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Basant Panchami Kab Hai

बसंत पंचमी 2022 कब है, कविता, महत्व, विवाह मुहूर्त

नमस्कार प्रिय पाठकों, 10Lines.com में आपका स्वागत हैं। आज हम बात करेंगे बसंत पंचमी पर और जानेंगे बसंत पंचमी से जुड़ी हर एक बात जैसे की बसंत पंचमी कब है (Basant Panchami Kab Hai), 2022 में सरस्वती पूजा कब है (2022 Mein Saraswati Puja Kab Hai), बसंत पंचमी 2022 विवाह मुहूर्त, बसंत पंचमी पर कविता, बसंत पंचमी का महत्व इत्यादि। तो लेख को अंत तक पूरा पढ़ें।

Basant Panchami Kab Hai 2022

जैसा की सभी को पता है कि 2022 में बसंत पंचमी इस बार 5 फरवरी शनिवार वाले दिन पढ़ रही हैं। 2022 में फरवरी महीने की ये बसंत पंचमी पिछले सारे दुख तकलीफों और परेशानियों से छुटकारा भी दिलाएगी और समस्याओं से निकलने का मार्ग भी दिखाएगी। अब वो कैसे?, जानते है हमारे इस पोस्ट में!

Basant Panchami 2022 Kab Hai

Basant Panchami 2022 Date in India Calendar Saturday, 5 February
Basant Panchami 2023 Date in India Calendar
Thursday, 26 January
Basant Panchami 2024 Date in India Calendar Wednesday, 14 February

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व

ज्ञान की देवी मां सरस्वती जी का जन्मदिन के रूप बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता हैं। यू तो बसंत पंचमी का अपना महत्व हैं आध्यात्मिक तौर पर भी और व्यवहारिक तौर से भी। ये त्यौहार इसलिए भी काफी महत्व पूर्ण है क्योंकि बसंत ऋतु का आगमन हो जाता हैं। नए नए कलियां खिल जाती है, पतझड़ पेड़ों पर नए पत्ते लहरा रहे होते है, सुंदर सुंदर पक्षियों की गूंज से धरती फिर से आनंदित हो जाती है और प्रकृति की सुंदरता में फिर से चार चांद लग जाते है, चारों और देखो तो हरियाली छा जाती है मानो प्रकृति बंजर भूमि को नया जीवन दान दे रही हो। सरसों के पीले फूल बहुत अधिक मनोहर और सुहावने लगते हैं।

बसंत पंचमी कहां मनाई जाती हैं?

मुख्यता इस त्योहार को भारत और नेपाल में मनाया जाता है और जहां भारत के प्रवासी रहते है वहा मनाया जाता हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना की जाती हैं। लोग पीले वस्त्र धारण करते है और बड़े ही उत्साह से ये त्योहार मनाया जाता हैं। घरों में पकवान आदि बनते हैं।


बसंत पंचमी का महत्व मां सरस्वती के वर्णन के रूप में

मां सरस्वती जी ज्ञान, वाणी और बुद्धि की देवी हैं। कबीर दास जी कहते है की-

“बोली एक अमोल है जो कोई बोले जन, हिये तराजू तोल के तब मुखर बाहर आन।”

यानी बोली या शब्द एक अमूल्य वस्तु है जिसे सोच समझ कर ही बोला जाना चाहिए जैसे किसी वस्तु तराजू में तोल कर दिया जाता हैं। तो दिन भर में हम जो कुछ भी बोलते है उसमें से एक बात सच हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता सरस्वती एक बार हमारी जिह्वा पर एक बार विराजमान अवश्य होती हैं। ज्ञान की देवी मां सरस्वती जी को माता शारदा भी कहा जाता हैं। मां शारदा की जब स्तुति की जाती है तो उनके चार भुजाएं है जिनकी आगे की भुजा में वीणा है तथा पीछे की दोनों भुजाओं में पुस्तक और माला हैं। माता स्वेत वस्त्र पहने हुए है और कमल के फूल पर विराजमान हैं। मुख पर सौम्यता और तेज हैं। हमारे वेदों में से एक वेद है ऋग्वेद जिसमे मां शारदा के विषय में एक श्लोक लिखा गया हैं। जो इस प्रकार हैं:-

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थ यह है कि मां शारदा हमारी बुद्धि, प्रज्ञा और मनोवृति की सुरक्षा करती हैं। हमसे जो आचार और मेधा है उसका आधार भी माता भगवती सरस्वती जी ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अदभुत हैं।


मां सरस्वती का जन्म कैसे हुआ?

