Advertisement

ईद क्यों मनाई जाती है? (उल-फ़ित्र) और (उल-अज़हा) का इतिहास

ईद क्यों मनाई जाती है? ईद, मुस्लिम धर्म के लोगो का एक पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार है| (अरबी और उर्दू : عید) यह एक अरबी शब्द है, फ़ारसी अथवा उर्दू में ईद शब्द का उपयोग होता है.

ईद का अर्थ जो है उसको हिन्दी में ‘पर्व’ या ‘त्योहार’ कहते है अथवा ईद शब्द का जो अर्थ है उसको अरबी, उर्दू और फारसी में “ख़ुशी” या “हर्शोल्लास” कहते है.

इस्लामी धर्म मुस्ल्लिम संस्कृती में सबसे महत्वपूर्ण जो पर्व है वो ईद हैं.

ईद साल में 2 बार आती है:-

  • ईद उल-फ़ित्र : ये ईद रमज़ान के रोज़ों के बाद शव्वाल की पहली तारीख के दिन मनाई जाती है.
  • ईद-उल-अज़हा : इस ईद को बक़र-ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस्लामी कैलंडर के अनुसार उल अज़हा ईद के त्यौहार को आखरी महीने की दसवीं तारीख को मनाया जाता है और इसी दिन हज भी अदा किया जाता है.

एक बार इसे भी पढ़े ⇒ बकरा और मीठी ईद पर निबंध

(उल-फ़ित्र) / उल-फितर ईद क्यों मनाई जाती है?

ईद उल-फ़ित्र जिसको ईद उल-फितर के नाम से भी जाना जाता है जिसको अरबी में عيد الفطر कहते है.

इस त्यौहार को सभी मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार बड़ी की धूम धाम से मनाते है जिसे ईद उल-फ़ित्र कहते हैं.

ये पर्व यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है.

grammarly

इस्लामी कैलेण्डर के अनुसार ईद उल-फ़ित्र का पर्व दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है.

ये त्यौहार भी इस्लामी कैलेन्डर के सभी महीनों की तरह ही नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है.

मुसलमानों का ये त्यौहार भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्यौहार व पर्व है. Eid festival को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से दुआएं करते है की सुख-शांति और बरक्कत बनी रहे.

पूरी दुनिया में ईद फेस्टिवल को बड़े ही ख़ुशी और पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

उल-अज़हा / उल-जुहा ईद क्यों मनाई जाती है?

ईद-उल-जुहा (बकरीद) जिसको अरबी में ईद-उल-अज़हा कहते है जिसका मतलब है क़ुरबानी की ईद).

जितने भी लोग इस्लाम धर्म में विश्वास करते है उनके लिए ईद उल जुहा बहुत ही प्रमुख त्यौहार है.

रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के बाद लगभग ७० दिनों के बाद इसे मनाया जाता है

अब में आपको ईद का इतिहास बताता हूँ की ईद क्यों मनाते है.

इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस दिन हजरत इब्राहिम अपने पुत्र “हजरत इस्माइल” को खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया था जिसकी याद में ईद पर्व मनाया जाता है.

कई लोग ईद-उल-अज़हा पर्व को बकरों के साथ जोड़ते है पर में आपको बता देता हूँ की इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नही हैं और न ही यह कोई उर्दू शब्द है.

अब में आपको बकर का अर्थ बता देता हूँ, असल में अरबी में ‘बकर’ का जो अर्थ है वो है बड़ा जानवर जिसको जि़बह किया (काटा) जाता है.

आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसको बकरा ईद के नाम से जाना जाता हैं.

ईद-ए-कुर्बां का मतलब है वो है बलिदान की भावना. ईद के सुनहरे मौके पर भगवान इंसान के बहुत करीब हो जाते हैं.

कुरान में लिखा है

हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो

यह थी थोड़ी बहुत जानकारी ईद के बारे में.

ईद क्यों मनाई जाती है?

अगर आपको इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है जिसको आप हम सभी के साथ शेयर करना चाहते हो तो नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर अपनी जानकारी हमारे साथ शेयर कर सकते हो.

अगर आपको ईद के बारे में जानकारी पसंद आयी तो इस जानकारी को आप सभी मित्रो के साथ फेसबुक, ट्विटर, गूगल+ और व्हाट्सएप्प पर शेयर जरुर करें. धन्यवाद

3 thoughts on “ईद क्यों मनाई जाती है? (उल-फ़ित्र) और (उल-अज़हा) का इतिहास”

  1. Eid k din log Kurbaani ka MATLAB ulta hi samaj Bethe hai kurbaani ka MATLAB ye tha ki kisi achee kaam k liye kurbaani do apni sabse achii chiz kisi achee kaam k liye kurbaan krdo ye h kurbaani isse allha khus honge WO kurbaani nhi hoti tum bakra kaat kr uska mans khao ye kis angle se kurbaani h kurbaan to WO bakra hua Jo alpha ne tumse manga hi nhi tumne kia kurbaani kiya ye koi kurbaani nhi bakra kharido allha k naam par use kaat kr kha jao
    Kurbaani ka mtlb samjo mere Muslim bhaiyo

    Reply
  2. बकरा ईद वाकई में हिंसा को आगे बढ़ाने का एक दिन है। कैसा अल्हा है एक बुद्धिमान जीव से एक असहाय आैर मूक जीव की जीवन लीला खत्म करने का हुक्म देता है। क्या उसने केवल इंसान को ही बनाया। जब इंसान एक तिनके काे जीवित नहीं कर सकता तो उसे मारने का अधिकार कहों से मिल गया। क्या एक प्राणी से दूसरे प्राणी के जीवित रहने के अधिकार का हनन नहीं है। विचार करिए, क्या यह तर्कसंगत है।

    Reply

Leave a Comment

close