Advertisement
Saraswati Chalisa

माँ सरस्वती चालीसा अर्थ सहित

प्रिय भक्तों, आज में आपके साथ श्री सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) शेयर करने जा रहा हूँ, तो चलिये सरस्वती माँ की प्रार्थना करना शुरू करते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। सरस्वती नाम ही संस्कृत में सबसे सुंदर नामों में से एक है जिसका मतलब “बेहद खूबसूरत” होता है।

यदि आपको ज्ञात नहीं है तो मैं आपको बता दूँ कि सरस्वती जी को वाग्देवी ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है।

सरस्वती ऋग्वैदिक काल कि महान नदियों में से एक थी और उन्हें वेदों में एक दिव्य देवी के रूप में पूजा जाता था।

वेदों में, सात बहनों के साथ पवित्र नदी के रूप में उनकी प्रशंसा की जाती है, जो उनके दुश्मनों को नष्ट करके देवताओं की मदद करती हैं।

वेद काल से सरस्वती को तीन प्रमुख भूमिकाओं में माना जाता है – एक नदी के रूप में, वाक् (भाषण) के रूप में, और एक देवी के रूप में।

हिन्दू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी ने सर्वप्रथम सरस्वती जी की आराधना की थी और शायद यही वजह रही होगी कि श्री कृष्ण जी को अत्यंत ज्ञान था।

समय का ध्यान रखते हुए आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और माँ सरस्वती चालीसा को पढ़ना शुरू करते हैं, इसके साथ ही मैं आपको दोहे और चौपाई के अर्थ भी समझाऊँगा जिससे आपको माँ सरस्वती वंदना और भी अच्छे से समझ में आएगी।

grammarly

अन्य चालीसा⇓

Shree Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi

Saraswati Chalisa By Anuradha Paudwal

ॐ ।। श्री सरस्वती चालीसा ।। ॐ

'दोहा '

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी॥

'दोहा'

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

Maa Saraswati Chalisa in Hindi Text

भक्तों, यह है श्री सरस्वती चालीसा, आप चाहे तो इसका स्क्रीनशॉट लेकर अपने डिवाइस में सेव कर सकते हैं और फिर जब सुबह स्नान करने उपरांत पूजा करने बैठे तो आप Shri Saraswati Chalisa बिना इंटरनेट भी पढ़ सकते हैं।

Shree Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi Download

ॐ ।। श्री सरस्वती चालीसा ।। ॐ

॥दोहा॥

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

अर्थात: अपने माता-पिता के चरणों की धूल को अपने मस्तक पर धारण करते हुए हे सरस्वती मां, आपकी वंदना मैं करता हूं, हे दातारी आप मुझे बुद्धि की शक्ति दो। आपकी अमित और अनंत महिमा पूरे संसार में व्याप्त है। हे मां रामसागर के पापों का हरण अब आप ही कर सकती हैं|

॥चालीसा॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

अर्थात: बुद्धि का बल रखने वाली अर्थात समस्त ज्ञान शक्ति को रखने वाली हे सरस्वती मां, आपकी जय हो। सब कुछ जानने वाली, कभी न मरने वाली, कभी न नष्ट होने वाली मां सरस्वती, आपकी जय हो। अपने हाथों में वीणा धारण करने वाली व हंस की सवारी करने वाली माता सरस्वती आपकी जय हो।

रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

अर्थात: हे मां आपका चार भुजाओं वाला रुप पूरे संसार में प्रसिद्ध है। जब-जब इस दुनिया में पाप बुद्धि अर्थात विनाशकारी और अपवित्र वैचारिक कृत्यों का चलन बढ़ता है तो धर्म की ज्योति फीकी हो जाती है।

तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

अर्थात: हे मां तब आप अवतार रुप धारण करती हैं व इस धरती को पाप मुक्त करती हैं। हे मां सरस्वती, जो वाल्मीकि जी हत्यारे हुआ करते थे, उनको आपसे जो प्रसाद मिला, उसे पूरा संसार जानता है।

रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

अर्थात: आपकी दया दृष्टि से रामायण की रचना कर उन्होंनें आदि कवि की पदवी प्राप्त की। हे मां आपकी कृपा दृष्टि से ही कालिदास जी प्रसिद्ध हुये।

तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥

अर्थात: तुलसीदास, सूरदास जैसे विद्वान और भी कितने ही ज्ञानी हुए हैं, उन्हें और किसी का सहारा नहीं था, ये सब केवल आपकी ही कृपा से विद्वान हुए मां

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥

अर्थात: हे मां भवानी, उसी तरह मुझ जैसे दीन दुखी को अपना दास जानकर अपनी कृपा करो। हे मां, पुत्र तो बहुत से अपराध, बहुत सी गलतियां करते रहते हैं, आप उन्हें अपने चित में धारण न करें अर्थात मेरी गलतियों को क्षमा करें, उन्हें भुला दें।

राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

अर्थात: हे मां मैं कई तरीके से आपकी प्रार्थना कfरता हूं, मेरी लाज रखना। मुझ अनाथ को सिर्फ आपका सहारा है। हे मां जगदंबा दया करना, आपकी जय हो, जय हो।

मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

अर्थात: मधु कैटभ जैसे शक्तिशाली दैत्यों ने भगवान विष्णु से जब युद्ध करने की ठानी, तो पांच हजार साल तक युद्ध करने के बाद भी विष्णु भगवान उन्हें नहीं मार सके।

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

अर्थात: हें मां तब आपने ही भगवान विष्णु की मदद की और राक्षसों की बुद्धि उलट दी। इस प्रकार उन राक्षसों का वध हुआ। हे मां मेरा मनोरथ भी पूरा करो।

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

अर्थात: चंड-मुंड जैसे विख्यात राक्षस का संहार भी आपने क्षण में कर दिया। रक्तबीज जैसे ताकतवर पापी जिनसे देवता, ऋषि-मुनि सहित पूरी पृथ्वी भय से कांपने लगी थी।

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

अर्थात: हे मां आपने उस दुष्ट का शीष बड़ी ही आसानी से काट कर केले की तरह खा लिया। हे मां जगदंबा मैं बार-बार आपकी प्रार्थना करता हूं, आपको नमन करता हूं। हे मां, पूरे संसार में महापापी के रुप विख्यात शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का भी आपने एक पल में संहार कर दिया।

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

अर्थात: हे मां सरस्वती, आपने ही भरत की मां केकैयी की बुद्धि फेरकर भगवान श्री रामचंद्र को वनवास करवाया। इसी प्रकार रावण का वध भी आपने करवाकर देवताओं, मनुष्यों, ऋषि-मुनियों सबको सुख दिया।

को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

अर्थात: आपकी विजय गाथाएं तो अनादि काल से हैं, अनंत हैं इसलिए आपके यश का गुणगान करने का सामर्थ्य कोई नहीं रखता। जिनकी रक्षक बनकर आप खड़ी हों, उन्हें स्वयं भगवान विष्णु या फिर भगवान शिव भी नहीं मार सकते।

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

अर्थात: क्त दंतिका, शताक्षी, दानव भक्षी जैसे आपके अनेक नाम हैं। हे मां दुर्गम अर्थात मुश्किल से मुश्किल कार्यों को करने के कारण समस्त संसार ने आपको दुर्गा कहा।

दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥

अर्थात: हे मां आप कष्टों का हरण करने वाली हैं, आप जब भी कृपा करती हैं, सुख की प्राप्ती होती है, अर्थात सुख देती हैं। जब कोई राजा क्रोधित होकर मारना चाहता हो, या फिर जंगल में खूंखार जानवरों से घिरे हों।

सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

अर्थात: या फिर समुद्र के बीच जब साथ कोई न हो और तूफान से घिर जाएं, भूत प्रेत सताते हों या फिर गरीबी अथवा किसी भी प्रकार के कष्ट सताते हों|

नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

अर्थात: हे मां आपका नाप जपते ही सब कुछ ठीक हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है अर्थात इसमें कोई शक नहीं है कि आपका नाम जपने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है, दूर हो जाता है। जो संतानहीन हैं, वे और सब को छोड़कर आप माता की पूजा करें।

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥

अर्थात: हर रोज श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करें, तो उन्हें गुणवान व सुंदर संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही माता पर धूप आदि नैवेद्य चढ़ाने से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

अर्थात: जो भी माता की भक्ति करता है, कष्ट उसके पास नहीं फटकते अर्थात किसी प्रकार का दुख उनके करीब नहीं आता। जो भी सौ बार बंदी पाठ करता है, उसके बंदी पाश दूर हो जाते हैं।

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी॥

अर्थात: हे माता भवानी सदा अपना दास समझकर, मुझ पर कृपा करें व इस भवसागर से मुक्ति दें।

॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

अर्थात: हे मां आपकी दमक सूर्य के समान है, तो मेरा रूप अंधकार जैसा है। मुझे भवसागर रुपी कुंए में डूबने से बचाओ। हे मां सरस्वती मुझे बल, बुद्धि और विद्या का दान दीजिये। हे मां इस पापी रामसागर को अपना आश्रय देकर पवित्र करें|

Maa Saraswati Chalisa PDF in Hindi Download

यदि आपको सरस्वती चालीसा इन हिंदी पीडीएफ करनी है तो आप नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करके फ़ाइल डाउनलोड कर ले।

नाम माँ सरस्वती चालीसा
पन्ने 3
फॉर्मेट पीडीएफ
Saraswati Chalisa Hindi PDF Download
Saraswati Mata Full HD Image Download
Saraswati Mata Image HD Download
Saraswati Mata Image HD Download
Saraswati Mata Full HD Wallpaper Download
Saraswati Mata Full HD Wallpaper Download
Saraswati Photo HD Download
Saraswati Photo HD Download
Laxmi Ganesh Saraswati Photo HD Download
Laxmi Ganesh Saraswati Photo HD Download

Saraswati Chalisa Meaning in Hindi का यह लेख मैं यही पर समाप्त कर रहा हूँ, यदि आपको इस लेख से संबंधित कुछ पूछना है तो आप नीचे दिये गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त करें।

इस लेख को आपने अंत तक पढ़ा उसके लिए आपका धन्यवाद, कृपया इस लेख को अन्य भक्तों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करना ना भूले।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *