रंगों का त्योहार होली पर निबंध
आज मैं आपको मेरा प्रिय त्योहार होली पर निबंध के बारे में बताऊंगा। यहां आपको होली क्यों मनाई जाती है, होली के बारे में जानकारी होली पर छोटा निबंध अथवा होली की जानकारी मिलेगी।
2021 की होली कब है
Holi 2021 Date: Sunday, March 28 (रविवार, 28 मार्च के दिन)
मेरा प्रिय त्योहार होली रंगो का त्यौहार है। सभी बच्चे और बड़े एक दूसरे के घर जाकर गले लगकर और उनके गाल पर गुलाल लगाकर होली की बधाई देते है। इस पर्व के बारे में जितना बोलू उतना कम है। तो आईये Very short essay on Holi in Hindi 100 words का यह निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।
My Favourite Festival Holi Essay in Hindi
Essay on Holi in Hindi 10 Lines
होली का त्योहार हिंदुओं का एक लोकप्रिय त्यौहार है। यह बहुत ही मनोरंजक त्यौहार हैं। एक दूसरे पर रंग डालने व अपने साथी के चेहरे को रंगीन बना देने में कितना आनन्द आता है। होली का त्यौहार बच्चों के लिए बड़ी खुशी व मोज-मस्ती का त्यौहार हैं। रंग खेलने के एक दिन पहले होलिका जलाई जाती हैं।
होली फेस्टिवल फाल्गुन (मार्च) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन शाम को किसी चोराहे पर लकड़ी आदि एकत्रित करके जलाते हैं। इस दिन गाँव के किसान अपनी फसल के नये दाने अग्नि को चढ़ाते हैं। होलिका की अग्नि में नये अन्न चढ़ाने के बाद ही किसान नया अन्न खाना शुरू करता है। दूसरे दिन रंग खेला जाता है। यद्यपि रंग के कई दिन पहले से ही लोग होली गीत (होली के गाने) व खेलना शुरू कर देते है लेकिन रंग के दिन प्रातः काल से लोग रंग के साथ खेलना शुरू कर देते है। लोग एक दूसरे पर गुलाल लगाते हैं, रंग छिड़कते हैं और गले मिल कर होली की बधाई देते हैं। बच्चे अपने दोस्तों को रंग से भर देने की ताक में रहते है, मौका मिलते ही वह अपने दोस्तों को रंग से सराबोर कर देते है फिर सब खुशी के मारे उछल पड़ते है और हँसते हैं।
होली से जुड़ी कुछ जरूरी बात
होली मेल व एकता का पर्व है। यह सब के साथ प्रेम से खेलने के लिए है इसलिए इस मौके पर किसी पर कीचड़ आदि गलत चीजें नहीं डालनी चाहिए केवल प्यार व प्रेम से रंग खेलना चाहिए।
होली का क्या महत्व है?
हिन्दुओं के सभी त्योहारों में होली का पर्व सबसे पवित्र माना जाता है। इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता हैं। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग एक दूसरे के प्रति द्वेष, क्रोध की भावना को त्यागकर मित्रता की भावना से गले लगकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। यह त्यौहार मनुष्य के अंदर की सच्चाई और प्रेम भावना को उजागर करने में उनकी सहायता करते हैं। प्रेम और आनंद से बड़ी दुनिया में कोई चीज नहीं, इसीलिए होली के उत्सव में लोग एक दूसरे के गालों पर रंग लगाकर उनसे अपना स्नेह जताते हैं।
होली में जब अलग अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं, तो उन पकवानों के स्वाद में बनाने वाले के प्रेम का भी स्वाद आ जाता है। होली का यह त्यौहार मनुष्य के अंदर की नकारात्मक भावना को खत्म करने और सकारात्मक भावना का संचार करने का कार्य करता है। ऐसा भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को होली के दिन लाल गुलाल लगाता है तो उन दोनों के बीच सारे मतभेद और द्वेष खत्म हो जाते हैं।
होली के त्यौहार पर क्या क्या किया जाता है कोई पांच बातें बताइए?
