महात्मा गांधी का जीवन परिचय व उनके द्वारा किये हुए आंदोलन
Mahatma Gandhi Biography in Hindi : आज मै भारत के बापू यानिकी महात्मा गांधी का जीवन परिचय (महात्मा गांधी निबंध) पर आपके लिए एक लेख अपडेट करने जा रहा हूँ.
प्रिय भाइयो और बहनों यह बात हम सभी जानते हैं कि जैसे आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता है कि नरेन्द्र मोदी कौन है? ठीक उसी तरह आज आज़ादी के 73वर्ष बाद भी भारत के सभी नागरिको को महात्मा गांधी के बारे में पता है और आगे आने वाली पीढ़ी को भी उनके बारे में जरूर बताया जायेगा.
जब हम प्राइमरी स्कूल में थे तभी से हमने गांधी जी के बारे जानना शुरू कर दिया था, फिर जैसे-जैसे हम बड़े होते गये अपनी किताबों के माध्यम से हमे उनके बारे में विशेष जानकारी प्राप्त हुई.
अक्सर स्कूल में, कॉलेज में और कई बार तो बड़े-बड़े सरकारी नौकरी के निबंध लेखन के परीक्षा में भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी में से एक महात्मा गांधी जी के ऊपर लेख लिखने को ज़रूर आता है.
उन सभी चीजों को मध्य नजर रखते हुए मै ये लेख आपके लिए लिख रहा हूँ, आप चाहे तो इस लेख का इस्तेमाल वहाँ कर सकते हैं.
महात्मा गांधी की जीवनी (Mahatma Gandhi Jivni) शुरू करने से पहले कुछ बाते हैं जो मैं आपको बताना चाहता हूँ-
Mahatma Gandhi Essay in Hindi का लेख पसंद आये तो आप कमेंट के माध्यम से अपने भाव जरूर शेयर करे और हाँ दोस्तों इस लेख को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करना बिलकुल ना भूले.
तो चलिए, बिना वक्त जाया किए, पढ़ना शुरू करते हैं महात्मा गांधी का जीवन परिचय के इस लेख को…
जरुर पढ़े ⇓
Mahatma Gandhi Biography in Hindi
Name / नाम : | मोहनदास करमचन्द महात्मा गांधी |
Father / पिता : | करमचंद गांधी |
Mother / माता : | पुतली बाई |
Born / जन्म दिवस : | 2 अक्टूबर 1869 |
Place / जन्मस्थान : | पोरबंदर, गुजरात, ब्रिटिश इंडिया |
Wife / पत्नी : | कस्तूरबा गांधी |
Child / बच्चे : | हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
Death / मृत्यु : | 30 जनवरी 1948 |
Achievements : | भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान, उनके द्वारा चलाये गए आन्दोलनों : भारत छोडो आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन इत्यादि |
इन सभी आंदोलन में भारत की स्वतंत्रता में मुख्य भूमिका निभायी.
Biography Of Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी पर निबंध : इस लेख में आप भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन परिचय के बारे में पढ़ रहे हैं, तो जायज़ सी बात है कि हम उनके प्रारंभिक जीवन से शुरू करेंगे और उनकी हत्या तक की पूरी जानकारी इस लेख में देंगे.
महात्मा गांधी जी का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन ⇒ मोहन दास का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था|
गांधी जी के पिता श्री करमचंद्र गांधी काठियावाड की एक छोटी सी विरासत पोरबंदर के दीवान (प्रधानमंत्री) थे|
इनकी माता पुतली बाई उनके पिता की चौथी पत्नी थी| गांधी जी शुरु से ही माता – पिता के प्रति बहुत स्नेह रखते थे|
अपने प्रारंभिक वर्षों में, गांधी गहराई से श्रवण और हरिश्चंद्र की कहानियों से प्रभावित थे, जिन्होंने उनको सत्य के महत्व को दर्शाया.
इन कहानियों के माध्यम से और अपने व्यक्तिगत अनुभवों में उन्होंने महसूस किया कि सत्य और प्रेम सर्वोच्च मूल्यों में से एक हैं.
