बाबा की बहन हूँ।

अब लोगों को कोई ओर स्पष्टीकरण की ज़रूरत नहीं थी.

तो दोस्तों, यह थी साईं बाबा के बारे में कुछ प्रमुख कहानियाँ। आपको साईं बाबा स्टोरी कैसी लगी कमेंट करके बताइएगा जरूर.

Shri Sai Chalisa in Hindi Lyrics

Sai Chalisa

श्री सत्य साईं बाबा चालीसा

पहले साईं के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं ।
कैसे शिर्डी साईं आए, सारा हाल सुनाऊं मैं ॥1॥

कौन हैं माता, पिता कौन हैं, यह न किसी ने भी जाना ।
कहां जनम साईं ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना ॥

कोई कहे अयोध्या के ये, रामचन्द्र भगवान हैं ।
कोई कहता साईंबाबा, पवन-पुत्र हनुमान हैं ॥

कोई कहता मंगल मूर्ति, श्री गजानन हैं साईं ।
कोई कहता गोकुल-मोहन, देवकी नन्दन हैं साईं ॥

शंकर समझ भक्त कई तो, बाबा को भजते रहते ।
कोई कह अवतार दत्त का, पूजा साईं की करते ॥

कुछ भी मानो उनको तुम, पर साईं हैं सच्चे भगवान ।
बड़े दयालु, दीनबन्धु, कितनों को दिया है जीवन दान ॥

कई वर्ष पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात ।
किसी भाग्यशाली की, शिर्डी में आई थी बारात ॥

आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुन्दर ।
आया, आकर वहीं बस गया, पावन शिर्डी किया नगर ॥

कई दिनों तक रहा भटकता, भिक्षा मांगी उसने दर-दर ।
और दिखाई ऐसी लीला, जग में जो हो गई अमर ॥

जैसे-जैसे उमर बढ़ी, वैसे ही बढ़ती गई शान ।
घर-घर होने लगा नगर में, साईं बाबा का गुणगान ॥

दिग्-दिगन्त में लगा गूंजने, फिर तो साईंजी का नाम ।
दीन-दुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम ॥

बाबा के चरणों में जाकर, जो कहता मैं हूं निर्धन ।
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते दु:ख के बन्धन ॥

कभी किसी ने मांगी भिक्षा, दो बाबा मुझको सन्तान ।
एवं अस्तु तब कहकर साईं, देते थे उसको वरदान ॥

स्वयं दु:खी बाबा हो जाते, दीन-दुखी जन का लख हाल ।
अन्त: करण श्री साईं का, सागर जैसा रहा विशाल ॥

भक्त एक मद्रासी आया, घर का बहुत बड़ा धनवान ।
माल खजाना बेहद उसका, केवल नहीं रही सन्तान ॥

लगा मनाने साईं नाथ को, बाबा मुझ पर दया करो ।
झंझा से झंकृत नैया को, तुम ही मेरी पार करो ॥

कुलदीपक के अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया ।
आज भिखारी बन कर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया ॥

दे दो मुझको पुत्र दान, मैं ॠणी रहूंगा जीवन भर ।
और किसी की आस न मुझको, सिर्फ़ भरोसा है तुम पर ॥

अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर के शीश ।
तब प्रसन्न होकर बाबा ने, दिया भक्त को यह आशीष ॥

अल्लाह भला करेगा तेरा`, पुत्र जन्म हो तेरे घर ।
कृपा होगी तुम पर उसकी, और तेरे उस बालक पर ॥

अब तक नही किसी ने पाया, साईं की कृपा का पार ।
पुत्र रत्न दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार ॥

तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार ।
सांच को आंच नहीं है कोई, सदा झूठ की होती हार ॥

मैं हूं सदा सहारे उसके, सदा रहूंगा उसका दास ।
साईं जैसा प्रभु मिला है, इतनी ही कम है क्या आस ॥

मेरा भी दिन था इक ऐसा, मिलती नहीं मुझे थी रोटी ।
तन पर कपड़ा दूर रहा था, शेष रही नन्हीं सी लंगोटी ॥

सरिता सन्मुख होने पर भी मैं प्यासा का प्यासा था ।
दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर, दावाग्नि बरसाता था ॥

धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलम्ब न था ।
बना भिखारी मैं दुनिया में, दर-दर ठोकर खाता था ॥

