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Shri Krishna Janmashtami Puja Vidhi

Shri Krishna Janmashtami Puja Vidhi, उपवास और श्री कृष्णा जन्माष्टमी का महत्व

शीर्षक : Krishna Janmashtami Puja Vidhi
त्यौहार : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (जन्मोत्सव)
उद्देश्य : भगवान कृष्ण के आदर्शों को याद करना
आरम्भ : अति प्राचीन
तिथि : श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी
अनुष्ठान : श्रीकृष्ण की झाँकी सजाना व्रत व पूजन
उत्सव : प्रसाद बाँटना, भजन गाना इत्यादि
समान पर्व : राधा अष्टमी, कृष्णाष्टमी

विष्णु भगवान के अवतार श्री कृष्णा भगवन का जन्मं श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थार्त रक्षाबंधन के 8 वे दिन हुआ था. श्री कृष्णा भगवान का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था इसलिए इनका जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.

कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है ?

जब कंस की बहन माता देवकी ने वासुदेव के साथ विवाह किया था तब कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल छोडने जा ही रहा था तभी आकाशवाणी हुई की देवकी की आठवीं संतान पापी कंस की मृत्यु का कारण होगी तो कंस ने वासुदेव और देवकी दोनों को आजीवन कारावास दे दिया था तथा देवकी की सात संतान को मृत्यु दे दी थी.

परन्तु जब श्री कृष्णा हुए तब घोर बारिश, आंधी, तूफान चल रहा था और वासुदेव उसी तूफान में अपने पुत्र की रक्षा हेतु उसे गोकुल गांव में नंदबाबा के घर छोड़ आये तब ये नन्दलाल श्री कृष्णा कहलाये तथा इनका जन्मोत्सव बहुत धूम धाम से मथुरा, गोकुल, वृन्दावन आस पास के सभी गांव में मनाया गया था तभी से श्री कृष्णा भगवान के जन्म दिवस पर कृष्णा जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है.

अगर आपको भगवान् श्री कृष्णा के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करनी है तो आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व और उनके जीवन से जुडी कुछ जरूरी बाते पर क्लिक करें.

Janmashtami Puja Vidhi in Hindi Language

जन्माष्टमी व्रत कथा

जन्माष्टमी व्रत कथा – श्री कृष्णा भगवान का जन्म रात्रि 12 बजे हुआ था इसलिए इनके जन्मोत्सव पर एक रात्रि पहले से अष्टंमी तिथि की रात्रि १२ बजे तक उपवास रखा जाता है.

इस उपवास में पुरे दिन कुछ ग्रहण नही करते अर्थार्त निर्जला उपवास रखा जाता है.

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हालाँकि जरूरी नहीं है की हर कोई उपवास रखे जो उपवास रखने योग्य है वह रख ले जो योग्य नहीं है वह श्रद्धा भाव से भगवान श्री कृष्णा का भजन कीर्तन करे जिससे भगवन श्री कृष्णा की असीम अनुकम्पा उन पर सदैव बनी रहे क्योंकि ये नहीं कहते तुम मेरे लिए भूके रहो भगवान तो भाव के भूके है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के मन में श्रद्धा भाव होना जरूरी है.

इसे भी पढ़े ⇒ आप सभी कृष्णा भक्तो को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

श्री कृष्णा जन्माष्टमी पूजा विधि

श्री कृष्णा जन्माष्टमी पूजा विधि

रात्रि 12 बजे माखन, मिश्री, पंचामृत और घर में बनाये अन्य किसी मिष्ठान का भोग लगाया जाता है.

पंचामृत कोई भी पांच तत्व मिलाकर बनाया जाता है जैसे दूध, दही, शक़्कर, माखनं व जल और जब भी श्री कृष्णा भगवान के लिए भोग बनता है तो तुलसी का एक पत्ता जरूर डाले भगवान श्री कृष्णा को भोग के साथ तुलसी अतिप्रिय है तथा घर में कोई भी मिष्ठान बनाया हो उसमे पिसा धनिया अवश्य डाले उसके बिना भी भोग सम्पूर्ण नहीं होगा.

रात्रि 12 बजे के समय घर में बनाये गए मिष्ठान्न तथा पंचामृत और अलग से भी दूध, दही, माखनं, पंजीरी का भोग लगाए इसके बाद भक्ति भाव से फूल, धुप, नारियल आदि चढ़ाये भगवन श्री कृष्णा को नारंगी फल चढ़ाकर भगवान श्री कृष्णा की आरती करते है.

आरती सम्पूर्ण होने के पश्चात बाल रूप श्री कृष्णा को झूला झुलाना चाइये इसके बाद धनिये से बने परशाद को सबमे बाटकर उपवास तोडना चाइये.

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भारत के और भी बेहतरीन त्यौहार 🙂

आप सभी कृष्णा भक्त जन्माष्टमी के दिन इन Janmashtami Puja Vidhi को अच्छे से फॉलो करें और जन्माष्टमी का त्यौहार अच्छे से सेलिब्रेट करें.

अगर आपको पूजा विधि से रिलेटेड कुछ भी पूछना है तो आप कमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते हो और हाँ! भगवान् के इस आर्टिकल को जितना हो सके फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प पर शेयर करें. आपको जन्माष्टमी की ढेरो शुभकामनायें! 🙂

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