आज हम विश्व से जुड़े एक अहम विषय ग्लोबल वार्मिंग क्या है ? इसके कारण और इससे होने वाले प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे.
भारत में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर ज्यादा जागरूकता नही है | लोग न तो इस बारे में ज्यादा जानते है और ना ही इस से भविष्य में होने वाले खतरे को समझते है| लेकिन आज ग्लोबल वार्मिंग पुरे विश्व की एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है जिसके बारे में लोगो को जानना चाहिए.
तो आज का लेख इसी विषय के ऊपर है इस लेख में आपको इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी बस आप पूरी पोस्ट को शुरु से अंत तक पढ़ें और जानकारी हासिल करे.
ग्लोबल वार्मिंग क्या है ? – What is Global Warming in Hindi
आसान से शब्दों में समझे तो पृथ्वी के औसत तापमान में लगातार हो रही विश्व्यापी वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहते है | इसको हिंदी में भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहते है.
पिछली शताब्दी में, वैश्विक औसत तापमान में 1 डिग्री फ़ारेनहाइट (0.7 डिग्री सेल्सियस) से अधिक की वृद्धि हुई है.
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में, एजेंसियों ने स्वतंत्र रूप से ऐतिहासिक तापमान डेटा का विश्लेषण किया है और इस निष्कर्ष तक पहुंचे है कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत से पृथ्वी की औसत सतह का तापमान लगभग 0.8 डिग्री सेल्सियस (1.4 डिग्री फ़ारेनहाइट) बढ़ गया है.
मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है|
भारत में ग्लोबल वार्मिंग एक प्रचलित शब्द नहीं है और लोगो को इसके बारे में ज्यादा जानकारी है| लेकिन विज्ञान की दुनिया की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं|
इसको 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। यह खतरा तृतीय विश्वयुद्ध से भी बड़ा माना जा रहा है.
ग्लोबल वार्मिंग में पृथ्वी का तापमान कैसे बढ़ता है ? (ग्लोबल वार्मिंग का पर्यावरण पर प्रभाव)
हमारे चारो ओर के वायु के आवरण को वायुमंडल कहते है| इस वायुमंडल में बहुत सी गैसे और जल वाष्प होती है| सूर्य की किरने जब पृथ्वी पर पडती है तो उसका कुछ भाग वायुमंडल की ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और बाकी भाग वापस अन्तरिक्ष में भेज दिया जाता है या परावर्तित कर दिया जाता है|
इस अवशोषित किरणों को ऊष्मा में परिवर्तित कर दिया जाता है जो पृथ्वी पर निश्चित तापमान के लिए जिम्मेदार है यानी इस ऊष्मा के कारण ही धरती का तापमान गर्म रहता है.
लेकिन प्रदुषण और अन्य कारण (जिसे हम आगे बताने जा रहे है ) से इन ग्रीन हाउस गैसो का संतुलन बिगड़ने लगा है जिस से इन गैसो के अनुपात में बढ़ोतरी होने लगी है.
अब आप आसानी से समझ सकते है कि जब वातावरण में गैसे बढ़ेगी तो वो अधिक मात्रा में सूरज की किरणों को अवशोषित करेगी जिससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी और अधिल ऊष्मा से तापमान बढ़ेगा और पृथ्वी का तापमान बढ़ना ही ग्लोबल वार्मिंग कहलता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव|
ग्रीनहाउस प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?
वे गैसें जो बाहर से मिल रही गर्मी या ऊष्मा को अपने अंदर सोख लेती हैं, ग्रीन हाउस गैस कहलाती है|
इनका इस्तेमाल सामान्यतः अत्यधिक सर्द इलाकों में उन पौधों को गर्म रखने के लिये किया जाता है जो अत्यधिक सर्द मौसम में खराब हो जाते हैं.
ऐसे में इन पौधों को काँच के एक बंद घर में रखा जाता है और काँच के घर में ग्रीन हाउस गैस भर दी जाती है| यह गैस सूरज से आने वाली किरणों को सोख लेती है और पौधों को गर्म रखती है.
ठीक यही प्रक्रिया पृथ्वी के साथ होती है। सूरज से आने वाली किरणों की गर्मी की कुछ मात्रा को पृथ्वी द्वारा सोख लिया जाता है। इस प्रक्रिया में हमारे पर्यावरण में फैली ग्रीन हाउस गैसों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इन गैसो द्वारा जो वातावरण पर प्रभाव उत्पन्न होता है उसे ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect) कहते है.
