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भगवान श्री राम की कहानी हिंदी में

भगवान श्री राम की कहानी (रामायण) – Shri Ram Katha

ॐ जय श्री राम ॐ – विषय : भगवान श्री राम की कहानी !

मै हिमांशु आप सभी का अपनी वैबसाइट HimanshuGrewal.com में स्वागत करता हूँ। दोस्तो यदि आप मेरी वैबसाइट को डेलि विजिट करते हैं तो यकीनन ही आपको मालूम होगा की मै रोजाना तौर पर नए विषय पर बात करता हूँ.

आज के इस लेख मे मै आपके लिए हिन्दू धर्म के सर्वोपरि प्रभु श्री राम जी का जीवन परिचय लिखने जा रहा हूँ, तो चलिये लेख पढ़ना शुरू करते हैं-

भगवान श्री राम की कहानी – राम कथा की कहानी

इस दुनिया में हमेशा एकता कि बात की जाती है परंतु आए दिन हम अखबारो में पढ़ते हैं और टीवी में देखते एवं सुनते हैं की जातिवाद और धर्म के ऊपर रोज दंगे और फसाद होते रहते हैं.

प्राचीन काल से मुख्यतः कूल 4 धर्म को माना जाता है – हिन्दू, मुसलमान, सीख और ईसाई |

हर धर्म के अपने नियम, त्योहार, पहनावा, एवं गुरु भी अलग माने जाते हैं| हिन्दू धर्म के गुरु की अगर हम लिस्ट बनाने बैठे तो ना जाने कितना वक्त बीत जाएगा, परंतु नाम समाप्त नहीं होंगे.

कुछ प्रमुख गुरु रहे हैं और उनही में से एक प्रभु श्री राम भी है| मै अगर अपनी बात करू तो मेरी श्रद्धा भी श्री राम जी में बहुत है, खास कर जब मै विद्यालय के दिनो मेंक्षा छठी में था तो हमारी हिन्दी की एक पुस्तक श्री राम की कहानी जिसको की रामायण का नाम दिया गया है वो थी.

दोस्तो लेख को शुरू करने से पहले मै आपको बताना चाहता हूँ की रामायण एक नहीं है, कई मनुष्यो ने अपनी – अपनी ज्ञान के हिसाब एवं अपनी भाषा में रामायण लिखी है.

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इस लेख को लिखने से पहले जब मै डाटा इक्कठा कर रहा था तब मुझे मालूम हुया कि सर्वप्रथम रामायण पवनपुत्र हनुमान जी ने लिखी थी, फिर महर्षि वाल्मीकि जी ने इसको संस्कृत भाषा में लिखा.

एक रामायण तुलसीदास जी द्वारा भी लिखा गया है| बच्चो का इंटरेस्ट होता है परंतु किताब के मोटापे को देख के वो किताब को हाथ तक नहीं लगाते हैं और इस कारण उनको कई चीजों की ढंग से जानकारी नहीं हो पाती है, वही आज कल के बच्चे हर चीज़ को इंटरनेट के माध्यम से पाने की कोशिश करते हैं|

शायद यही एक वजह है की मै आज इस लेख “श्री राम की कहानी” को लिख कर उन बच्चो की मदद करना चाहता हूँ.

कई परीक्षा में भी प्रभु श्री राम से जुड़े कई प्रशन अक्सर पूछे जाते हैं और सही उत्तर मालूम ना होने के कारण उनके मार्क्स कट जाते हैं|

मै इस लेख में आपको प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ी हर वो बात बताऊँगा जिससे आप अपने प्रशनपत्र में पूछे प्रशनो के उत्तर आसानी से दे सकते हैं| मुझे यकीन है की आप इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे, तो चलिये शुरू करते हैं-

जरुर पढ़े ⇒ गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय

श्री राम की कहानी – Shri Ram Story in Hindi

श्री राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे, इनकी माता जी का नाम कौशल्या था| इनके पिता जी की दो और पत्नियाँ थी जिनका नाम कैकेयी और सुभद्रा था|

इनके 3 भाई और थे जिनका नाम भरत (माता कैकेयी के पुत्र), लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न (माता सुभद्रा के पुत्र) था| इनके जन्मदिन को ही आज के समय में रामनवमी के नाम से जाना जाता है|

भगवान श्री राम जी बचपन से ही शान्‍त स्‍वभाव के वीर पुरूष थे| उन्‍होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था| इसी कारण उन्‍हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है.

