मार्च 2022 में होली कब है रंगो का त्यौहार किस तारीख को है?
नमस्ते, 10Lines.co में आज हम आपके साथ होली से संबंधित कई प्रकार की जानकारी साझा करेंगे। जैसे की 2022 में होली कब है (Holi Kab Hai), होली 2022 कब है, Holi 2022 Date, होली पर निबंध, होली गीत, होली वीडियो, होली अष्टमी कब की है, होली अष्टमी का व्रत, होली पर कविता, होली शायरी इत्यादि की जानकारी साझा की है तो लेख को अंत तक पूरा पढ़ें।
HOLI KAB HAI 2022 MEIN
होली हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Fagun Month Purnima 2022) को मनाई जाती है। नए साल के बाद यह सबसे बड़ा त्यौहार है जो मनाया जाता हैं। भारत में होली का त्योहार वसंत पंचमी के बाद से ही शुरू हो जाता है। होली का त्यौहार भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। होली को रंगो का और खुशियों का त्यौहार कहा जाता हैं। इस दिन गुलाल, अबीर जैसे रंगो से एक दूसरे को लोग खुशी से रंग लगाते है और पुराने सारे द्वेष भाव भूल कर त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार न केवल हिंदू अपितु अन्य धर्मों के लोग भी बड़े ही उत्साह से मनाते हैं।
होली कब है 2022 में
Holi 2021 Date in India Calendar | Monday, 29 March 2021 |
Holi 2022 Date in India Calendar | Friday, 18 March 2022 |
Holi 2023 Date in India Calendar | Wednesday, 8 March 2023 |
Holi 2024 Date in India Calendar | Monday, 25 March 2024 |
Holi Kab Ki Hai 2022 Mein
2022 Holi Date in India: सन् 2022 में रंगों की होली, कुर्ता फाड़ होली, मटकी फोड़ होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली 19 मार्च 2022 में शनिवार वाले दिन मनाई जाएगी। तो इस दिन तैयार रहना होली खेलने के लिए। आप सभी देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रश्न: Holi Kitne Tarikh Ko Hai 2023 Meinउत्तर: 2023 की होली कब है की बात करें तो 2023 में होली 8 मार्च बुधवार वाले दिन मनाई जाएगी।
|
प्रश्न: 2024 में होली कब की है?उत्तर: अब हम जानेंगे की 2024 में होली कितने तारीख को है?
|
Holi Essay in Hindi
होली त्यौहार मानने के पीछे का कारण अच्छाई द्वारा बुराई पर जीत हैं। ऐसा माना जाता है कि होली त्यौहार की शुरुआत बुंदेलखंड में झांसी के एरच से हुई है। ये कभी हिरण्यकश्यप की राजधानी हुआ करती थी। यहां भगवान श्री विष्णु का एक भक्त था जिसका नाम प्रहलाद था। प्रहलाद दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र था। चुकि देवताओं और दानवों में शत्रुता थी और देवता श्री हरि विष्णु की पूजा करते थे। प्रहलाद भी विष्णु भगवान की पूजा करता था जबकि हिरण्यकश्यप वह चाहता था कि उसका पुत्र भगवान स्वरूप उसकी पूजा किया करे।
प्रह्लाद दिन रात विष्णु भगवान की पूजा करता जिसे देख हिरण्यकश्यप ने उसे मरना चाहा। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया और सारी बात बताई। होलिका भी एक राक्षस थी जिसे भगवान ब्रह्मा जी का वरदान था की आग उसे जला नहीं पाएगी। उसने अपने भाई की आज्ञा मानकर लकड़ी से बनी चिता पर बैठ गई और प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा लिया और जैसे आग की लपटे उठने लगी होलिका जलने लगी, प्रह्लाद तब भी श्री हरि नारायण का ध्यान कर रहा था और अग्नि ने होलिका को जला कर राख कर दिया। बाद में श्री हरि विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप को मारकर प्रह्लाद की रक्षा की। होलिका दहन की इसी घटना के कारण होली मनाई जाती हैं।
इस त्योहार का सम्बन्ध भगवान शिव और भगवान कृष्ण दोनों से ही माना जाता है। भगवान शिव का भस्माभिषेक होता है और उनका पूर्ण श्रृंगार किया जाता है। जबकि श्रीकृष्ण के साथ रंग और फूलों की होली खेली जाती है!
