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Tenali Ramakrishna Stories in Hindi

तेनालीराम की चतुराई भरी कहानियां

॥ Tenali Ramakrishna Stories in Hindi / तेनालीराम की कहानियां / तेनाली रामकृष्ण की कहानी॥

बचपन में टीवी पर या आज भी इंटरनेट पर आपने तेनालीराम की कहानी जरूर सुनी होगी।

Biography of Tenali Raman in Hindi

तेनालीराम एक लोकप्रिय तेलुगू कवि थे। कुशाग्र बुद्धि की वजह से राजा कृष्णदेव राय के दरबार में उनकी एक मुख्य भूमिका होती थे

तेनालीराम अपने ऊपर आने वाली सभी परेशानी तथा राजा की सभी समस्याओं को हल करते थे जिससे राजा भी उन्हें बेहद पसंद करते थे। परंतु विजयनगर साम्राज्य के राजपुरोहित तथाचार्य तेनालीराम/ तेनाली से बैर रखते थे।

वे अपने दोनों शिष्य धनीचार्य और मनीचार्य के सामने मिलकर हमेशा तेनालीराम को गिराकर उन्हें संकट में डालने की हरसंभव कोशिश करते थे। परंतु तेनाली हर बार उनकी इस कोशिश को नाकाम कर राजा का दिल जीत लेते थे।

तेनालीराम की बुद्धि एवं संयम की वजह से मुसीबतों से बाहर निकलने का यह अंदाज पाठकों को खूब पसंद भी आता है। यही वजह तेनालीराम की हिंदी Stories इंटरनेट पर खूब सर्च की जाती है।

इस लेख में हम आपके साथ तेनालीराम की चतुराई एवं हास्य से भरी कहानियों (Tenali Raman Stories in Hindi) का वर्णन करने जा रहे हैं। हमें आशा है यह आपको जरूर पसंद आएंगी।

Tenali Ramakrishna Stories in Hindi

तेनालीराम कहानी 1. तेनालीराम ने दिया ईमानदारी का बेहतरीन सबूत

Tenaliram Gave Excellent Proof of Honesty Story in Hindi

तेनालीराम दिमाग से चतुर होने के साथ-साथ काफी ईमानदार एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। इसलिए दरबार में कई लोग उनकी इसी इमानदारी से जलते थे और तेनालीराम दरबारियों के इस स्वभाव से भली-भांति परिचित थे।

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एक बार की बात है राजा को तेनालीराम के खिलाफ भड़काने के लिए दरबार में उपस्थित तेनालीराम के सभी शत्रुओं ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने तेनालीराम के बारे में कई झूठी बातें राजा के कानों में भर दी।

अब राजा, हालांकि तेनालीराम पर बेहद भरोसा करते थे परंतु अगले दिन जब सभी दरबार में उपस्थित हुए तो उन्होंने तेनालीरामा से कहां

“मैंने सुना है तुम राज्य के लोगों पर अतिशयोक्ति कर रहे हो, उनके पैसे लूट रहे हो एवं चोरी कर रहे हो”

यह सुनकर तेनालीराम बेहद दुखी हुए, और उन्होंने राजा से प्रश्न किया कि क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है? और आपको इन मंत्रियों की बातों पर पूर्ण विश्वास है?

राजा ने उत्तर दिया “हाँ, यदि तुम बेकसूर हो तो हमें इसका सबूत चाहिए”

अब यह सुनते ही तेनाली तुरंत दरबार से चला गया।

अब कुछ दिन ऐसे ही बीत गए राजा तेनालीराम के बारे में अभी भी सोच ही रहा था। कुछ देर बाद एक सैनिक राजा के लिए पत्र लेकर आता है जिस पत्र में लिखा गया था कि:

“मुझे यह सुनकर अत्यंत दुख पहुंचा है कि आप मुझे चोर समझते हैं और मैं यह दुख सहन नहीं कर सकता। मैंने आपके लिए तथा प्रजा के भले के लिए हमेशा स्वेच्छापूर्वक कार्य किया। लेकिन मेरी इस बेगुनाही का प्रमाण यही है कि मैं इस समय आत्महत्या कर लूं”