माता शारदा के जन्म के विषय में एक कथा हैं। कहा जाता है जब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, भगवान शिव इन त्रिदेवों को ब्रह्मांड को रचना, लालन पालन, और रक्षा का भार था जिसने ब्रह्म जी को जीव जंतु बनने का कार्य भर सौप दिया गया उन्होंने सबसे पहले जीव की योनि बनाई और जब जीवों को बनने के बाद उन्हें कुछ अधूरापन लगने लगा फिर उन्होंने भगवान विष्णु की स्तुति की और और भगवान विष्णु ने मां दुर्गा का आहवान किया। उनकी कृपा से मां सरस्वती दिव्य रूप में अवतरित हुहुई। मां सरस्वती की कृपा से जीवों में स्वर यानी आवाज मिली। जीवों में बुद्धि, स्वर का विकास हुआ। मां शारदा को संगीत की देवी कहा जाता है। सारे स्वर और रागों की देवी माना जाता है और ब्रह्मांड निर्माण में भगवान ब्रह्मा के साथ भागीदारी की और उनकी पत्नी के रूप में जानी जाती हैं।

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10 Lines on Basant Panchami in Hindi

– बसंत पंचमी के विषय में कुछ रोचक तथ्य

  • बसंत पंचमी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ला पक्षमी की पंचमी को मनाया जाता हैं।
  • इस दिन कला, शिक्षा, गायन, संगीत क्षेत्र से सम्बन्धित लोग मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते है और इस दिन अपने कार्य क्षेत्र के लिए इस दिन को पवित्र मानते है और मां से अपनी प्रगति की कामना करते हैं।
  • इस दिन मां शारदा की पूजा करने से बुद्धि का विकास होता हैं।
  • इस दिन वृक्षों का कटान नहीं करना चाहिए और न ही फूलों की कलियों को तोड़ना चाहिए। उत्तराखंड में इसे शुभ नहीं माना जाता।
  • इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं। माता शारदा को यह शालीन रंग प्रिय है ही साथ में यह रंग प्रकृति की सुंदरता को भी प्रदर्शित करता हैं।
  • मां शारदा की कृपा की वजह से ही त्रेता युग में जहां कुंभकरण नाम का राक्षस जो रावण का भाई था उसने अपने लिए इंद्रासन मांग रहा था अपनी तपस्या के वरदान स्वरूप भगवान ब्रह्मा से। तभी देवताओं के आग्रह पर मां सरस्वती कुंभकरण के जिह्वा में बैठ गई और कुंभकरण ने इंद्रासन को निद्रासन कह दिया और उसे 6 महीने सोने का वर मिल गया। तब भगवान राम ने उसका वध कर दिया था और पृथ्वी को राक्षस मुक्त किया।
  • मां सरस्वती की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है उसके अंदर ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा होती है और वह महाविद्वान होता है और किसी न किसी कला में महारथी होता हैं।
  • सिखों के लिए भी बसंत पंचमी का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह हुआ था। इस दिन गुरुद्वारे पर भी खासा उल्लास दिखाई देता हैं।

बसंत पंचमी के दिन की ऐतिहासिक घटना

बसंत पंचमी हमें पृथ्वी राज चौहान की भी याद दिलाती हैं। जब मोहम्मद गोरी ने हमारे देश पर १६ बार आक्रमण किया था और सोमनाथ मंदिर को लुटा था तब पृथ्वीराज चौहान से उसका सामना हुआ और उन्होंने गोरी को हर बार जिंदा छोड़ दिया और जीवन दान दिया लेकिन १७ बार मोहमद गोरी ने पृथीराज को हरा दिया और वो उनका शब्द भेदी बाण की शक्ति देखना चाहता था। तब चंद्रबरदाई जी जो एक कवि थे और पृथ्वी राज जी के साथी थे उनके परामर्श पर ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे से चोट मार कर इशारा किया तब चंद्रबरदाई जी ने पृथ्वीराज को कविता के रूप में संकेत दिया।

बसंत पंचमी पर कविता

चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान हैं, मत चूको चौहान

संकेत मिलते ही पृथ्वी राज जी ने शब्द भेदी बाण मारकर मोहमद गोरी के सीने के आर पार कर दिया और अंत में स्वयं ने तथा उनके साथी चंद्रबदाई ने एक दूसरे को चाकू मारकर आत्मबलिदान दे दिया। यह घटना बसंत पंचमी के दिन ही हुई है ऐसा माना जाता हैं।


पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा विधि

सबसे पहले सुबह स्नान आदि करके सरस्वती जी की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाए। उनकी आरती वंदना करने के पश्चात उन्हें पीले लड्डू और पीली मिठाई से भोग लगाए। माता सरस्वती का सच्चे मन से ध्यान करने पर माता की कृपा आपको अवश्य मिलेगी।


माता सरस्वती की वंदना हिंदी में

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएं भारत,
वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2॥
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की वंदना संस्कृत में

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

श्लोक अर्थ – जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें।

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

श्लोक अर्थ – शुक्लवर्ण वाली, सम्पूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिन्तन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलङ्कृत, भगवती शारदा (सरस्वती) की मैं वन्दना करता हूँ / करती हूं।

अंतिम शब्द

आशा है अब आपको पता चल गया होगा कि Basant Panchami Kab Hai और बसंद पंचमी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें। अगर लेख पसंद आया हो तो इसे अन्य लोगों के साथ साझा अवश्य करें और कमेंट के मध्यम से अपने विचार व्यक्त करें। आपको बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।

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