ऐसे में इक मित्र मिला जो, परम भक्त साईं का था ।
जंजालों से मुक्त मगर इस, जगती में वह मुझ-सा था ॥

बाबा के दर्शन की खातिर, मिल दोनों ने किया विचार ।
साईं जैसे दया-मूर्ति के, दर्शन को हो गए तैयार ॥

पावन शिर्डी नगरी में जाकर, देखी मतवाली मूर्ति ।
धन्य जन्म हो गया कि हमने, जब देखी साईं की सूरति ॥

जबसे किए हैं दर्शन हमने, दु:ख सारा काफूर हो गया ।
संकट सारे मिटे और, विपदाओं का अन्त हो गया ॥

मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से ।
प्रतिबिम्बित हो उठे जगत में, हम साईं की आभा से ॥

बाबा ने सम्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में ।
इसका ही सम्बल ले मैं, हंसता जाऊंगा जीवन में ॥

साईं की लीला का मेरे, मन पर ऐसा असर हुआ ।
लगता जगती के कण-कण में, जैसे हो वह भरा हुआ ॥

“काशीराम” बाबा का भक्त, इस शिर्डी में रहता था ।
मैं साईं का साईं मेरा, वह दुनिया से कहता था ॥

सीकर स्वयं वस्त्र बेचता, ग्राम नगर बाजारों में ।
झंकृत उसकी हृद तन्त्री थी, साईं की झंकारों में ॥

स्तब्ध निशा थी, थे सोये, रजनी आंचल में चांद-सितारे ।
नहीं सूझता रहा हाथ को हाथ तिमिर के मारे ॥

वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय! हाट से “काशी” ।
विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन, आता था वह एकाकी ॥

घेर राह में खड़े हो गए, उसे कुटिल, अन्यायी ।
मारो काटो लूटो इस की ही ध्वनि पड़ी सुनाई ॥

लूट पीट कर उसे वहां से, कुटिल गये चम्पत हो ।
आघातों से ,मर्माहत हो, उसने दी संज्ञा खो ॥

बहुत देर तक पड़ा रहा वह, वहीं उसी हालत में ।
जाने कब कुछ होश हो उठा, उसको किसी पलक में ॥

अनजाने ही उसके मुंह से, निकल पड़ा था साईं ।
जिसकी प्रतिध्वनि शिर्डी में, बाबा को पड़ी सुनाई ॥

क्षुब्ध उठा हो मानस उनका, बाबा गए विकल हो ।
लगता जैसे घटना सारी, घटी उन्हीं के सम्मुख हो ॥

उन्मादी से इधर-उधर, तब बाबा लगे भटकने ।
सम्मुख चीजें जो भी आईं, उनको लगे पटकने ॥

और धधकते अंगारों में, बाबा ने अपना कर डाला ।
हुए सशंकित सभी वहां, लख ताण्डव नृत्य निराला ॥

समझ गए सब लोग कि कोई, भक्त पड़ा संकट में ।
क्षुभित खड़े थे सभी वहां पर, पड़े हुए विस्मय में ॥

उसे बचाने के ही खातिर, बाबा आज विकल हैं ।
उसकी ही पीड़ा से पीड़ित, उनका अन्त:स्थल है ॥

इतने में ही विधि ने अपनी, विचित्रता दिखलाई ।
लख कर जिसको जनता की, श्रद्धा-सरिता लहराई ॥

लेकर कर संज्ञाहीन भक्त को, गाड़ी एक वहां आई ।
सम्मुख अपने देख भक्त को, साईं की आंखें भर आईं ॥

शान्त, धीर, गम्भीर सिन्धु-सा, बाबा का अन्त:स्थल ।
आज न जाने क्यों रह-रह कर, हो जाता था चंचल ॥

आज दया की मूर्ति स्वयं था, बना हुआ उपचारी ।
और भक्त के लिए आज था, देव बना प्रतिहारी ॥51॥

आज भक्ति की विषम परीक्षा में, सफल हुआ था “काशी” ।
उसके ही दर्शन के खातिर, थे उमड़े नगर-निवासी ॥

जब भी और जहां भी कोई, भक्त पड़े संकट में ।
उसकी रक्षा करने बाबा, आते हैं पलभर में ॥

