भारत की शान रॉयल एनफील्ड का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य
आज लाखो युवा की पसंदीदा बाइक रॉयल एन्फ़िएल्द है लेकिन लाखो में शायद दस को भी रॉयल एनफील्ड का इतिहास नहीं पता होगा.
दोस्तों, स्वागत है आपका आपकी अपनी साईट HimanshuGrewal.com पर, आज के इस लेख में हम रॉयल एनफील्ड का इतिहास के विषय में चर्चा करेंगे| तो आईये शुरू करते है.
यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की रॉयल एनफील्ड एक काफी बड़ा ब्रांड है, और आज के समय में हर किसी की चाहत बन चूका है.
लेकिन मै आपसे जानना चाहूँगा की क्या किसी की चाहत बनने के लिए हमे कुछ करने की ज़रुरत पड़ती है या नहीं?
मुझे पता है, की हर इन्सान का यही कहना होगा ही => ‘हाँ’ किसी की चाहत बनने के लिए बहुत मेहनत की ज़रुरत पड़ती है.
तो चलिए आइये जानते है की कितनी कड़ी मुश्कत के बाद आज रॉयल एनफील्ड का बजार में नाम छाया है.
रॉयल एनफील्ड का इतिहास
रॉयल एनफील्ड कंपनी की शुरुआत सबसे पहले एक साइकिल निर्माता कंपनी के मालिक ने भारतीय व्यापारी के साथ मिल कर की थी, उस वक़्त उस कंपनी का नाम “पैरिज साइकिल कंपनी” थी.
इस कंपनी की शुरुआत एल्बोर्ड ने अपने दोस्त डवल्यु के साथ मिल कर 1890 में की थी.
कुछ समय बाद एल्बोर्ड लन्दन गए और वहा उन्होंने एक जगह का नाम सुना एनफील्ड और इसी अधार पर उन्होंने अपनी कंपनी का नाम पैरिज साइकिल कंपनी से बदल कर एनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड रख दिया.
भारत में एनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग सन् 1949 में ही आ गई थी, लेकिन 1955 में इस कंपनी का नाम बाजार में जाना गया.
सन् 1994 में आयशर ग्रुप ने रॉयल एनफील्ड का अधिग्रहण कर लिए और फिर इसका मुख्यालय चेन्नई में स्थापित हुआ.
शुरूआती दरो में रॉयल एनफील्ड रूस की सरकार के लिए काम किया करती थी, वो रूस की सरकार को बाइक बना कर देती थी.
इस कंपनी के शुरूआती दिनों में इसको हथियार बनाने वाली कंपनी के रूप में शुरू किया गया था, और इसने बाजार में रॉयल रायफल बना के उतारा.
फिर जब रॉयल ने अपनी बुलेट को बाजार में उतारा तब इसने बुलेट को एक उपनाम दिया => तोप की तरह दिखने वाली, गोली की तरह चलने वाली || और इसका sign भी तोप की भाती ही रखा.
फिर भारत सरकार ने 1964 में बॉर्डर और पहाड़ी इलाके में रहने वाले जवानों के लिए रॉयल एनफील्ड की बुलेट को मुहैया कराया.
Story About Royal Enfield History in Hindi
रॉयल एनफील्ड कंपनी की हर मोटर साइकिल की तेल की टंकी चेन्नई के दो कलाकारों के द्वारा उनके हाथो से पेंट की जाती है.
रूस की सरकार के लिए काम करने के बाद रॉयल एनफील्ड ने आपनी बाइक ब्रिटेन में भी भेजी.
यदि ब्रिटेन से लेकर भारत तक के पूरे उत्पादन को जोड़ा जाए तो रॉयल एनफील्ड दुनिया की सबसे पुरानी मोटरसाइकिल कंपनी है जो अभी भी उत्पादन कर रही है.
बुलेट 350सीसी की सबसे लंबे समय तक चलने वाला मोटरसाइकिल का मॉडल है| सन् 1955 से इसने अपनी पकड़ बाजार में बनाई हुई है.
350सीसी की सफलता को देखते हुए रॉयल एनफील्ड ने बाजार में 400 सीसी की बुलेट भी निकाली जो की बाजार में आज भी अपना धाक जमाये बैठी है.
क्या आप जानते हैं? ⇒ भारत में रॉयल एनफील्ड ही एकमात्र सबसे पहली ऐसी कंपनी थी जिसने की 4 इंजन स्टॉक का इस्तेमाल किया|
दो चक्का वाहन में डिस्क ब्रेक डालने की शुरुआत भी रॉयल एनफील्ड ने ही की थी और दोस्तों रॉयल एनफील्ड सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुसरे देश जैसे की अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशो में भी बुलेट सप्लाई करती है.