होली के त्योहार के दिन निम्न चीजें की जाती हैं-
- होली के दिन खूब ढोल नगाड़े और गाना बजाया जाता है। लेकिन आज के समय में ढोल नगाड़े की जगह DJ ने ले ली है।
- होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और रंग से भरा पानी एक दूसरे के ऊपर फेंकते हैं।
- होली के दिन सभी के घरों में भिन्न-भिन्न जायकेदार पकवान बनाए जाते हैं।
- होली के दिन अपने बड़ों को रंग लगाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।
- साथ ही कुछ लोग भांग पीकर लोग होली के दिन खुशी और आनंद में झूमते हैं।
होली के रंगों का त्योहार क्यों कहा जाता है?
होली को रंगों का त्योहार कहने के पीछे मुख्य कारण यह है कि होली के दिन सभी लोग प्रेम, भाईचारा की भावना के साथ एक दूसरे को रंग लगाते हैं। होली का प्रत्येक रंग जीवन की उमंग, महत्व को दर्शाता हैं। इन भावनाओं से जीत हमेशा सच्चाई और प्रेम की ही होती है।
होली कब और क्यों मनाते हैं?
हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों में खुशियों का त्योहार या यह कहें कि रंगों का त्योहार होली है। यह हिंदू पंचांग के फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती हैं। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने आती है लेकिन फाल्गुन महीने के पूर्णिमा की बात अलग है। होली मनाए जाने के पीछे कई सारे कारण है। कई पौराणिक कथाएं और लोक गाथाएं है जो यह साबित करती है कि होली आज का नहीं बल्कि सदियों पुराना त्यौहार है।
होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथाएं
होली मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई पौराणिक मान्यताएं हैं, जिसके कारण होली मनाई जाती है। जैसे–
- होली के दिन भगवान विष्णु ने अपना नरसिंह अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप नामक असुर का वध करके अपने प्रिय भक्त प्रहलाद को अपने दिव्य महाकाय रूप का दर्शन दिया था।
- हिंदू कैलेंडर की बात करें तो होली के दिन से संवत की शुरुआत हुई थी।
- ऐसी भी माना जाता है कि शिवजी की दृष्टि से भस्म हो चुके कामदेव का पुनर्जन्म होली के दिन ही हुआ था। इसीलिए उनके जन्मोत्सव की खुशी में लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली खेलते हैं।
- होली के इस पवित्र दिन में ही विष्णु अवतार श्री कृष्ण के द्वारा पूतना नामक राक्षसी का वध हुआ था। उस विशाल राक्षसी के वध की खुशी में पूरे गोकुल वासियों ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए रासलीला मनाई और एक दूसरे को रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाया था।
होली मनाने के पीछे के सामाजिक कारण
जहां होली मनाए जाने के पीछे कई सारे पौराणिक कथाएं और कहानी हैं। वही होली मनाने के पीछे कुछ सामाजिक कारण भी है जिसे आप नीचे गए तथ्यों से समझ सकते हैं।
होली को वसंत ऋतु का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि होली सर्दियों के मौसम के बाद वसंत ऋतु में आती है और इस समय किसानों के फसल पकने लगते हैं। जिससे किसान अच्छे फसलों की पैदावार होने की खुशी में एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां एक दूसरे को रंग लगा कर बांटते हैं। किसी कारण होली को वसंत का त्योहार नाम से भी जाना जाता है। हिंदू के सभी त्यौहार में होली के त्यौहार को अधिक मान्यता इसलिए दी जाती है क्योंकि यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग लगाकर अपनी सारी शत्रुता और कड़वाहट भुला देते हैं। केवल प्रेम का भाव ही हर जगह छाया रहता है।
होली का अर्थ क्या है?
