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माता सीता की कहानी, जन्म, कथा, आरती व जीवन परिचय

माता सीता की कहानी, जन्म, कथा, आरती व जीवन परिचय

माता सीता की कहानी : माता सीता रामायण की एक प्रमुख पात्र है, जो जनक जी की ज्येष्ठ पुत्री थी| सीता माता की माता का नाम सुनैना था.

माँ सीता मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी की धर्मपत्नी थी| माता सीता एक पतिव्रता स्त्री थी| माता सीता को माँ लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है.

माता सीता का विवाह उनके पिता जनक के द्वारा रचाये गए एक स्वयंवर में भगवान परशुराम का महान धनुष तोड़ने में बाद हुआ था.

माता सीता जनक की पुत्री थी , इसीलिए उन्हें जानकी के नाम से भी जाना जाता है| माता सीता के पिताजी जनक मिथिला के एक महान राजा थे.

माता सीता का विवाह अयोध्या के राजा भगवान श्री राम से हुआ था| परंतु विवाह के कुछ ही समय पश्चात माता सीता को 14 साल का वनवास झेलना पड़ा.

माता सीता के जन्म को लेकर कई सारी ऐसी कहानियां प्रचलित है जो शायद आप नही जानते होंगे| जिनके अनुसार देखा जाए तो माता सीता मिथिला के राजा जनक की गोद ली हुई पुत्री थी| लेकिन कभी कभी ऐसा सुनने में आता है, कि सीता जी लंकापति रावण की पुत्री थी.

तो आइए थोड़े विस्तार से जानते है, सीता जी के जन्म की पौराणिक कथाएं के बारे में ताकि आपके मन के सारे प्रशन दूर हो जाये.

सीता माता का जन्म कैसे हुआ था ?

माता सीता के जन्म के बारे में पौराणिक कथाओं में ऐसा लिखा है की मिथिला में एक बार भयंकर सुखा पड़ गयी थी| और उस सुका को लेकर मिथिला के राजा जनक बहुत परेशान हो गए थे|

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तभी वो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक ऋषि के पास में गए और उस ऋषि ने उन्हें यग ओर धरती पर हाल जोतने को कहा.

उस ऋषि के सुझाव के अनुसार राजा जनक एक दिन अपने खेत में हल चला रहे थे| तभी एक मटकी कपड़े से लिपटी हुई उनके हल से टकराई जिसको खोलने के बाद राजा जनक ने उसमे एक छोटी सी कन्या को पाया.

राजा जनक की कोई भी संतान नही थी| इसलिए उस कन्या को पाकर राजा जनक बहुत ही ज्यादा खुश हो गए, तभी राजा जनक और उनकी पत्नी सुनैना ने बहुत सोचने समझने के बाद उसका नाम सीता रखा और इनकी प्यार से परवरिश भी की|

माता सीता जी का विवाह – माता सीता की कथा

माता सीता जी का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र भगवान श्री राम जी के साथ में हुआ था|

माता सीता के पिता जनक ने एक स्वयंवर रचाया जिसमे एक धनुष रखा और धनुष रखने के बाद में घोषणा कर दी की जो भी राजकुअंर धनुष को सबसे पहले तोड़ेगा तो मैं उसी के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह कर दूंगा.

वहा उपस्थित सब लोगो ने बहुत कोशिश की परंतु कोई भी ऐसा नहीं कर पाया जो उस धनुष को हिला तक देता|

मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने उसे तोड़के माता सीता से विवाह किया था| भगवान श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है| भगवान श्री राम जी के 2 पुत्र भी हुए थे, जिसमे से एक का नाम लव और दूसरे का नाम कुश था.

रामायण में सीता माता का वनवास – सीता माता का जीवन परिचय

पौराणिक प्रसंगों में एक प्रसंग में बताया गया है और रामायण में भी ऐसा लिखा हुआ है| की कैकेयी ही भगवान श्री राम और सीता के वनवास जाने का सबसे बड़ा कारण थी|

कहा जाता है, कि कैकेयी की जिद की वजह से ही भगवान श्री राम को वनवास हुआ था|

कैकेयी के अलावा भी कुछ कारण थे जिनकी वजह से श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण जी को 14 वर्ष का वनवास भुगतना पड़ा ! परन्तु यह बात भी बिल्कुल सच है| कि कैकेयी ने हमेशा श्री राम को अपने पुत्र भरत के समान ही प्रेम क‌िया था.

कैकेयी ने श्री राम के साथ कभी भी किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं क‌िया था !