मोहनदास ने 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी से शादी की, गांधी ने बाद में यह खुलासा किया कि उस उम्र में उनके लिए शादी का मतलब कुछ भी नहीं था और वह केवल नए कपड़े पहनने के बारे में खुश और उत्साहित थे.
लेकिन फिर जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उनके लिए उनकी भावनाएं बढ़ती चली गई, जिसे बाद में उन्होंने अपनी आत्मकथा में खेद के साथ स्वीकार किया.
महात्मा गांधी की शिक्षा एवं विवाह – Mahatma Gandhi Biography in Hindi
महात्मा गांधी की प्राथमिक शिक्षा काठियावाड़ से ही हुयी| उसके बाद उन्होंने राजकोट से हाई स्कूल की परीक्षा पास की.
गाँधी जी बचपन से ही थोड़े संकोची, आज्ञाकारी, एवं सदैव बड़ों का मान – सम्मान करने वाले इंसान थे.
मैट्रिक के बाद उन्होंने अपनी पढाई शामलदास कॉलेज से पूरी की.
महात्मा गांधी की आत्मकथा के अनुसार वे पढाई- लिखाई में औसत थे| बालपन की 14 वर्ष की उम्र में महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबाई माखनजी कपाडिया के साथ हो गया|
गांधी जी ने अपनी पत्नी का नाम छोटा करके कस्तूरबा कर दिया और उन्हें प्यार से बा कह कर बुलाते थे.
15 वर्ष की उम्र में मोहनदास एवं कस्तूरबा गांधी को पहली संतान हुई, परन्तु वह कुछ ही दिन तक जीवित रही और इसी साल उनके पिता करमचंद गांधी का भी निधन हो गया| उसके बाद मोहनदास एवं कस्तूरबा को चार संताने हुई.
अपने परिवार के राजकोट चले जाने के बाद, नौ साल की उम्र में गांधी का स्थानीय स्कूल में दाखिला हुआ, जहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास, भूगोल और भाषाओं की बुनियादी बातों का अध्ययन किया.
जब वे 11 साल के थे, तब उन्होंने राजकोट के एक हाई स्कूल में पढ़ाई की, उसी दौरान उनकी शादी हुई जिसके कारण उन्होंने पढ़ाई से अपना महत्वपूर्ण एक वर्ष खो दिया, लेकिन बाद में स्कूल में फिर से प्रवेश किया और आखिरकार उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की.
महात्मा गांधी के बच्चों के नाम – महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी
- हरिलाल गांधी 1888
- मणिलाल गांधी 1892
- राम दास गांधी 1897
- देवदास गांधी का जन्म 1900 में हुआ|
19 वर्ष की उम्र में 1888 को गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लन्दन चले गए.
लन्दन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने के बाद गांधीजी इंडिया वापस आकर वकालत की प्रेक्टिश करने लगे, परन्तु उन्हें इस काम में बहुत अधिक सफलता नहीं मिली.
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा – Mahatma Gandhi History in Hindi
तभी दक्षिण अफ्रीका स्थित एक कंपनी ने उन्हें कानूनी सलाहकार के पद के लिए प्रस्ताव दिया, प्रस्ताव को स्वीकार कर गांधी जी अफ्रीका के लिए रवाना हो गये|
अफ्रीका में रहकर गांधीजी ने वहां के लोगों के लिए बहुत सी कानूनी लड़ाई लड़ी| एवं दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए महात्मा गांधी को रंग भेद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा, एक बार जब उन्हें ट्रेन के स्पेशल कम्पार्टमेंट में बैठने पर बेज्जत कर नीचे उतार दिया गया था.
इस तरह के रंग भेद और अन्याय ने महात्मा गांधी को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प किया|
उसके बाद गांधी जी ने वहां हो रहे रंग भेद का विरोध किया, जिस वजह से उन्हें बड़ी मुशिबतों का सामना करना पड़ा| लेकिन वे इस सब से डरे नहीं बल्कि अफ्रीका में रह रहे हिन्दुस्तानियों को सम्मान दिलाने के लिए और तेजी से सक्रीय हो गए.
वहां पर लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ “अवज्ञा आन्दोलन भी चलाया (Disobedience Movement)” जो कि अपने मकसद में काफी सफल रहा.
महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण गोखले ने गांधी जी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.
