इस लेख के माध्यम से आज हम सभी भक्त गणेश चतुर्थी पूजा विधि, गणेश चतुर्थी कथा, गणेश चतुर्थी के टोटके अथवा गणेश पूजन सामग्री के बारें में जानेंगे.
About Ganesh Chaturthi in Hindi
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्यौहार है| यह त्यौहार महाराष्ट्र में बहुत जोर शोर से और उत्साह के साथ बनाया जाता है.
यह त्यौहार भारत के कई अलग अलग राज्यों में भी मनाया जाता है| कहते है कि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था तबसे यह प्रथा चलती आ रही है.
उनके जन्मदिवस को प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है तबसे प्रत्येक वर्ष भगवन गणेश की सुन्दर प्रतिमा की स्थापना करते है फिर नो दिन तक भगवन गणेश जी की प्रतिमा का विधिवत पूजन करते है तथा नो दिन के बाद इस प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दिया जाता है.
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गणेश चतुर्थी की कथा
शिवपुराण में रूद्र सहिंता के चतुर्थ खंड में वर्णन है की माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मेल से एक बालक को उत्पन्न किया था तथा उसे द्वारपाल बनाकर तब वे नहाने गयी थी.
उस दौरान महादेव तपस्या पूर्ण कर वापस कैलाश लोट रहे थे तो माता पार्वती द्वारा बनाये उस बालक ने महादेव का रास्ता रोक उन्हें क्रोधित कर दिया परन्तु अंदर जाने नहीं दिया.
महादेव ने क्रोध में आकर उस बालक का अपने त्रिशूल से सर काट दिया इससे माता पार्वती क्रोध में आ गयी और भगवती ने क्रोध में आकर अपने बालक के मोह में आकर पूरी शृस्टी का विनाश करने की ठान ली.
सभी देवताओ ने भयभीत होकर भगवती की स्तुति कर उन्हें शांत करने का प्रयत्न किया फिर शिव जी ने अपने गणो का आदेश दिया.
जो भी बालक उत्तर दिशा की और सर करके सोया होगा उसका सर काट कर ले आये.
गणो ने पहला बालक हाथी का देखा जो उत्तर दिशा की और सर करके सोया था| गण देव उसी हाथी बालक का सर काट कर ले आये महादेव ने गज के सर को गणेश जी के धड़ पर रख कर उन्हें पुनः जीवन दान दिया.
माता पर्वती ने गजमुखी गणेश जी को सिने से लगा लिया और बहुत प्रसन्न हुई और सभी गण देवो का आभार करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया.
त्रिमूर्ति ने गजमुखी बालक को सर्वाध्यक्ष अग्रपूज्य होने का वरदान दिया.
महादेव ने उन्हें कहा गणेश विघ्न नाश करने में आपका नाम सर्वोपरि होगा हर पूजा में सबसे पहले आपका पूजन किया जायेगा तब ही पूजा सफल होगी अन्यथा नहीं|
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गणेश चतुर्थी पूजा विधि
तो आज हम सबको बताने वाले है की गणेश जी की पूजा करके कैसे आप खुद पर उनकी कृपा को पाओगे.
गणेश भगवन की मूर्ति स्थापना करके उन पर शुद्ध जल अक्षत तथा पुष्प अर्पण करे और मन में भगवान से प्राथना करते हुए जल का छिड़काव करके हाथी दन्त की सामग्री का भी छिड़काव करे.
हाथी दांत की सामग्री आपको किसी भी किरयाने की दुकान पर मिल जाएगी.
अब अक्षत अर्थार्त चावल छिड़कते हुए भगवन गणेश का आवाहन करे तथा नो दिन तक मन मन में गणेश भगवान का जाप करते रहे
”ॐ गण गण पतये नमः”
बोलते हुए उनका आचमन करे गणपति जी का रोज पंचामृत से स्नान कराये उसके बाद उन्हें वस्त्र अर्पित करे और लाल रंग के चंदन से उनका तिलक करे फिर मोदक का भोग लगाए|
परन्तु एक बात का ध्यान रखे गणेश जी पर कभी भी तुलसी ना चढ़ाये क्योंकि गणेश भगवान पर तुलसी नहीं चढ़ाई जाती फिर धुप अगरबत्ती लगाए और दीपक जगाये और गणेश आरती करके शमा याचना करे यही प्रकिर्या रोज करे फिर 9 वे दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा को जल में विसर्जित करे.
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प्रिय भक्तो गणेश चतुर्थी पूजा विधि का यह लेख यही पर खत्म होता है.
अगर आपके पास कोई सामग्री है की गणेश चतुर्थी के दिन पूजा के समय इन इन बातो का ध्यान रखना होता है तो आप अपनी बात कमेंट के माध्यम से हम सभी गणेश भक्तों के साथ शेयर कर सकते हो.
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