इसकी यही एक वजह थी, की जब श्री राम के वन जाने के बाद वजह का पता भरत को चला तो वह भी कुछ समय के लिए दंग रह गया की माता कैकेयी ऐसा कैसे कर सकती हैं|

किन्तु कैकेयी ने ये काम जानबूझकर नही किया था| बल्कि यह कार्य देवताओं ने उनसे जबरिया करवाया था। और ना चाहते हुए भी कैकेयी को ये काम करना पड़ा.

जब वनवास में भगवान श्री राम और सीता माता जी और राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण वनवास काट रहे थे| तब वे वन में एक स्थान से दूसरे स्थान पर हमेशा भटकते हुए ऋषि – मुनियों की सेवा, रक्षा और सहायता करते थे और साथ ही साथ उनकी पूजा अर्चना, तपस्याओं को भंग करने वाले राक्षसों को दंडित करते थे और साथ ही साथ मुनियों और ऋषियों की रक्षा भी करते थे.

रामायण सीता हरण की कहानी – Sita Mata Story in Hindi – माता सीता की कहानी

सीता जी के रूप और लावण्य को देखकर रावण के मन मे कुटिल विचार आ गए थे| और साथ में वो राम और लक्ष्मण की वीरता से भी बहुत दुखी थे| वो ये बात साफ साफ जनता था की राम और लक्ष्मण के साथ रहने तक वो सीता का कुछ नही बिगाड़ सकता है.

रावण अपनी महत्वाकांक्षा को बरकरार रखने के लिए अपने ‘पुष्पक विमान’ में बैठ कर एक राक्षस के पास गया| जिस राक्षस का नाम मारीज था|

मारीच को तप द्वारा कुछ ऐसी शक्तियाँ प्राप्त थी, जिससे वह किसी का भी रूप धारण कर सकता था| और इसी शक्ति के द्वारा वह कुटिलतापूर्ण क्रियाकलाप करता था| लेकिन अब वो वृद्ध यानी बूढा हो चुका था.

अब वह अपनी आयु के आधार पर ये सब बुरे काम छोड़कर ईश्वर भक्ति में लग चुका था| वह रावण की इस चाल में शामिल होना नही चाहता था लेकिन रावण ने उसे मारने की धमकी दी और कहा की तुम सोने का मृग बनकर सीता के सामने जाओगे|

तब मारीज़ ने सोचा रावण के हाथों से मरने से अच्छा है मै भगवान श्री राम के हाथों से मरु| कम से कम मुझे मोक्ष तो प्राप्त होगा.

फिर वो सीता माता के सामने आया और माँ सीता ने राम जी से बोला की उसको मेरे लिए लेकर आओ तब राम उसके पीछे चले गये|

जब राम जी ने उसको पकड़ने के लिए उसपर तीर चलाया तो वो जोर जोर से बोला “लक्ष्मण, सीता” तब सीता माता ने लक्ष्मण से बोला की आपके भाई को आपकी आवश्यकता है आप उनकी रक्षा के लिए जाओ.

लक्ष्मण सीता जी के चारों तरफ लक्ष्मण रेखा” बनाते है जिससे कोई भी उस रेखा के भीतर न आ सके और फिर लक्ष्मण भी वहां से चले जाते है और सीता माता अकेली हो जाती है.

अब रावण सीता माता को अकेले देखते हुए उनके सामने एक ऋषि का भेष धारण करके भिक्षा मांगने जाते है, माता सीता भिक्षा देने के लिए रेखा पार कर लेती है और फिर इस लाभ का फायदा उठाके रावण उनका हरण कर लंका ले जाते है.

तत्पश्चात भगवान राम, लक्ष्मण जी के साथ, सुग्रीव और महाबली हनुमान और उनकी सेना के साथ मिलकर लंका पर आक्रमण करते है और रावण को परास्त करके सीता माता को उनके चंगुल से छुरा लेते है.

आरती सीता माता की हिंदी में – Sita Aarti With Lyrics in Hindi

आरती सीता माता की हिंदी में

आरती श्री जनक दुलारी की।
सीता जी रघुवर प्यारी की॥

जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की।
सीता जी रघुवर प्यारी की॥

सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की।
सीता जी रघुवर प्यारी की॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की।
सीता जी रघुवर प्यारी की॥

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यह एक गेस्ट पोस्ट है जिसको नाजिम खान जी ने लिखा है| हम नाजिम जी को धन्यवाद करना चाहेंगे की उन्होंने हमारे रीडर्स के लिए इतना अच्छा लेख लिखा है| नाजिम की वेबसाइट का नाम OnlineHindiTeach.com है| अगर आपको लेख पसंद आया हो तो आप इनकी वेबसाइट पर जरुर जाये.

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