होली खेलने के पीछे की वैज्ञानिक मान्यता क्या है?
होली के पहले मन में उदासी और तनाव का भाव होता है। अलग अलग रंग उस उदासी और तनाव को दूर कर देते है, खिले हुए रंग नीरस जीवन में उत्साह का संचार करते है, खुशी बढ़ती है, मनुष्य तनाव मुक्त महसूस करता है और यह उत्साह की लहर खुशी का तरोताजा माहौल बनाती हैं।
होली 2022 कब है और होली कितने दिनों तक मनाई जाती है
होली वैसे तो 2 दिन मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है तथा किसी सार्वजनिक स्थल या घर के अहाते में उपले व लकड़ी से होली तैयार की जाती है। होली से काफी दिन पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। अग्नि के लिए एकत्र सामग्री में लकड़ियां और उपले प्रमुख रूप से होते हैं। गाय के गोबर से बने ऐसे उपले जिनके बीच में छेद होता है जिनको गुलरी, भरभोलिए या झाल आदि कई नामों से अलग अलग क्षेत्र में जाना जाता है। इस छेद में मूँज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है तथा होलिका दहन किया जाता हैं!
होली से अगला दिन धूलिवंदन कहलाता है। इस दिन लोग रंगों से खेलते है। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते है तथा एक-दूसरे को रंग लगाते है। इस दिन जगह-जगह टोलियाँ, रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती है, बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते है। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते है और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीतिभोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अगले दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते है। इस दिन लोग पानी के गुब्बारे, पिचकारी तथा रंगो से खेलते है और होली के गीत गाए जाते हैं।
होली के अवसर पर सबसे अधिक खुश बच्चे होते है। वह रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते, भागते, दौड़ते मजे लेते है। पूरे मोहल्ले में भागते फिरते इनकी आवाज सुन सकते हैं “होली है”। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते है, गले मिलते है और मिठाइयां खिलाते हैं।
प्रश्न: होली के दिन बनने वाले पकवानउत्तर: होली के दिन गुजिय, मावा, पेढ़े और घेवर बनाई जाती है, मिठाइयां बांटी जाती है, ठंडाई और भांग भी लोग खूब पसंद करते हैं। |
प्रश्न: होली कौन कौन से देश में मनाई जाती है?उत्तर: होली भारत सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मोरिशियस तथा जहां भारतीय प्रवासी बसे हुए है सभी जगह मनाई जाती हैं। |
भारत के विभिन्न शहरों में होली का त्योहार
होली को धुलेंडी, रंगपंचमी के नाम से भी जाना जाता हैं। होली संपूर्ण भारत में मनाई जाती हैं। आइए जानते है किन किन प्रकारों से होली मनाई जाती हैं।
1. ब्रज की होली की क्या विशेषता है
अगर सबसे प्रसिद्ध होली किस राज्य में खेली जाती है, उसकी बात करें तो पहले स्थान पर ब्रज की होली का ही नाम आता है। सेकड़ों की संख्या में लोग होली खेलने ब्रज की भूमि आते है और बड़े ही आनंद के साथ होली खेलते है। दैविक काल से ही ब्रज में 50 दिनों तक होली मनाई जाती है। यहां वसंत से होली की शुरुआत हो जाती है और चैत्र कृष्ण दशमी तक चलती है।
2. बरसाने की होली की विशेषता
होली कई प्रकार से मनाई जाती है। कोई रंगों से होली मनाता है तो कोई पानी के गुब्बारों से, ठीक उसी प्रकार बरसाना की होली की बात करें तो वहां लट्ठमार होली काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इस दिन श्री कृष्ण की गोपियां श्री राधा रानी की प्रतिनिधि कर नंद गांव से आए सभी ग्वालों पर लाठियों से प्रतिघात करती हैं। वहीं, श्रीकृष्ण अपने गांव के पुरुषों को लाठियों से बचाने का प्रयास करते हैं। यह दृश्य बेहद मनोहर रहता है।
3. वृंदावन की होली की विशेषताएं