गोखले ने मोहनदास करमचंद गांधी को भारत में मौजूदा राजनीतिक स्थिति और उस समय के सामाजिक मुद्दों के बारे में अच्छी तरह से निर्देशित किया.
फिर वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 1920 में नेतृत्व संभालने से पहले, कई आंदोलन किए, जिसे उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया.
महात्मा गांधी के अनमोल विचार – महात्मा गांधी का भारत आगमन
सन् 1915 को गांधी जी दक्षिण अफ्रीका छोड़कर भारत लौट आये| उस समय पूरा भारत वर्ष अंग्रेजो के द्वारा हो रहे अत्याचार से सुलग रहा था|
अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा हो रहे अत्याचार और शोषण से भारत की आम जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी|
जमीदारों द्वारा अंग्रेजों की सह पाकर गरीब जनता पर जुर्म किया जा रहा था एवं आवाज उठाने पर निर्दयता के साथ उनका दमन कर दिया जाता था| ऐसे में गांधी जी ने अंग्रेजी हुकुमत से मुकाबला करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में खुद को घुसाया.
महात्मा गांधी जी के द्वारा किये गए प्रमुख आन्दोलन – महात्मा गांधी जीवनी
पारण और खेडा सत्याग्रह आन्दोलन चम्पारण और खेडा में अंग्रेजी हुकूमत का संरक्षण पाकर जमीदार गरीब किसानों का शोषण कर रहे थे|
किसानों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ गांधी जी ने सत्याग्रह किया, उस सत्याग्रह की वजह से गांधी जी को गिरफ्तार कर, वह जगह छोड़ने का आदेश दिया गया|
परन्तु बाद में लाखों लोगों के सड़क पर आने से ब्रिटिश सरकार को उन्हें बिना किसी शर्त पर छोड़ना पड़ा.
चम्पारण एवं खेडा के उस सफल सत्याग्रह के बाद जिसमें गांधी जी ने गरीब किसानों को जमीदारों के जुर्म से मुक्ति दिलाई, जिस वजह से महात्मा गांधी का स्तर काफी ऊँचा हो गया| तथा आम लोगो के प्रति उनके निस्वार्थ सेवा – भाव से लोगो के बीच उनकी एक अलग छवि बन गयी.
गांधी जी ने हिंसा से अलग हटकर, असहयोग तथा अहिंसा के मार्ग को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का माध्यम चुना.
हालाँकि शुरुवात में बहुत से लोग गांधी जी के अहिंसावादी विचारों से सहमत नहीं थे| क्योंकि लोगों को लगता था, कि अंग्रेज सरकार की क्रूर नीतियों के खिलाफ अहिंसा से निपटना कारगर नहीं होगा.
परन्तु बाद में लोग न केवल उनके विचारों से सहमत हुए बल्कि अधिकाधिक लोग उनके समर्थन में आगे आये.
महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम में आने से पूरे भारत में उम्मीद की एक लहर दौड़ गयी| क्योंकि अभी तक किसी को भी इतनी भारी तादात में लोगों का समर्थन नहीं मिला था.
महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन (महात्मा गांधी के आंदोलन)
असहयोग आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ गांधी के सबसे महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक था, गांधी ने अपने साथी देशवासियों से अंग्रेजों के साथ सहयोग बंद करने का आग्रह किया.
उनका मानना था कि भारतीयों के सहयोग से ही अंग्रेज भारत में सफल हुए, अंग्रेजों ने बलपूर्वक सविनय अवज्ञा आंदोलन को दबाना शुरू कर दिया और दिल्ली में एक शांतिपूर्ण भीड़ पर गोलियां चला दीं.
अंग्रेजों ने गांधीजी को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने के लिए कहा था लेकिन प्रवेश करने के परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इससे लोग नाराज हो गए और उन्होंने दंगे भड़काए.
उन्होंने लोगों से मानव जीवन के लिए एकता, अहिंसा और सम्मान दिखाने का आग्रह किया। लेकिन अंग्रेजों ने इस पर आक्रामक प्रतिक्रिया दी और कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया.