ग्रीन हाउस गैस कौन कौन सी है – Greenhouse Gas in Hindi
पृथ्वी पर महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैस निम्न प्रकार है:-
- जल वाष्प
- कार्बन डाइऑक्साइड
- मीथेन
- ओजोन
- नाइट्रस ऑक्साइड
- क्लोरो – फ्लोरो – कार्बन
S.no. | ग्रीन हाउस गैस का नाम | उनका फार्मूला | ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट में % |
1 | जल वाष्प | H2O | 36-72% |
2 | कार्बन-डाइऑक्साइड | CO2 | 9-26% |
3 | मीथेन | CH4 | 4-9% |
4 | ओजोन | O3 | 3-7% |
5 | नाइट्रस ऑक्साइड | N2O | – |
6 | क्लोरो–फ्लोरो–कार्बन | CFC | – |
ग्लोबल वार्मिंग के कारण क्या है – Global Warming Essay in Hindi
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का कारण ग्रीन हाउस गैस में हो रही वृद्धि है|
आज मनुष्य आपने फायदे के लिए वातावरण के साथ खिलवाड़ कर रहा है| जितनी ज्यादा टेक्नोलॉजी दुनिया में बढ़ती जा रही है उतना ही पर्यावरण में असंतुलन होता जा रहा है.
पृथ्वी का वातावरण एक खास चक्र से चलता है जिस में सारी चीजे एक दुसरे से जुडी है| किसी भी एक चीज के असंतुलित होने से पूरा चक्र प्रभावित हो रहा है जिस के कारण ही सुनामी, भूकम्प, ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ आज भयानक रूप में बढ़ती ही जा रही है.
चलिए जानते है कुछ कारण जो जिम्मेदार है इन समस्याओ के लिए-
#1). जीवाश्म ईंधन जलाने से
- जब हम खाना बनाने या किसी अन्य काम के लिए कोयला जैसे जीवाश्मी इंधन जलाते है तो कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है |
- कोयले जलाने वाले बिजली संयंत्रों से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड भारी मात्रा में रिलीज होती है|
जो की ग्रीन हाउस गैस है | इसकी वायुमंडल में वृद्धि से न केवल वायु प्रदुषण होता है साथ ही इस गैस के अनुपात में बढ़ोतरी ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है.
हमारे देश में प्रति व्यक्ति CO2 प्रदूषण का स्तर अन्य विकसित देशों के औसत से लगभग दोगुना है और विश्व औसत से चार गुना अधिक है|
#2). वनों की कटाई
पौधे जलवायु को विनियमित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और इसमें ऑक्सीजन को वापस छोड़ देते हैं|
वन कार्बन सिंक (sink) के रूप में कार्य करते हैं| लेकिन मनुष्य खेती के लिए, शहरी और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दुनिया भर में वनस्पति के विशाल क्षेत्रों को साफ़ करते हैं या लकड़ी और ताड़ के तेल जैसे पेड़ के उत्पादों को बेचते हैं। जब वनस्पति को हटा दिया जाता है या जला दिया जाता है, तो संग्रहीत कार्बन को वायुमंडल में वापस CO2 के रूप में जारी किया जाता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है.
वैश्विक ग्रीनहाउस गैस प्रदूषण का एक-पांचवां हिस्सा वनों की कटाई और वन अवक्रमण से आता है|
3). अधिक परिवहन के उपयोग से
जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ परिवहन के साधन भी बढ़ते जा रहे है| इन यातायात के साधनों में इस्तमाल होने वाला पेट्रोल, डीजल जब जलता है तो भारी मात्रा में CO2 और अन्य घातक गैसे उत्सर्जित होती है| ग्लोबल वार्मिंग में 90 प्रतिशत योगदान मानवजनित कार्बन उत्सर्जन का है.
4). फसल भूमि पर रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि
20 वीं शताब्दी के आखिरी छमाही में, रासायनिक उर्वरकों (पशु खाद के विपरीत) का उपयोग बढ़ गया है। नाइट्रोजन समृद्ध उर्वरकों के उपयोग की उच्च दर में भूमि के ताप भंडारण पर प्रभाव पड़ता है (नाइट्रोजन ऑक्साइड में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में, प्रति यूनिट 300 गुना अधिक गर्मी-फँसाने की क्षमता होती है)| इन प्रभावों के अतिरिक्त, अतिसंवेदनशीलता के कारण भूजल में उच्च नाइट्रेट स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण हैं.
5). आधुनिक जीवन शैली
आज के समय में रेफ्रीजरेटर, AC, कुलिंग मशीनों का उपयोग बहुत ज्यादा होने लगा है| इनके इस्तमाल से क्लोरो–फ्लोरो-कार्बन गैस निकलती है जो एक ग्रीन हाउस गैस है.
6). उद्योगीकरण में वृद्धि
औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ हानिकारक है और इनसे निकलने वाला कार्बन डाइआक्साइड तापमान को बढ़ाता है.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऋतुओं परिवर्तन में क्या प्रभाव पड़ेगा – ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?