रंगों का त्योहार होली, होलिका दहन के अगले दिन पूरे देश भर में मनाया जाता है, लेकिन वृन्दावन में होली रंगों से नहीं बल्कि फूलों से खेली जाती है। इसलिए वृन्दावन में होली को फूलों की होली के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन भारी मात्रा में भक्त दर्शन करने के लिए बांके बिहारी मंदिर जाते है और बांके बिहारी समेत पुजारी जी पर फूलों की बारिश करते हैं। इसलिए वृंदावन को फूलों की होली के नाम से जाना जाता है। हालांकि, ठाकुर जी पर टेसू के फूलों को इस्तेमाल किया जाता है।
4. मथुरा की होली की विशेषताएं
अगर आपको कुर्ता फाड़ होली खेलनी है तो आपको मथुरा जाना होगा क्योंकि मथुरा में कुर्ता फाड़ होली खेली जाती हैं। होली के दिन द्वारकाधीश मंदिर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस मौके पर अधिक में लोग वहां उपस्थित होते हैं। इसके अगले दिन महिलाएं पुरुषों के परिधान (पोशाक) फाड़ देते हैं।
5. महाराष्ट्र और गोवा की होली की विशेषताएं
यहां होली को फाल्गुन पूर्णिमा या रंगपंचमी के नाम से जाना जाता हैं। महाराष्ट्र में गोविंदा होली या मटकी फोड़ होली खेली जाती हैं। गोवा के निवासी लोग होली को कोंकणी में शिमगो या शिमगोत्सव कहते हैं।
6. तमिलनाडु और कर्नाटक की होली
अलग-अलग राज्यों में होली को अलग-अलग नाम से तथा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार तमिलनाडु में होली को कामदेव के बलिदान के रूप में मनाई जाती हैं। इसलिए यहां होली को कामविलास, कमान पंडीगई, कामा दहनाम कहा जाता हैं।
होली संगीत और साहित्य पर निबंध
भारत के शास्त्रीय संगीत, लोक गीत, होली का बखान करते सुनाई देते हैं। शास्त्रीय संगीत में धमार का होली से काफी गहरा संबंध है। वही ध्रुपद, धमार, ठुमरी में भी होली का सौंदर्य देखने को मिलता हैं। हिमांचली प्रदेशों में वहां के लोग गीत होली गायन की अलग ही व्याख्या करते हैं। इन गीतों में भगवान श्री कृष्ण द्वारा राधा जी को रंग लगाए जाने से संबंधित गीत मुख्यत हैं। होली के आगमन पर प्रकृति में हो रहे सौंदर्य को भी लोक गीतों द्वारा गाया जाता हैं। इसी प्रकार भगवान शंकर द्वारा शमशान में होली खेले जाने का वर्णन “दिगंबर खेले मसाने में होली” कुछ इस प्रकार मिलता हैं।
होली त्योहार पर एक शुभकामना संदेश लिखिए
होली हमारे समाज में एकता, शांति, प्रेम, भाईचारे और खुशी का संदेश देता है। अनेक प्रकार और अनेक धर्मो के लोग एक साथ एक दूसरे को रंग लगा के इस देश की अखण्डता और एकता का संदेश देते है। होली संदेश है कि हम एक थे, हम एक हैं और हम एक रहेंगे। अखंडता में एकता को दर्शाती हुई होली हमे प्रेरणा देती है की बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो, कितनी ही ताकतवर क्यों न हो, अच्छाई के आगे झुक ही जाती हैं। प्रेम सौहार्द के रूप में यह त्योहार हमारे भारत को और भी महान बना देता हैं।
उपसंहार
प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल से ही होली खेलते थे। लेकिन आज गुलाल, प्राकृतिक रंगों के साथ साथ रासायनिक रंगों का प्रचलन बढ़ गया है। ये रंग स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है जो त्वचा के साथ साथ आँखों पर भी बुरा असर करते हैं। खास तौर पर बच्चों को ये बहुत नुकसान पहुंचाता है। यूं तो होली खुशियों का त्यौहार है और मानना अवश्य ही चाहिए किन्तु प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए ताकि होली केवल खुशियां, भाईचारा और प्रेम ही लेकर आए।
होली का लेख अब यहीं पर समाप्त होता है। आशा है आपको होली कब है (HOLI KAB HAI) और होली से संबंधित जानकारी जैसे की होली पर निबंध इत्यादि की जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको जानकारी पसंद आए तो लेख को अन्य लोगों के साथ साझा करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करें। धन्यवाद