Information About Royal Enfield in Hindi
आज भारत में बुलेट की डिमांड बढ़ चुकी है, और ताजुब की बात तो यह है की जिस देश ने इसकी शुरुआत की आज वहा बुलेट का उत्पाद बिलकुल बंद है.
रॉयल एनफील्ड जितनी दिखने और चलने में दमदार है, उतनी ही इसकी आवाज़ भी दमदार है और फिर यह अपनी आवाज के लिए जानी भी जाती है.
शुरूआती दरो में रॉयल एनफील्ड सिर्फ काले रंग में आती थी, लेकिन अब यह बाजार में कई रंगों में मिलती है.
पहले यह बुलेट सिर्फ भारत के जवानो के पास देखने को मिलती थी लेकिन अब ये भारत की युवा की पहली पसंद बंद चुकी है.
Royal Enfield Success Story in Hindi
1990 में, Enfield India ने एक डीजल से चलने वाली मोटरसाइकिल निकाली थी जिसका नाम था “Taurus”.
दुर्भाग्य से, यह मोटरसाइकिल कंपनी को ज्यादा सफलता नही दिला पाई। इसलिए 2002 में इसका उत्पादन बंद करना पड़ा.
जितनी Harley Davidson Bike पूरी दुनिया में बेची गई है उससे कही ज्यादा बाइक Royal enfield ने भारत में बेच दी है.
शुरुआती दरो में यह बुलेट ज्यादा बिकती नहीं थी, लेकिन अब सफलता इतनी मिल चुकी है की इसकी बुकिंग 6 महीने पहले डालनी पड़ती है.
1955 में भारत आई कंपनी रॉयल एनफील्ड का turning point सन् 2000 में आया, जब 26 वर्षीय सिद्धार्थ पल ने इस कंपनी के CEO के पद को सम्भाला.
जिस वक़्त सिद्धार्थ सीईओ बने थे, उस समय कंपनी बहुत ज्यादा घाटे में चल रही थी.
उन्होंने अपनी समझदारी से बुलेट के मॉडल में कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाये, और फिर से रॉयल एनफील्ड को इसकी खोई हुई पहचान लौटाई.
डिस्ट्रीब्यूटर की मदद से इसे बजार में लेजाया गया और युवाओ की चाहत से जुड़े हर एक फीचर इसमें डाला गया.
भारतीय रॉयल एनफील्ड का इतिहास हिंदी में
यह जान के आपको ताजुब होगा लेकिन यह एक सच है की ⇒ यदी सन् 2001 में किसी व्यक्ति ने 55000 की बुलेट की जगह आयशर विभाग के शेयर में इतना पैसा लगाया होता तो आज वो 8500करोड़ का मालिक होता.
दोस्तों यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की जैसे सलमान खान एक दबंग है ठीक उसी तरह से रॉयल एनफील्ड की बुलेट भी किसी दबंग से कम नहीं है.
अंत में मै बस यही कहना चाहूँगा की दोस्तों एक समय था जब रॉयल एनफील्ड कंपनी बंद होने के कगार पर थी, और आज एक समय है जब यह करोड़ो युवा की दिल का धड़कन बन चूका है.
आज हर व्यक्ति की चाहत है की उनके घर में कम से कम एक रॉयल एनफील्ड तो ज़रूर हो.
मै बस इतना बोलना चाहूँगा की मेहनत करने से कभी मत पीछे हटिये क्यूंकि क्या पता कब आपकी मेहनत रंग ले आये.
यह बात तो आप गाठ बांध लीजिये की अगर आपने सपने पुरे करने में कसर छोर दी तो शायद कोई और आपको अपने सपने पुरे करने में जोड़ देगा, ज़िन्दगी आपकी है फैसला भी आपको ही लेना है.
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Namaste Himanshu ji.
Apke Sare Post Bahut Acche Lage Mere Ko.
Maine Bhi mera blog Banaya hai Himanshu ji Kripya krke Mera MargDershan Kare Or Blog Me Jo Bhi Kamaiya hai Please Mere Ko Bataye.
इस कंपनी की शुरुआत एल्बोर्ड ने अपने दोस्त डवल्यु के साथ मिल कर 1890 में की थी.
Dadoo hai bhai
Hi I am chandan kumar .(royal enfield spare part manager ,maya manu motor’s pvt ltd begusarai bihar)
my expriens in the royal enfield is best of best bicke in all world.
Great
VERY GOOD KNOWLEDGE.THANKS.
My fav. Royal f.
Enfield born in 1893 & name change 1896
Royal Enfield & logo is “made like a gun”
1st royal Enfield in manufacturing
Tri cycle & four cycle 1898
Next update 1901 minewa engine 150cc(hp) it’s 1st carborater bike in world
Why do u know history of Enfield