युग-युग का है सत्य यह, नहीं कोई नई कहानी ।
आपातग्रस्त भक्त जब होता, आते खुद अन्तर्यामी ॥

भेद-भाव से परे पुजारी, मानवता के थे साईं ।
जितने प्यारे हिन्दु-मुस्लिम, उतने ही थे सिक्ख ईसाई ॥

भेद-भाव मन्दिर-मस्जिद का, तोड़-फोड़ बाबा ने डाला ।
राम-रहीम सभी उनके थे, कृष्ण-करीम-अल्लाहताला ॥

घण्टे की प्रतिध्वनि से गूंजा, मस्जिद का कोना-कोना ।
मिले परस्पर हिन्दू-मुस्लिम, प्यार बढ़ा दिन-दिन दूना ॥

चमत्कार था कितना सुंदर, परिचय इस काया ने दी ।
और नीम कडुवाहट में भी, मिठास बाबा ने भर दी ॥

सबको स्नेह दिया साईं ने, सबको सन्तुल प्यार किया ।
जो कुछ जिसने भी चाहा, बाबा ने उनको वही दिया ॥

ऐसे स्नेह शील भाजन का, नाम सदा जो जपा करे ।
पर्वत जैसा दु:ख न क्यों हो, पलभर में वह दूर टरे ॥

साईं जैसा दाता हमने, अरे नहीं देखा कोई ।
जिसके केवल दर्शन से ही, सारी विपदा दूर हो गई ॥

तन में साईं, मन में साईं, साईं-साईं भजा करो ।
अपने तन की सुधि-बुधि खोकर, सुधि उसकी तुम किया करो ॥

जब तू अपनी सुधि तज, बाबा की सुधि किया करेगा ।
और रात-दिन बाबा, बाबा ही तू रटा करेगा ॥

तो बाबा को अरे! विवश हो, सुधि तेरी लेनी ही होगी ।
तेरी हर इच्छा बाबा को, पूरी ही करनी होगी ॥

जंगल-जंगल भटक न पागल, और ढूंढ़ने बाबा को ।
एक जगह केवल शिर्डी में, तू पायेगा बाबा को ॥

धन्य जगत में प्राणी है वह, जिसने बाबा को पाया ।
दु:ख में सुख में प्रहर आठ हो, साईं का ही गुण गाया ॥

गिरें संकटों के पर्वत, चाहे बिजली ही टूट पड़े ।
साईं का ले नाम सदा तुम, सम्मुख सब के रहो अड़े ॥

इस बूढ़े की करामात सुन, तुम हो जाओगे हैरान ।
दंग रह गये सुनकर जिसको, जाने कितने चतुर सुजान ॥

एक बार शिर्डी में साधू, ढ़ोंगी था कोई आया ।
भोली-भाली नगर-निवासी, जनता को था भरमाया ॥

जड़ी-बूटियां उन्हें दिखाकर, करने लगा वहां भाषण ।
कहने लगा सुनो श्रोतागण, घर मेरा है वृन्दावन ॥

औषधि मेरे पास एक है, और अजब इसमें शक्ति ।
इसके सेवन करने से ही, हो जाती दु:ख से मुक्ति ॥

अगर मुक्त होना चाहो तुम, संकट से बीमारी से ।
तो है मेरा नम्र निवेदन, हर नर से हर नारी से ॥

लो खरीद तुम इसको इसकी, सेवन विधियां हैं न्यारी ।
यद्यपि तुच्छ वस्तु है यह, गुण उसके हैं अति भारी ॥

जो है संतति हीन यहां यदि, मेरी औषधि को खायें ।
पुत्र-रत्न हो प्राप्त, अरे वह मुंह मांगा फल पायें ॥

औषधि मेरी जो न खरीदे, जीवन भर पछतायेगा ।
मुझ जैसा प्राणी शायद ही, अरे यहां आ पायेगा ॥

दुनियां दो दिन का मेला है, मौज शौक तुम भी कर लो ।
गर इससे मिलता है, सब कुछ, तुम भी इसको ले लो ॥

हैरानी बढ़ती जनता की, लख इसकी कारस्तानी ।
प्रमुदित वह भी मन ही मन था, लख लोगो की नादानी ॥

खबर सुनाने बाबा को यह, गया दौड़कर सेवक एक ।
सुनकर भृकुटि तनी और, विस्मरण हो गया सभी विवेक ॥