13 अप्रैल 1919 को, एक ब्रिटिश अधिकारी, डायर ने अपनी सेनाओं को अमृतसर और जलियांवाला बाग में महिलाओं और बच्चों सहित एक शांतिपूर्ण सभा में गोलियां बरसाने का आदेश दिया.
इसके परिणामस्वरूप, सैकड़ों निर्दोष हिंदू और सिख नागरिक मारे गए, इस घटना को “जलियांवाला बाग नरसंहार” के नाम से जाना जाता है|
लेकिन गांधी ने अंग्रेजों को दोष देने के बजाय प्रदर्शनकारियों की आलोचना की और भारतीयों से अंग्रेजों से नफरत करते हुए प्यार का इस्तेमाल करने को कहा.
उन्होंने भारतीयों से सभी प्रकार की अहिंसा से परहेज करने का आग्रह किया और भारतीयों पर अपने दंगों को रोकने के लिए दबाव बनाया.
स्वराज्य
असहयोग की अवधारणा बहुत लोकप्रिय हो गई और भारत की लंबाई और चौड़ाई के माध्यम से यह फैलने भी लगी.
गांधी ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और स्वराज पर ध्यान केंद्रित किया, उन्होंने लोगों से ब्रिटिश वस्तुओं का उपयोग बंद करने का आग्रह किया|
उन्होंने लोगों को सरकारी रोजगार से इस्तीफा देने, ब्रिटिश संस्थानों में पढ़ाई छोड़ने और कानून अदालतों में अभ्यास करना बंद करने के लिए कहा.
हालांकि, फरवरी 1922 में उत्तर प्रदेश के चौरी नामक शहर में हुई हिंसक झड़प ने गांधीजी को अचानक आंदोलन को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया.
गांधी को 10 मार्च 1922 को गिरफ्तार किया गया था और उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया था जिसके कारण उन्हें छह साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन केवल दो साल जेल में सजा दी गई थी.
नमक सत्याग्रह आन्दोलन – Mahatma Gandhi Biography in Hindi
नमक सत्याग्रह गांधी जी के द्वारा चलाये गए महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक था|
उस समय ब्रिटिश सरकार देशवासियों को रोज इस्तेमाल होने वाले नमक को बनाने का भी अधिकार नहीं दिया एवं हमारे देशवासियों को इंग्लैंड से आने वाले नमक के लिये, उसके वास्तविक मुल्य से कई गुना ज्यादा पैसे चुकाना पड़ता था.
ब्रिटिश सरकार के इस कृत्य की खिलाफत करने के लिए 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से चलकर 24 दिन की यात्रा के बाद दांडी पहुंचकर नमक बनाकर क़ानून तोडा|
इसके बाद जो हुआ उसने अंग्रेज सरकार की बुनियाद हिलाकर रख दी, गांधी जी गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में लोगों ने नमक बनाने का बीड़ा उठा लिया और इस वजह से बहुत सारे लोगों को गिरफ्तार किया गया.
पूरे देश के लोगों ने एकजुट होकर ब्रिटिश सरकार के खिलफ सडको पर उतर आये, जिसने अंग्रेज सरकार की रातों की नींद उड़ा दी.
गांधी जी के आगे बढ़कर नेतृत्व करने की वजह से देश में इसके खिलाफ लहर सी दौड़ गयी.
भारत छोड़ो आन्दोलन – Information About Quit India Movement in Hindi
द्वतीय विश्व युद्ध के समय गांधी जी अग्रेजों को अहिन्सात्मक नैतिक सहयोग देने के पक्ष में थे| किन्तु कांग्रेस के नेताओं के विरोध की वजह से बाद में गांधी जी ने ये घोषणा की कि इस युद्ध में भारत किसी भी पार्टी का सहयोग नहीं करेगा|
जैसे जैसे द्वतीय विश्व युद्ध बढ़ता गया, गांधी जी ने आजादी के लिए अपनी मांग “भारत छोडो आंदोंलन” नामक आन्दोलन तीव्र कर दिया.
भारत छोडो आन्दोलन धीरे-धीरे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संघर्ष का सबसे बड़ा आन्दोलन बन गया| इस आन्दोलन में हजारों की तादात में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मारे गए और बहुत बड़ी संख्या में लोग घायल हुए, एवं हजारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गिरफ्तारी हुए और अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी को भी गिरफ्तार कर लिया.
