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सर छोटूराम का इतिहास

सर छोटूराम का इतिहास, जीवन परिचय व जयंती

सर छोटूराम का इतिहास :- सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर, 1881 में रोहतक जिले के झज्झर गांव में हुआ था.

सर छोटू राम का असली नाम रिछपाल था| छोटूराम अपने पुरे परिवार में सबसे छोटे थे इसलिए इनको छोटू कहकर बुलाया जाता था.

विद्यालय में भी इनका नाम छोटूराम ही था| छोटू राम के दादा जी का नाम रामरत्न था| रामरत्न के पास दस एकड़ बंजर व बरानी जमीन थी तथा इनके पिता जी का नाम सुखीराम था.

सर छोटूराम का इतिहास, शिक्षा – Sir Chhotu Ram History in Hindi

छोटू राम ने अपने गांव से बारह मिल की दुरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की| उसके बाद छोटू राम ने क्रिशचन मिशन स्कूल दिल्ली में प्रवेश लिया परन्तु शिक्षा का खर्चा उठाना बहुत बड़ी मुश्किल था.

एक बार छोटूराम अपने पिता के साथ सांपला के साहूकार से कर्जा लेने के लिए गए तब साहूकार ने उनका अपमान किया| यह छोटूराम को महामानव बनाने की दिशा में एक शंखनाद था.

छोटू राम के अंदर एक क्रांतिकारी युवा जाग चूका था| अब छोटूराम किसी भी अन्याय को सहन नहीं करते थे वे हर अन्याय के विरुद्ध खड़े हुआ करते थे.

क्रिश्चियन मिशन स्कूल के छात्रावास के प्रभारी के विरुद्ध छोटू राम ने पहली हड़ताल की| इस हड़ताल के संचालन को देखकर छोटू राम को “जनरल रॉबर्ट” के नाम से जाना जाने लगा.

सन् 1903 में छोटू राम इंटर की परीक्षा पास करने के बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की| छोटूराम ने अपने जीवन के आरम्भिक समय में ही सर्वोत्तम आदर्श और चरित्रवान छात्र के रूप में वैदिक धर्म और आर्यसमाज में अपनी स्थापना बना ली.

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सन् 1905 में छोटूराम जी ने रामपाल राजा के यह निजी सचिव के रूप में कार्य किया और सन् 1907 तक अंग्रेजी अख़बार हिंदुस्तान का सम्पादन किया फिर यहां से छोटूराम जी वकालत की डिग्री करने आगरा आ गए.

समाज सेवा – Sir Chhotu Ram Biography in Hindi

छोटूराम आगरा जाकर आगरा के जाट छात्रावास का अधीक्षक बना| 1911 में छोटूराम ने वकालत की डिग्री प्राप्त की यहां रहकर छोटूराम ने मेरठ और आगरा की सामाजिक दशा का अध्ययन किया.

सन् 1911 मे छोटूराम ने चौधरी लाल चंद के साथ वकालत शुरू की और उसी वर्ष जाट सभा का गठन किया.

छोटूराम समाज में अपना स्थान एक महान क्रांतिकारी और समाज सुधारक के रूप में बना चुके थे| छोटूराम जी ने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की| वकालत के व्यवसाय में चौधरी जी ने नए आयाम जोड़े|

छोटूराम ने झूठे मुकदमे ना लेना, छल कपट से दूर रहना, गरीबो को क़ानूनी सलाह निशुल्क देना आदि सब अपने जीवन का आदर्श बनाया.

इन्ही सिधान्तो का पालन कर छोटूराम जीवन में भी और पेशे में भी बहुत आगे बढ़ गए| 1915 में छोटूराम ने जाट “गजट नाम” का अख़बार शुरू किया जो की हरियाणा का सबसे पुराना अखबार है यह अख़बार आज भी छापा जाता है.

सर छोटूराम का जीवन परिचय, स्वाधीनता संग्राम

चौधरी छोटूराम ने स्वाधीनता संग्राम में जमकर भाग लिया| उन्होंने रोहतक में कांग्रेस पार्टी का गठन किया और रोहतक कांग्रेस पार्टी के प्रथम प्रधान बन गए.

जिले में छोटूराम का आह्नान अंग्रेजी सरकार को भी कंपकपा देता था| चौधरी जी ने लेखो और कार्यो को अंग्रेजी में बहुत भयानक करार दिया फिर छोटूराम ने कांग्रेस छोड़ दी क्युकी छोटूराम गांधी जी के असहयोग आंदोलन से कतई भी सहमत नहीं थे.

उनका मानना था की इस आंदोलन से किसानो का हित नहीं होगा वो चाहते थे की आजादी की लड़ाई सवैधानिक तरिके से लड़ी जाये.

कुछ बातो पर मतभेद होते हुए भी छोटूराम गाँधी जी के अच्छे प्रशंशक रहे| छोटू राम ने अपना कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब तक फैला लिया और जाट समाज का एक शसक्त संगठन तैयार किया.

आर्यसमाज और जाट समाज को उन्होंने एक मंच पर लाने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द और भटिंडा गुरुकुल और मैनेजर चौधरी पीरूराम से सम्पर्क साध लिया और एक क़ानूनी सलाहकार बन गए.

पंजाब रौलट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था जिसके परिणामस्वरूप देश की राजनीति में एक अजीबोगरीब मोड़ आ गया.

एक तरफ गांधी जी का असहयोग आंदोलन था तो वही दूसरी तरफ छोटूराम ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ सहयोग की निति अपना ली|

सर छोटूराम जयंती (महत्वपूर्ण योगदान) – Sir Chhotu Ram Jayanti in Hindi

11 जून 1940 को अधिनियम लागू हुआ| बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले इस कानून ने मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई तथा रविवार को दुकाने व् संस्थान बंद रहेंगे,

छोटी – छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जायेगा, दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने 8 अप्रैल 1935 में एक अधिनियम किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा.

अन्य जीवन परिचय⇓

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5 Comments

  1. हिमांशु जी जय चौधरी छोटू राम चौधरी छोटूराम जी के बारे में आपका लेख पढ़कर बहुत खुशी हुई लेकिन हिमांशु जी आपसे अनुरोध है कि साइमन कमीशन के दौरान उनकी जो गतिविधियां रही उनके बारे में भी कृपया देश के लोगों को समझाने का प्रयास करें साइमन कमीशन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है जिसे हमेशा ही इस देश से छुपाने की उन लोगों ने कोशिश की है जो इस देश में सिर्फ और सिर्फ शोषक समाज का वर्चस्व बढ़ाना चाहते हैं वह नहीं चाहते कि इस देश में ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य के अतिरिक्त किसी अन्य समाज के महापुरुष को लोग जान पाए आपसे प्रार्थना है कि इस विषय में भी गौर करें और समाज में चौधरी छोटू राम जी के कुछ अनकहे इतिहास को भी समझाने का प्रयास करें जिसे लोगों ने दबा दिया था अंग्रेजों ने भारत में वर्ण भेद के चलते शोषित समाज को अधिकार देने के लिए साइमन कमीशन को भारत भेजा था उसमें इस देश के तीन महापुरुषों ने साइमन कमीशन को सहयोग दिया था ऐसे तथ्यों की जानकारी यदि समाज में अधिक से अधिक प्रकार की जाए तो उस से आपके लेख और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे और उससे आप के पाठकों की संख्या भी बढ़ेगी

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