1). दुनिया भर में समुद्र के स्तर में वृद्धि
वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड में दो बड़े पैमाने पर बर्फ शीटों की पिघलने के कारण दुनिया भर के समुद्री स्तरों में वृद्धि की भविष्यवाणी की है, खासकर अमेरिका के पूर्वी तट पर हालांकि, दुनिया भर के कई देशों में समुद्र के बढ़ते स्तरों के प्रभाव का अनुभव होगा, जो लाखों लोगों को विस्थापित कर सकता है.
2). अधिक तेज तूफान, जलवायु परिवर्तन
तूफान और चक्रवात जैसे तूफानों की गंभीरता बढ़ रही है| जलवायु परिवर्तन हो रहा है| वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग दुनिया भर के सबसे चरम तूफानों की तीव्रता में काफी वृद्धि करेगी.
3). प्रजातियों का विलुप्त होना
एक प्रकाशित शोध के अनुसार, 2050 तक, बढ़ते तापमान से दस लाख से अधिक प्रजातियों विलुप्त हो सकती है। और क्योंकि हम पृथ्वी पर प्रजातियों की विविध आबादी के बिना अस्तित्व में नहीं हो सकते हैं, इसलिए यह मनुष्यों के लिए डरावनी खबर है.
4). मूंगा चट्टानों का गायब होना
WWF से कोरल रीफ्स पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे खराब स्थिति में तापमान और महासागर अम्लीकरण और इसके प्रभावों के कारण कोरल आबादी 2100 तक गिर जाएगी।
समुद्र के तापमान में छोटे लेकिन लंबे समय तक उगने वाले कोरल का “ब्लीचिंग” महासागर पारिस्थितिक तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है.
5). रेगिस्तान का विस्तार
लगातार बड़ते तापमान और आधुनिक जीवन शैली के कारण पेड़–पौधे की कटाई आदि से रेगिस्तान का विस्तार होता जा रहा है.
⇓ घातक परिणाम ⇓
वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे.
दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्वयुद्ध के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी.
हमारे ग्रह पृथ्वी के लिये भी यह स्थिति बहुत हानिकारक होगी.
इसकी वजह से उष्णकटिबंधीय रेगिस्तानों में नमी बढ़ेगी। मैदानी इलाकों में भी इतनी गर्मी पड़ेगी जितनी कभी इतिहास में नहीं पड़ी। इस वजह से विभिन्न प्रकार की जानलेवा बीमारियाँ पैदा होंगी.
ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय क्या है – How To Stop Global Warming in Hindi
1). ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना
वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई के लिए योगदान देने वाली सभी मानवीय गतिविधियों में से कोई भी गैसोलीन (पेट्रोल) जलने से ज्यादा हानिकारक नहीं है|
ई-वाहन जो गैस का उपयोग नहीं करते हैं और बिजली पर चलते हैं, वे आज बाजार में प्राप्त कर रहे हैं।
दुनिया भर में कार कंपनियों ने ई-वाहनों के निर्माण से प्रदूषण को कम करने की दिशा में कुछ पहल की है।
उदाहरण के लिए वोल्वो सार्वजनिक रूप से सामने आया है और कहा है कि वे जल्द ही ई-वाहनों और हाइब्रिड वाहनों के पक्ष में पेट्रोल और डीजल संचालित इंजनों का उत्पादन बंद कर देंगे.
2). नवीकरणीय ऊर्जा
अक्षय ऊर्जा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हमारे सबसे प्रभावी उपकरण में से एक है। इन नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करना ग्लोबल वार्मिंग प्रक्रिया को काफी धीमा कर देगा। अक्षय स्रोतों जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करें.
3). पुनर्चक्रण
रीसाइक्लिंग की आदत को अपनाने से ग्लोबल वार्मिंग की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद मिलेगी। जितना अधिक हम रीसायकल करेंगे, जितना कम हम बर्बाद करेंगे उतना ही कम हम धरती को प्रदूषित करते हैं.
4). पेड़ो को अधिक से अधिक लगाए
पेड़-पोधो को मौसम के अनुसार अधिक से अधिक लगाए और उनकी कटाई कम करे और अगर कटाई जरूरी है तो उतने ही पेड़ वापस भी लगाए.
अंत में जाते जाते आपसे बस इतना कहना चाहुगा की|
ग्लोबल वार्मिंग भविष्य की एक बड़ी खतरनाक समस्या है| इसे समझे और दुसरे लोगो को भी समझाए|
आज की लेख में मैंने आपको ग्लोबल वार्मिंग क्या है, इसके कारण, प्रभाव और इससे बचने के उपाय बताए है| इनको समझे और जितना हो सके वातावरण को प्रदूषित होने से बचाए.
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई इलाज नहीं है| इसके बारे में सिर्फ जागरूकता फैलाकर ही इससे लड़ा जा सकता है|
उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आई होगी| इस बारे में कोई प्रशन हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते है|
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