राजा पत्र को पढ़कर दुखी हो गए तथा दरबार में जोर-जोर से कहने लगे तेनाली वापस आ जाओ यह खुद को साबित करने का सही माध्यम नहीं है, तेनाली लौट आओ”

तेनाली के सभी शत्रु सोच रहे थे कि अब तेनालीराम वापस नहीं आएगा तथा यह सुनकर मंत्री गण जोर-जोर से तेनालीराम की अच्छाइयों का गुणगान करने लगे तथा दरबार में हर जगह तेनाली की तारीफों के पुल बांधे गए।

परंतु तेनालीराम वही भेष बदलकर दरबार में मौजूद थे और मंत्रीगण की इस मूर्खता पर मन ही मन खुश हो रहे थे और कुछ समय पश्चात उन्होंने अपना भेष बदलकर वापस अपने असली भेष में राजा के सामने उपस्थित हो गए।

राजा तेनालीराम को देखकर बेहद खुश हो गए और फिर तेनाली ने राजा से कहा महाराज दरबार में उपस्थित सभी लोगों ने मेरे बारे में सभी बातें अच्छी ही कहीं। अब भला इससे अच्छा और क्या रास्ता है जिससे मैं अपनी ईमानदारी साबित कर सकूं?

राजा तेनाली के खुद को ईमानदार साबित करने के इस अंदाज से बेहद प्रसन्न हुए और क्षमा मांगते हुए राजा ने तेनाली को गले लगा लिया।

Tenali Raman Short Stories in Hindi PDF with Moral

तेनालीराम की कथाएं 2. बूढ़े राज दरबारी के जाने से राजा को हुआ दुख

The king was saddened by the departure of the old royal court

बात उस समय की है जब राज दरबारी देव प्रिया जो अब बुजुर्ग अवस्था में चले गए थे। तथा उनका शरीर काफी कमजोर भी हो चुका था। अब वह इस अवस्था में अपने अंतिम दिनों को अपने परिवार के साथ गांव में बिताना चाहते थे।

लेकिन समस्या यह थी कि वह राजा कृष्णदेवराय के दरबार में काफी लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे थे और राजा समय-समय पर उनकी सलाह लेते रहते थे।

परंतु समय के साथ बूढ़े दरबारी की उम्र बढ़ रही थी इसे देखते हुए राजा ने नहीं चाहते हुए भी उस बूढ़े दरबारी को वापस उनके गांव भेजना ही उचित समझा! तथा पूरे सम्मान के साथ उसे विदा कर दिया।

बूढ़े दरबारी के जाते ही राजा का मानो जैसे सुख-चैन ही चला गया! एक हफ्ता बीत गया राजा दु:खी परेशान दिखाई देते थे, क्योंकि वह बूढ़ा दरबारी राजा के मुख्य सलाहकारों में से एक था।

अब तेनाली रामकृष्ण भी राजा की यह हालत देखकर बहुत चिंतित था। उसे लगने लगा कि जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया तो यह राजा एवं पूरी प्रजा के लिए कष्टकारी साबित होगा।

इस समस्या का हल निकालने के लिए तेनाली अगले दिन दरबार में नहीं गए। उससे अगले दिन भी नहीं गए। और इसी तरह पूरा एक हफ्ता बीत गया तेनालीराम दरबार में दिखाई नहीं दिए। जिसे देखते हुए राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे तेनालीरामा के घर पर जाएं और उसके हाल समाचार लेकर आएं।

परंतु तेनाली रामा के घर पर भी ताला लगा हुआ था और उनके बारे में कोई सूचना सैनिकों को नहीं मिली। और अब राजा पहले से और अधिक परेशान रहने लगे।

उन्हें लगा अब तेनाली भी दरबार छोड़कर हमेशा के लिए जा चुका है। जिसे देखते हुए एक दरबारी ने कहा महाराज अपने मन की शांति के लिए क्यों ना राज्य का भ्रमण किया जाए?