धर्म के मार्ग पर चलने वाले भगवान्र राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरू वशिष्‍ठ से शिक्षा प्राप्‍त की|

किशोरावस्था में गुरु विश्वामित्र उन्‍हें वन में राक्षसों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात को समाप्त करने के लिए साथ ले गये| राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी इस कार्य में उनके साथ थे.

ताड़का नामक राक्षसी बक्सर (बिहार) में रहती थी। वहीं पर उसका वध श्री राम द्वारा हुआ था|

इस दौरान ही गुरु विश्‍वामित्र उन्हें मिथिला ले गये| वहाँ के विदेह राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक स्वयंवर समारोह आयोजित किया था। जहाँ भगवान शिव का एक धनुष था जिसकी प्रत्‍यंचा चढ़ाने वाले शूरवीर से सीता का विवाह किया जाना था.

उनकी प्रत्‍यंचा चढाने के बाद श्री राम का विवाह सीता जी के साथ हुआ| विवाह के पश्चात अयोध्या में राम सीता सुखपूर्वक रहने लगे और तभी कुछ समय बाद राजा दशरथ ने अपनी राजगद्दी राम को सौंपनें का सोचा.

जनता में भी सुखद लहर दौड़ गई की उनके प्रिय राजा उनके प्रिय राजकुमार को राजा नियुक्‍त करने वाले हैं| उस समय राम के अन्‍य दो भाई भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकेय गए हुए थे.

Maryada Purushottam Shri Ram in Hindi – Essay on Ram Ji in Hindi

कैकेयी की दासी मंथरा के भरमाये जाने की वजह से रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वर मांगे जिसमे उन्होने मांगा की-

  1. राज कुमार राम की जगह राजकुमार भरत को राजा बनाया जाये|
  2. राजकुमार राम को 14 वर्ष का वनवाश की सज़ा सुनाई जाये|

वर मांगने की वजह से राजा दशरथ कुछ ना बोल सके और उन्होने पत्नी कैकेयी द्वारा मांगे गए वर को मान लिया और राजकुमार राम को 14 वर्ष के वनवाश की सजा सुना दी|

पिता की आज्ञा का पालन करते हुये उन्होने वन की ओर जाने का निश्चय कर लिया| प्रभु राम की पत्नी सीता ने और भाई लक्ष्मण ने उनके साथ वनवास जाने की जिद्द की और वो भी उनके साथ निकल गए.

वनवास में उनके पहले के 13 वर्ष का समय ठीक-ठाक ही व्यतित हुआ, आखिरी के कुछ समय में रावण ने सीता का हरण किया था| रावण एक राक्षस था और वो लंका का राजा था।.

जब श्री राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी कुटिया में रहते थे तब एक हिरण की वाणी सुनकर सीता व्याकुल हो गयी| वह हिरण रावण का मामा मारीच था| उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरण का रूप बनाया.

सीता जी उसे देख कर मोहित हो गई और श्री राम जी से उस हिरण का शिकार करने का अनुरोध किया.

श्री राम जी अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने चल पड़े और लक्ष्मण जी से सीता की रक्षा करने को कहा| मारीच श्री राम जी को बहुत दूर ले गया|

मौका मिलते ही श्री राम जी ने तीर चलाया और हिरण बने मारीच का वध किया। मरते-मरते मारीच ने ज़ोर से “हे सीता! हे लक्ष्मण!” की आवाज़ लगायी|

उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण जी को श्री राम जी के पास जाने को कहा|

लक्ष्मण जी जाना नहीं चाहते थे, पर अपनी भाभी की बात को इंकार न कर सके। लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खींची, जो लक्ष्मण रेखा के नाम से प्रसिद्ध है.

जब लक्ष्मण भाभी द्वारा कहने पर भैया को देखने गए तभी रावण एक तांत्रिक बाबा के रूप मे कुटिया के बाहर आकर भिक्षा की मांग करने लगा|

भिक्षा देने के लिए सीता जी ने देवर लक्ष्मण द्वारा खिची हुई लक्ष्मण रेखा पार कर दी और तभी रावण ने उनका हरण कर लिया|

कुछ समय बाद जब श्री राम और लक्ष्मण कुटिया वापस आए तो उन्होने सीता जी को नहीं पाया और फिर वो उनकी तलाश में वन की और निकल पड़े.

भगवान श्री राम जी, अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दर-दर भटक रहे थे। तब वे हनुमान और सुग्रीव नामक दो वानरों से मिले।

वहाँ प्रभु राम ने उनसे अपनी समस्या बताया और तभी हनुमान, राम के सबसे बड़े भक्त बने| पत्नी सीता को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान श्री राम जी ने हनुमान,विभीषण (रावण के छोटे भाई) और वानर सेना की मदद से रावन के सभी बंधु-बांधवों और उसके वंशजों को पराजित किया तथा लौटते समय विभीषण को लंका का राजा बनाकर अच्छे शासक के लिए मार्गदर्शन किया.

