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महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय
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(रामायण रचयिता) महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय और उनका इतिहास

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका आपकी अपनी साईट HimanshuGrewal.com में, दोस्तों आज के इस लेख में हम रामायण के रचयिता श्री महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय के विषय में चर्चा करेंगे.

Maharishi Valmiki Biography in Hindi Language

पूरा नाम : महर्षि वाल्मीकि
वास्तविक नाम : रत्नाकर, अग्नि शर्मा
जन्म : त्रेता युग (भगवान् राम के काल में)
पिता का नाम : प्रचेता
माता का नाम : चर्षणी
पेशा : महाकवि
वाल्मीकि की रचनाएँ : रामायण

आप जानते होंगे की रामयण के रच्यता महर्षि बाल्मीकि ने ही की है, साथ ही साथ महर्षि वाल्मीकि वैदिक काल के महान ऋषियों में माने जाते हैं.

एक पौराणिक कथा के अनुसार वाल्मीकि महर्षि बनने से पूर्व उनका नाम रत्नाकर था, और वो उस वक़्त अपने परिवार के पालन हेतु लोगों को लूटा करते थे.

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय हिंदी में

एक बार उन्हें निर्जन वन में नारद मुनि मिले, तो रत्नाकर ने अपना काम करते हुए उन्हें लूटने का प्रयास किया.

नारद जी ने रत्नाकर से पूछा कि तुम यह निम्न कार्य किसलिए करते हो? इस पर रत्नाकर ने उत्तर दिया कि अपने परिवार को पालने के लिए.

इस पर नारद ने प्रशन किया कि तुम जो भी अपराध करते हो और जिस परिवार के पालन के लिए तुम इतने अपराध करते हो, क्या वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार होंगे?

इस प्रशन का उत्तर जानने के लिए रत्नाकर, नारद को पेड़ से बांधकर अपने घर गए.

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वहां जाकर वह यह जानकर स्तब्ध रह गए कि परिवार का कोई भी व्यक्ति उसके पाप का भागीदार बनने को तैयार नहीं है.

लौटकर उन्होंने नारद के चरण पकड़ लिए, और गिडगिडा कर रोते हुए कहने लगे – अब मै क्या करु?

तब नारद मुनि ने कहा कि – हे रत्नाकर, यदि तुम्हारे परिवार वाले इस कार्य में तुम्हारे भागीदार नहीं बनना चाहते तो फिर क्यों उनके लिए यह पाप करते हो?

इस तरह नारद जी ने इन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें राम-नाम के जाप का उपदेश भी दिया था, परंतु वह “राम” नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे.

तब नारद जी ने विचार करके उनसे मरा-मरा जपने के लिए कहा और मरा रटते-रटते यही “राम” हो गया और निरंतर जाप करते-करते हुए वह ऋषि वाल्मीकि बन गए.

इस नारद से वाल्मीकि की मुलाकात ने उनकी ज़िन्दगी की दिशा बिलकुल ही बदल सी गई.

अब हम विशेष चर्चा करते हैं और जानते हैं महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिन वाल्मीकि जयंती की|

Maharishi Valmiki Jayanti in Hindi (Date of Birth & Death)

आश्विन मास की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस (वाल्मीकि जयंती) मनाया जाता है.

इस साल यानी की (2018) में वाल्मीकि जयंती 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी| वैदिक काल के प्रसिद्ध महर्षि वाल्मीकि ‘रामायण’ महाकाव्य के रचयिता के रूप में विश्व विख्यात है.

महर्षि वाल्मीकि को न केवल संस्कृत बल्कि समस्त भाषाओं के महानतम कवियों में शुमार किया जाता है.

महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है, एक पौराणिक मान्यता के अनुसार उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ.

आइये जानते हैं की उनका नाम बाल्मीकि क्यों और कैसे पड़ा?

माना जाता है कि महर्षि भृगु वाल्मीकि के भाई थे, महर्षि वाल्मीकि का नाम उनके कड़े तप के कारण पड़ा था.

एक समय ध्यान में मग्न वाल्मीकि के शरीर के चारों और दीमकों ने अपना घर बना लिया.

जब वाल्मीकि जी की साधना पूरी हुई उसके बाद वो दीमक उनके शरीर से अपने घर से बाहर निकले.

दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता हैं इसलिए ही महर्षि भी वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए| महर्षि वाल्मीकि संस्कृत के महान आदि-कवि रहे हैं.

जानिये भारत में वाल्मीकि जयंती कैसे मनाई जाती है ?

  1. काफी समय से ही पूरे भारतवर्ष में वाल्मीकि जयंती श्रद्धा-भक्ति एवं हर्षोल्लास से मनाई जाती हैं|
  2. मंदिरों में उनके भक्त श्रद्धालु आकर उनकी पूजा करते हैं| इस मौके पर शोभा यात्रा भी निकाली जाती हैं जिनमें झांकियों के साथ भक्तगण उनकी भक्ति में नाचते, गाते और झूमते हुए आगे बढ़ते हैं.
  3. इस अवसर पर ना केवल महर्षि वाल्मीकि बल्कि भगवान श्रीराम जी के भी भजन भी गाए जाते हैं.

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य के सहारे प्रेम, तप, त्याग इत्यादि दर्शाते हुए हर मनुष्य को सदभावना के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया। इसलिए उनका जन्मदिन एक पर्व के रुप में मनाया जाता है.