हुक्म दिया सेवक को, सत्वर पकड़ दुष्ट को लाओ ।
या शिर्डी की सीमा से, कपटी को दूर भगाओ ॥

मेरे रहते भोली-भाली, शिर्डी की जनता को ।
कौन नीच ऐसा जो, साहस करता है छलने को ॥

पल भर में ही ऐसे ढ़ोंगी, कपटी नीच लुटेरे को ।
महानाश के महागर्त में, पहुंचा दूं जीवन भर को ॥

तनिक मिला आभास मदारी क्रूर कुटिल अन्यायी को ।
काल नाचता है अब सिर पर, गुस्सा आया साईं को ॥

पल भर में सब खेल बन्द कर, भागा सिर पर रखकर पैर ।
सोच था मन ही मन, भगवान नहीं है अब खैर ॥

सच है साईं जैसा दानी, मिल न सकेगा जग में ।
अंश ईश का साईंबाबा, उन्हें न कुछ भी मुश्किल जग में ॥

स्नेह, शील, सौजन्य आदि का, आभूषण धारण कर ।
बढ़ता इस दुनिया में जो भी, मानव-सेवा के पथ पर ॥

वही जीत लेता है जगती के, जन-जन का अन्त:स्थल ।
उसकी एक उदासी ही जग को कर देती है विह्वल ॥

जब-जब जग में भार पाप का, बढ़ बढ़ ही जाता है ।
उसे मिटाने के ही खातिर, अवतारी ही आता है ॥

पाप और अन्याय सभी कुछ, इस जगती का हर के ।
दूर भगा देता दुनिया के, दानव को क्षण भर में ॥

स्नेह सुधा की धार बरसने, लगती है इस दुनिया में ।
गले परस्पर मिलने लगते, हैं जन-जन आपस में ॥

ऐसे ही अवतारी साईं, मृत्युलोक में आकर ।
समता का यह पाठ पढ़ाया, सबको अपना आप मिटाकर ॥

नाम द्वारका मस्जिद का, रक्खा शिर्डी में साईं ने ।
दाप, ताप, सन्ताप मिटाया, जो कुछ आया साईं ने ॥

सदा याद में मस्त राम की, बैठे रहते थे साईं ।
पहर आठ ही राम नाम का, भजते रहते थे साईं ॥

सूखी-रूखी, ताजी-बासी, चाहे या होवे पकवान ।
सदा प्यार के भूखे साईं की, खातिर थे सभी समान ॥

स्नेह और श्रद्धा से अपनी, जन जो कुछ दे जाते थे ।
बड़े चाव से उस भोजन को, बाबा पावन करते थे ॥

कभी-कभी मन बहलाने को, बाबा बाग में जाते थे ।
प्रमुदित मन निरख प्रकृति, छटा को वे होते थे ॥

रंग-बिरंगे पुष्प बाग के, मन्द-मन्द हिल-डुल करके ।
बीहड़ वीराने मन में भी, स्नेह सलिल भर जाते थे ॥

ऐसी सुमधुर बेला में भी, दु:ख आपात विपदा के मारे ।
अपने मन की व्यथा सुनाने, जन रहते बाबा को घेरे ॥

सुनकर जिनकी करूण कथा को, नयन कमल भर आते थे ।
दे विभूति हर व्यथा,शान्ति, उनके उर में भर देते थे ॥

जाने क्या अद्भुत,शक्ति, उस विभूति में होती थी ।
जो धारण करते मस्तक पर, दु:ख सारा हर लेती थी ॥

धन्य मनुज वे साक्षात् दर्शन, जो बाबा साईं के पाये ।
धन्य कमल-कर उनके जिनसे, चरण-कमल वे परसाये ॥

काश निर्भय तुमको भी, साक्षात साईं मिल जाता ।
बरसों से उजड़ा चमन अपना, फिर से आज खिल जाता ॥

गर पकड़ता मैं चरण श्री के, नहीं छोड़ता उम्रभर ।
मना लेता मैं जरूर उनको, गर रूठते साईं मुझ पर ॥

अब मैं इस लेख को यही पर समाप्त कर रहा हूँ, यदि इस लेख को लेकर आपके मन में कोई प्रश्न है तो नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से या फिर आप मेल भेज कर भी अपना प्रश्न पूछ हो.

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इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.

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