ऐसा माना जाता है कि होली शब्द अंग्रेजी भाषा के Holi से लिया गया है। जिसका शाब्दिक अर्थ पवित्रता होती हैं। और यही कारण है कि होली के त्यौहार को पवित्रता से दर्शाया जाता है। होली हिंदुओं का एक ऐसा त्यौहार है जिससे रंगों के साथ मनाया जाता है लेकिन अगर इस त्यौहार में पवित्रता का रंग शामिल हो जाएं तो इसकी महानता कई ज्यादा बढ़ जाती हैं।
होली का इतिहास क्या है?
हिंदुओं के सभी पर्वों में होली का त्योहार सबसे प्राचीन माना जाता है। यह त्यौहार इतना पुराना है कि इस त्यौहार का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। साथ ही होली के विषय में कई सारी लोक कथाएं प्रचलित हैं। प्राचीन समय में होली को होलिका के नाम से भी जाना जाता था। होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के फाल्गुन मास में मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव के नाम से भी पुकारा जाता है। बहुत से इतिहासकारों का यह मानना है कि होली महोत्सव आर्य के समय से मनाया जा रहा है।
हर्ष और उल्लास से मनाएं जाने वाले होली के त्योहार का वर्णन कई सारे धार्मिक पुस्तकों जैसे जैमिनि के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा ग्राह्य-सूत्र में मिलता है। इन धार्मिक पुस्तकों के अलावा कई सारे पुराण जैसे नारद पुराण और भविष्य पुराण में होली के उत्सव का बहुत अच्छे से वर्णन किया गया है। विंध्याचल के क्षेत्र में रामगढ़ नाम का एक ऐसा स्थान है जहां ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी हिंदुओं के पवित्र होली का उल्लेख किया गया है।
भारत का भ्रमण करने वाले अलबरूनी ने अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होली के त्यौहार का वर्णन किया है। इतिहास के पुराने चिन्हों में यह देखा गया है कि होली के त्यौहार को ना सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिम भी मनाते हैं। भारत के प्रमुख कवियों के लेखों को देखकर इस बात का स्पष्टीकरण मिलता है।
होली की शुरुआत कैसे हुई?
हिंदू धर्म के पौराणिक और धार्मिक कथाओं के अनुसार होली की शुरुआत विष्णु अवतार नरसिंह के द्वारा हिरण्यकश्यप नामक दैत्य की मृत्यु से होती हैं।
बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नामक असुर ने हर तरफ त्राहि त्राहि मचा रखी थी। असुर देवों की पूजा करने खासकर विष्णु जी की भक्ति करने से लोगों को रोकता था। लेकिन इस असुर के घर में ही एक बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। हिरण ने अपने बेटे को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका लेकिन उसके पुत्र ने उसकी बिल्कुल बात ना सुनी। इसीलिए हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को ही मारने का निश्चय किया।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने का षड्यंत्र रचा था। लेकिन वह षड्यंत्र पूरी तरह उल्टा हो गया और प्रहलाद के जगह होलिका को मृत्यु अपने साथ ले गई। अपने भक्त प्रह्लाद को दुष्ट राक्षस से बचाने के लिए विष्णु जी ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। उस दिन सभी लोग इस दैत्य के अत्याचारों से मुक्त हो गए और इस खुशी को बांटने के लिए उन्होंने एक दूसरे को रंग लगाते हुए पहली बार होली का त्यौहार मनाया था। इसलिए माना जाता है कि तब से ही होली की शुरुआत हुई थी।
आपसे निवेदन है कि अगर आपको होली पर निबंध पसंद आया हो तो इसको आप सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें। आपको और आपके परिवार वालों को होली की शुभकामनाएं।
हिमांशु भाई आपके लिखने का अंदाज वाकई में काबिले तारीफ है । कम शब्दों में बेहतरीन लेख लिखना कोई आपसे सीखे ।
🙂 Thankyou!
Great essay in Hindi..
Good but spellings mistake( don’ t be nervous about)
Hey Great Information
Thanks
Hi, Sir
Fantastic Holi POst!
Happy Holi sir
I found the step-by-step instructions to be super helpful for the essay.
Thanks so much!
Thanks for the wonderful thing
Holi par Bahut hi Badhiya essay
A good and very useful blog. Keep posting such blogs.
Thanks