आइये जानते हैं महर्षि द्वारा कहे गये एक श्लोक के पीछे की वजह को
  • एक बार महर्षि वाल्मीक एक क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे|
  • वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था, तभी उन्होंने देखा कि एक बहेलिये ने कामरत क्रौंच (सारस) पक्षी के जोड़े में से नर पक्षी का वध कर दिया और मादा पक्षी विलाप करने लगी|
  • उसके इस विलाप को सुन कर महर्षि की करुणा जाग उठी और द्रवित अवस्था में उनके मुख से स्वतः ही यह श्लोक फूट पड़ाः

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥’

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय के इस लेख में बस इतना ही| अगर आपको इनके बारे में और जानकारी प्राप्त करनी है तो आप कमेंट के माध्यम से अपनी बात हमारे साथ प्रस्तुत कर सकते है| हम इस लेख में आपके लिए ज्यादा से ज्यादा जानकारी ऐड करेंगे.

अब मै आपके साथ कुछ वाल्मीकि जयंती पर शेयर किये जाने वाले विशेष Valmiki Jayanti Shayari और Maharishi Valmiki Hindi Quotes शेयर कर रहा हूँ जिसे आप वाल्मीकि जयंती पर अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं.

वाल्मीकि शायरी और विशेस 2018 हिंदी भाषा में

#1. कर दिया महा चमत्कार अपने निर-गुण बालक का कर दिया जीवन उद्धार, गुरु जी के चरणों में मेरा बार-बार प्रणाम|

#2.

वाल्मिकी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।।

रमायण के रचयिता को प्रणाम,
संस्कृत के आदि-कवि को प्रणाम।
वाल्मिकी जयंती की शुभकामनाएं।।

इस पर्व पर हमारी दुआ है कि
आपका पर सपना हो जाए पूरा,
दुनिया के ऊंचें मुकाम आपके होंष
हैप्पी वाल्मिकी जयंती 2017।।

रामायण के है जो रचयिता
संस्कृत के हैं जो कवि महान
ऐसे हमारे पूज्य गुरुवर
उनके चरणों में हमारा प्रणाम।
वाल्मिकी जयंती की शुभकामनाएं।।

महर्षि वाल्मीकि का इतिहास – History of Valmiki in Hindi

वाल्मीकि ॠषि के जन्म को लेकर भी उसी प्रकार का विवाद है जैसा संत कबीर के बारे में है| वाल्मीकि का अर्थ चींटियों की मिट्टी की बांबी है.

जनश्रुति के अनुसार एक भीलनी या निषादनी ने एक एक चींटियों की बांबी पर एक बच्चा पड़ा पाया, वह उसे उठा ले गई और उसका नाम रख दिया वाल्मीकि|

एक अन्य किवंदंति का उल्लेख ऊपर किया ही जा चुका है कि वाल्मीकि ने एक स्थान पर बैठकर इतनी घोर तपस्या की थी कि उनके शरीर पर मिट्टी की बांबी बन गई| उनकी ऐसी दशा देखकर लोग उन्हें वाल्मीकि बुलाने लगे.

यह कथा भी काफी ज्यादा प्रचलित है कि वास्तव में बाल्मीकि एक ब्राह्मण परिवार से थे और एक भीलनी उन्हें चुराकर ले गई थी.


प्रिय मित्रो, महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय का यह चैप्टर यही पर खत्म होता है| उम्मीद है की आपको यहाँ सारी जानकारी प्राप्त मिली होगी.

अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ शेयर कर सकते हो और इस लेख को फेसबुक, ट्विटर, गूगल+ और व्हाट्सएप्प पर शेयर कर सकते हो जिससे और लोगो को भी इनके बारे में पता चल सके.

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7 Comments

  1. Hello Himanshu Bro
    Maine Pahli Bar Aapke Blog Ko Visit Kiya .. Padhke Kafi Accha Laga ..
    Ab Mai Daily Post Read Karunga .. Kafi Acchi Skill Hai Aapki
    Thank You For Sharing Information & History

    I invite you and all the visitors to this blog on the Technology in Hindi blog .

    Ho Sake To Visit Karke Kamiya Bataye

    1. आपकी साईट भी अच्छी है डिजाईन भी अच्छा है| कैसे काम कर रहे हो वैसे ही करते रहो| 🙂

      1. Thank you bro
        Q1 Aapke Blog Mujhe Guest Post Karni Hai Rules Ho to Bataye
        Aur aap bl lifetime rakhenge ya nahi
        Q2 hq bl build karne ke liye aap kha guest post karte hai

  2. ये पूरा सत्य नहीं है! सत्य तो यह है की श्री Maharshi Valmiki निषाद ( भील) समाज की पुत्र थे!
    आप किसी ब्राह्मण का पुत्र बता रहे है , और भीलनी ने चुरा लिया था क्या अनाप सनाप अपने हिसाब से history को तोड़ मरोड़ कर पेश करके लोगों में भ्रांतियाँ उत्पन कर रहे है! क्या कोई भीलनी जो जंगल में निवास करते थे किसी ब्राह्मण के पुत्र को चुराने की चेष्टा कर सकती थी! जहां सभी वर्णो के लोग ब्राह्मण को ईश्वर मानते थे!उस समय कहा जाति व्यवस्था थी?उस समय वर्ण व्यवस्था थी! किसीभी वर्ण का व्यक्ति ईश्वर की तपस्या कर ज्ञान और दैविक शक्ति प्राप्त कर लेता था वह ब्राह्मण या महाऋषि कहलाता था! ये तो ब्राह्मण समाज के लोग अपने निजी लाभ हेतु सभी छोटी जाति के ज्ञानी और प्रशिधि प्राप्त व्यक्ति उनके हिसाब से वे सब ब्राह्मण जाती से थे! बाक़ी सब शूद्र ! ये कहा से न्याय संगत है!

    स्वयं वाल्मीकि जी ने अपने मुख से कहा है क़ि,

    मॉ निषाद प्रतिस्ठाम त्यमगमह शास्वतिये समाँ.

    धन्यवाद

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