प्रभु राम और राक्षस रावण का युद्ध 9 दिन तक चला था और दसवे दिन प्रभु राम ने रावण को मृत्यु के गले लगा कर उनपर जीत प्रपात की थी| और तभी से उस दस दिन के समय को दशहरा के रूप में सभी हिन्दू धर्म के लोग वर्त रख कर श्रद्धा भाव से मनाते हैं|

वही बच्चे रावण के बड़े-बड़े पुतले बना कर भी जलाते हैं| आज भी कई जगह पर दशहरा के समय रामलीला दिखाई जाती है और मेला भी लगता है|

बहुत लोग अपने पूरे परिवार के साथ राम लीला देखने व मेला मे घूमने प्रतिवर्ष जाते हैं| रावण का वध करने के साथ ही प्रभु राम के वनवास का समय भी समाप्त होने वाला था और इसी वजह से पत्नी सीता की प्राप्ति के बाद वो अपने भाई और सबसे बड़े भक्त के साथ अपने राज्य अयोध्या की और निकल पड़े थे.

करीब 20 दिन के बाद वो अपने नगरी पहुचे और तभी अयोध्या वासियो ने उनका स्वागत दीप जला के किया और पूरे अयोध्या को रोशनी से जगमगा दिया और इसी वजह से तब से समस्त हिन्दू धर्म के लोग दीप का त्योहार यानिकी दीपावली मनाते हैं|

जैसे-जैसे समय बढ़ता गया दीपावली मे दिये घटते गए और उसकी जगह मोमबत्ती, इलैक्ट्रिक लाइट एवं पटाखो ने ले लिया|

अयोध्या लोटने के बाद प्रभु राम को मालूम हुआ की उनके पिता अब नहीं रहे और पिछले 14 वर्ष से अयोध्या बीना राजा के है क्यूंकी उनके भाई भरत ने राज भार संभालने से मना कर दिया था.

राम जी ने अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये अयोध्या के राजा बने और राजगद्दी संभाली| कुछ ही समय बाद उनको मालूम हुआ की उनकी नगरी के लोग उनकी पत्नी सीता जी के बारे में गलत-गलत बोल रहे हैं|

इसी वजह उन्होने अपनी पत्नी को खूद से दूर आश्रम में रहने का आदेश दिया, उसी दौरान सीता माता ने दो बालक को जन्म दिया जिनका नाम लव और कुश पड़ा|

अकेले ही माता सीता ने अपने दोनों बेटो को पाल पोस कर बड़ा किया| जब उनके पुत्र 14-15 वर्ष के हुये तब प्रभु श्री राम को मालूम हुआ की उनके 2 पुत्र है.

सीता की सती प्रमाणिकता सिद्ध होने के पश्चात सीता अपने दोनों पुत्रों कुश और लव को राम के गोद में सौंप कर धरती माता के साथ भूगर्भ में चली गई| ततपश्चात रामजन्म की जीवन भी पूर्ण हो गई थी| अतः उन्होंने यमराज की सहमति से सरयू नदी के तट पर गुप्तार घाट में दैहिक त्याग कर पुनः बैकुंठ धाम में विष्णु रूप में विराजमान हो गये.

दोस्तो ये था प्रभु श्री राम का जीवन परिचय, आशा करता हूँ की आपको मेरे बाकी लेखो की भाति इस लेख से कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिला होगा.

आपने इस लेख मे क्या नया सीखा मुझे कमेंट के माध्यम से बताना मत भूलिएगा| यदि मुझसे कुछ छूट गया है तो आप कमेंट के माध्यम से मुझे जरूर बताए.

अब आप चाहे तो श्री राम की कहानी को अपने दोस्तो, भाई बहनों, रिश्तेदारों एवं माता-पिता के साथ सोश्ल मीडिया के मध्यम से शेयर भी कर सकते हैं| आशा है इस लेख को पढ़ कर आपको एक पॉज़िटिव फीलिंग आई होगी|

अंत मे मै यही बोलना चाहूँगा की ज्ञान प्राप्त करते रहिए और दूसरों के साथ बाटना बिलकुल भी मत भूलिए, क्यूंकी ज्ञान का भंडार एक ऐसा भंडार है जिसको बाटने से कभी घटेगा नहीं बल्कि हमेशा ही बढ़ता रहेगा.

भारत का प्राचीन इतिहास ⇓

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