राजा को यह सलाह पसंद आई और राज्य का दौरा करते करते हुए एक नदी पर जा पहुंचे।

नदी के तट पर साधु बैठे हुए थे तथा अपनी तपस्या में लीन थे, राजा ने नदी की ओर देखकर सुंदर जल को निहारा और कुछ समय बाद वापस अपने महल में लौट आए।

राजा अगले दिन फिर से उसी स्थान पर गए तथा नदी की सुंदरता देखते हुए जल के प्रवाह का वर्णन करते हैं। यह बातें जब साधु को सुनाई देती है तो वह हंसने लगता है।

राज्य को लगा यह साधु क्यों हंस रहे हैं?

तब साधु ने कहा जिस प्रकार यह जल गतिशील है उसी तरह हमारा जीवन भी गतिशील है। कल आपने जिस जल को देखा वह बह चुका है, उसके स्थान पर नया जल बह रहा है। इसी प्रकार हमारे जीवन में भी यही होता है।

जीवन में कहीं अच्छे तथा बुरे लोग आते हैं और चले जाते हैं। तो फिर आप क्यों उस बूढ़े दरबारी को लेकर इतने दुखी हैं?

राजा ने कहा:

बूढ़े दरबारी का तो ठीक है परंतु वह तेनाली जिसे मैं बेहद पसंद करता था वह भी अब मुझसे दूर हो चुका है वह तो जवान था आखिर उसने ऐसा क्यों किया होगा?

साधु ने कहा:

तुम्हारी इस समस्या का हल मेरे पास है और मैं इस समय आपके सामने तेनाली को ला सकता हूं लेकिन उससे पूर्व आपको मुझसे यह वादा करना होगा कि आप अपने राज्य को बिना किसी चिंता के चलाते रहेंगे तथा हमेशा खुश रहेंगे।

यह कहकर तेनाली रामा जिसने साधु के वस्त्र पहने हुए थे राजा को अपना असली रूप दिखाया। राजा तेनाली को देखते ही बेहद प्रसन्न हो गए तथा तेनाली को गले लगाकर दोनों वापस महल की ओर चल दिए।

Tenali Rama Biography in Hindi

तेनालीराम कौन थे?

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार तेनालीराम का जन्म 16वीं शताब्दी (1514) में भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर जिले में हुआ था। ब्राह्मण परिवार में जन्मे तेनालीराम के बचपन का नाम गरलापति रामकृष्ण शर्मा था।

तेनालीराम के पिता का नाम गरालपति रामैया था। जो तेनाली नगर के रामलिंगेस्वर स्वामी मंदिर में पुरोहित थे। बचपन में ही उनका स्वर्गवास हो गया था जिसके पश्चात तेनाली रामा के लालन पालन के लिए उनकी माता लक्षम्मा तेनाली अपने भाई के साथ रहने लगी।

कहा जाता है कि तेनालीराम ने अपनी बाल्यावस्था में कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की हालांकि बाद में वे ज्ञान की सुधा से प्रकांड विद्वान हुए। इसलिए यह गौर करने वाली बात है कि किसी तरह की शिक्षा नहीं प्राप्त करने के बावजूद भी एक महान कवि बने। जिन्हें मराठी, तमिल, कन्नड़ इत्यादि दक्षिण भारतीय भाषाओं का विशेष ज्ञान था।

तेनाली रामा ने धर्म के विषय पर भी रचनाएँ की हैं। माना जाता है कि तेनालीराम मूल रूप से एक शैव थे। तथा उन्हें राम सिंह के नाम से जाना जाता था। परंतु समय परिवर्तन अनुसार उन्होंने वैष्णव धर्म ग्रहण कर लिया तथा उनका नाम परिवर्तित होकर रामकृष्ण रख लिया।

Tenali Ramakrishna Stories in Hindi

तेनाली और राजा कृष्णदेव राय की जोड़ी

जिस तरह अकबर–बीरबल की जोड़ी इतिहास में सदा के लिए मशहूर हो गई। उसी प्रकार विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय तथा तेनालीराम की जोड़ी एक समान मानी जाती है।

तेनाली राम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में अष्टदिग्गजों में से एक थे। यह शब्द विजयनगर साम्राज्य में 8 कवियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह अष्टदिग्गज दरबार के प्रमुख स्तंभ कहे जाते थे। इसलिए तेनालीराम को एक महान कवि के रूप में भी आज हम जानते हैं।