गांधी जी के लिए कारावास का यह समय काफी मुश्किल भरा रहा| कारावास के समय एक ओर जहाँ उनकी धर्म – पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत हो गया वहीं दूसरी और उनके निजी सचिव महादेव देसाई का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी.
परन्तु अंत में जीत महात्मा गांधी के साथ भारतवासियों की हुई और अंत में अंग्रेजो को भारत छोर जाना ही पड़ा, और तब हमारा देश – भारत के स्वतंत्र देश बना| उसी दिन से प्रति वर्ष हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने लगे.
Negotiations over Round Table Conferences – गोलमेज सम्मेलनों पर बातचीत
गांधी-इरविन संधि के बाद, गांधी को अंग्रेजों द्वारा गोल मेज सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया था| जबकि गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए दबाव डाला, ब्रिटिश ने गांधी के उद्देश्यों पर सवाल उठाया और उनसे पूरे राष्ट्र के लिए बात नहीं करने को कहा.
उन्होंने अछूतों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कई धार्मिक नेताओं और भीमराव अम्बेडकर को भी उस गोलमेज सम्मेलनों में आमंत्रित किया.
अंग्रेजों ने विभिन्न धार्मिक समूहों के साथ-साथ अछूतों को कई अधिकारों का वादा किया और इस कदम के डर से भारत आगे विभाजित होगा, गांधी ने उपवास करके इसका विरोध किया.
दूसरे सम्मेलन के दौरान अंग्रेजों के असली इरादों के बारे में जानने के बाद, वह एक और सत्याग्रह के साथ आए, जिसके लिए उन्हें एक बारगिरफ्तार किया गया था.
Mahatma Gandhi Freedom and Partition of India – भारत की स्वतंत्रता और विभाजन
ब्रिटिश कैबिनेट मिशन द्वारा 1946 में पेश किए गए स्वतंत्रता सह विभाजन प्रस्ताव को महात्मा गांधी द्वारा अन्यथा सलाह दिए जाने के बावजूद कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया था.
सरदार वल्लभ भाई ने गांधी को आश्वस्त किया कि गृह युद्ध से बचने का यह एकमात्रन तरीका है और उन्होंने अनिच्छा से अपनी सहमति दी.
भारत की स्वतंत्रता के बाद, गांधी ने हिंदुओं और मुसलमानों की शांति और एकता पर ध्यान केंद्रित किया.
उन्होंने दिल्ली में अपनी अंतिम उपवास का शुभारंभ किया, और लोगों को सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए कहा और रुपये का भुगतान करने पर जोर दिया.
विभाजन परिषद के समझौते के अनुसार 55 करोड़, पाकिस्तान को दिए जाएंगे।
अंतत: सभी राजनीतिक नेताओं ने उनकी इच्छाओं को स्वीकार किया और फिर उन्होंने अपना उपवास तोड़ा.
महात्मा गांधी जी की हत्या कैसे हुई ? – Death Of Mahatma Gandhi in Hindi
30 जनवरी सन् 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गयी|
इस वजह से नाथू राम गोडसे को फांसी की सजा दी गयी| गांधी जी को तीन गोलियां मारी गयी थी, अंतिम समय उनके मुख से निकले शब्द “हे राम” थे|
उनकी मृत्यु के बाद नई दिल्ली के राजघाट पर उनका समाधी स्थल बनाया गया| भारत की स्वतंत्रता के नायक महात्मा गांधी की मृत्यु पर पूरे देश ने शोक मनाया.
वह एक ऐसे महान नेता थे, जो बिना किसी अस्त्र-शस्त्र के ही अंग्रेज सरकार को देश से बाहर निकाल दिया| उन्होंने अपना पूरा जीवन देश कल्याण के लिए समर्पित कर दिया.
अपने कार्यों, विचारों एवं अनुशासन की वजह से उनका जीवन पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का श्रोत हैं.
ऐसे महान नेता को हम सभी भारतवासियों को एक सलाम है| जय हिन्द..!
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बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखा है आपने
Mahatma Gandhi ji jindabaad
Nice post, keep it up
Nice bhai
Bahut Hi Sundar Sir,,, Nyc Post