माना जाता है कि पहली बार कृष्ण देवराय तथा तेनाली रामा की मुलाकात नाटकीय रूप से हुई। विजयनगर साम्राज्य में कवि के रूप में कार्य करने से पहले तेनाली रामा कवि सम्मेलनों में भाग लेते थे।

एक बार की बात है तेनाली अपनी मंडली को लेकर विजयनगर साम्राज्य में कोई कार्यक्रम कर रहे थे। और इसी बीच कृष्ण देवराय का भी वहां पर आना हुआ, उन्हें कार्यक्रम में तेनाली का प्रदर्शन बेहद अच्छा लग। और राजा ने तेनालीराम को दरबार में एक कवि का कार्यभार सौंप दिया।

इस प्रकार अपनी चतुर बुद्धि से तेनालीराम अनेक वर्षों तक कृष्ण देव राय की सहायता करते रहे। और जब भी राजा किसी मुसीबत में फंसते तो उन अष्टदिग्गजों में से उन्हें तेलामी की याद आती थी।

तेनाली पर बनी फिल्में और नाटक

दोस्तों तेनालीराम की जीवन शैली तथा उनके जीवन पर आधारित बनी फिल्में ने सिर्फ व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक साबित है। बल्कि हास्य से भरपूर तेनाली की यह कहानियां बच्चों को बेहद पसंद भी आती हैं।

तेनाली रामा के जीवन पर आधारित एक कन्नड़ फिल्म भी रिलीज की गई है। इसके अलावा SAB TV में भी तेनालीरामा तथा राजा कृष्णदेव राय के दरबार में होने वाली घटनाओं को हमने देखा है।

इसके अलावा तेनाली के जीवन से प्रेरित होकर बच्चों के लिए कार्टून नेटवर्क पर “The Adventures of Tenali Raman” एक प्रोग्राम भी बनाया गया जो काफी पसंद भी किया गया।

साथ ही पुस्तकों में भी उनकी प्रेरणादाई एवं मनोरंजक कहानियों को हम आज पढ़ सकते हैं। या इंटरनेट पर देख सकते हैं।

तेनालीराम ने अपनी बुद्धि के बल पर बड़ी बड़ी मुसीबतों का सामना कर खुद की जान बचाने के साथ ही कई बार राजा की रक्षा की।

Facts About Tenali Rama in Hindi

बचपन में तेनाली रामा के शिक्षा न प्राप्त कर पाने की मुख्य वजह थी उनकी धार्मिक मान्यता।

कहा जाता है कि तेनाली भगवान शिव के उपासक होने के बाद वे वैष्णव धर्म (विष्णु भगवान की उपासना) की उपासना करने लगे। जिससे गुरुकुल में शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने से उन्हें वंचित होना पड़ा।

तेनालीराम अपने हास्य एवं कुशाग्र बुद्धि से काफी मशहूर हुए। उनकी तुलना बीरबल से की जाती है।

तेनालीराम के जीवन पर आधारित काल्पनिक घटनाओं को कार्टून नेटवर्क चैनल पर The adventures of Tenali Raman नामक धारावाहिक के माध्यम से बच्चों के लिए भी प्रस्तुत किया गया था।

तेनाली गांव से संबंध होने की वजह से बाद में उनका नाम तेनाली रखा गया।

तेनालीराम का जीवन परिचय
नाम तेनाली रामकृष्ण
पिता गरालपति रामैया
माता लक्षम्मा तेनाली
पत्नी शारधा
बचपन का नाम गरालपति रामाकृष्णा शर्मा
पुत्र भास्कर शर्मा
पेशा कवि

प्रश्न: तेनालीराम की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर: सांप के काटने से।

प्रश्न: तेनालीराम की मृत्यु कब हुई?
उत्तर: सन् 1575।

प्रश्न: तेनालीराम का पुत्र कौन था?
उत्तर: भास्कर शर्मा

आज का यह लेख यही समाप्त होता है। आशा है, आपको इस लेख में तेनाली रामा के जीवन से संबंधित उपयोगी जानकारी प्राप्त हुई होगी।

आप अपने विचारों को टिप्पणी बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं, साथ ही Tenali Ramakrishna Stories in Hindi को सोशल मीडिया पर भी जरूर शेयर करें।

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