गणेश चतुर्थी का महत्व, निबंध, पूजा और व्रत विधि
ॐ गन गणपतए नमो नमः | ओम विघ्नहर्ता नमः
Ganesh Chaturthi 2021: आज के इस लेख में मैं आपको गणेश चतुर्थी का महत्व (Significance of Ganesh Chaturthi in Hindi), गणेश चतुर्थी कब है, गणपति विसर्जन कब है 2021 में और गणेश चतुर्थी पर निबंध बताने जा रहा हूँ। यदि आप गणेश चतुर्थी मनाते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े, भगवान गणेश की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
यह बात हम सभी जानते हैं कि गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश जी का जन्म हुआ था, गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है।
इस प्रतिमा का नो दिन तक पूजन किया जाता है, बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नो दिन बाद गाने बाजे से श्री गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।
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गणेश चतुर्थी का महत्व और गणपति शब्द का अर्थ
शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगल मूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेश पुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक। ‘पति’ अर्थात स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी।
शायद आपने कभी अपनी दादी माँ से श्री गणेश की कहानी सुनी होगी, या फिर कही पढ़ा भी होगा किस तरह से गणेश जी का सर एक हाथी के सर की तरह क्यों है। यदि आपको जानकारी है तो अच्छी बात है और यदि जानकारी नहीं है तो आप नीचे दी गई Ganesh Story in Hindi को ध्यान से जरूर पढ़िए।
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शिवपुराण के अंतर्गत रुद्र संहिता के चतुर्थ (कुमार) खण्ड में यह वर्णन है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना दिया। शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तब बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। अंततोगत्वा भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। इससे भगवती शिवा क्रुद्ध हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।
शिवजी के निर्देश पर विष्णु जी उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए।
मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रख कर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुख बालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-
गिरिजा नन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सब का पूज्य बन कर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा| गणेश्वर! तू भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है।
गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से इंसान को क्या लाभ मिलता है
इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करें। वर्षपर्यन्त श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। ठीक इसी से मिलती जुलती एक और गणेश चतुर्थी की कथा है, जो आप यदि चाहे तो पढ़ सकते हैं।
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गणेश चतुर्थी व्रत कथा अथवा गणेश चतुर्थी का महत्व
एक बार महादेव जी स्नान करने के लिए भोगावती गए, उनके जाने के पश्चात पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसका नाम ‘गणेश’ रखा|
पार्वती ने उससे कहा – हे पुत्र! तुम एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ। मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ| जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर मत आने देना|
भोगावती के स्नान करने के बाद जब भगवान शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग करके भीतर चले गए|
पार्वती ने उन्हें नाराज देखकर समझा कि भोजन में विलंब होने के कारण महादेवजी नाराज हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया.
तभी दूसरा थाल देखकर तनिक आश्चर्यचकित होकर शिवजी ने पूछा-यह दूसरा थाल किसके लिए हैं ? पार्वती जी बोलीं- पुत्र गणेश के लिए हैं, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है.
यह सुनकर शिवजी और अधिक आश्चर्यचकित हुए, तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है ?
हाँ नाथ! क्या आपने उसे देखा नहीं ?
देखा तो था, किन्तु मैंने तो अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दण्ड बालक समझकर उसका सिर काट दिया।
यह सुनकर पार्वती जी बहुत दुःखी हुईं, वे विलाप करने लगीं| तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया.
पार्वती जी इस प्रकार पुत्र गणेश को पाकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने पति तथा पुत्र को प्रीतिपूर्वक भोजन कराकर बाद में स्वयं भोजन किया|
यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुई थी। इसीलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है|
यदि आप गणेश चतुर्थी के दिन वर्त रखे तो आपको ये लाभ मिल सकते हैं-
भाद्रपद-कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं|
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गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन दोष से बचाव – गणेश चतुर्थी का महत्व और निबंध
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है|
जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है, ऐसा शास्त्रों का निर्देश है और यह अनुभूत भी है|
इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए.
‘सिहः प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥’
भक्तों, आशा है अब आपको गणेश चतुर्थी का महत्व समझ में आया गया होगा और यदि आप अब तक गणेश चतुर्थी के दिन यदि व्रत नहीं करते थे तो कोई बात नहीं| लेकिन अब करना शुरू ज़रूर करेंगे क्यूंकि आज के समय में हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में खुशियाँ चाहता है.
बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा कैसे करनी चाहिए
भगवान गणेश जी की स्थापना अपने घर में करने के बाद उनकी पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है और उनके पूजा के दौरान किसी भी चीज में विघ्न नहीं आना चाहिए। गणेश जी की मूर्ति स्थापना करने के बाद आप इस तरह से गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
- सबसे पहले गणेश जी के सामने घी का दीपक जलाएं! दीपक जलाने के बाद गणेश जी का आवाहन करें और उनका ध्यान करके पूजा प्रारंभ करें।
- इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को अगर वह पीतल की है तो स्नान करवाएं अगर आप की मूर्ति मिट्टी की है तो उस पर गंगाजल छिड़कें।
- गणेश जी का स्नान करने के बाद आपको गणेश जी की मूर्ति पर वस्त्र अर्पित करना है। गणेश जी को वस्त्र पहनाने के बाद उनकी प्रतिमा पर चंदन, रोली, फूल आदि अर्पित कीजिए।
- अब आप गणेश जी की मूर्ति के सामने सुगंधित धूपबत्ती जलाएं और उनकी पूजा करके उनके सामने रख दीजिए।
- गणेश जी की पूजा करने के बाद अब आपको उनका सबसे पसंदीदा चीज भोग लगाना है भोग में आप गणेश जी के पसंद का खाना जैसे मोदक, लड्डू, खीर, केला, पीले रंग की मिठाई आदि चढ़ाये। फिर गणेश जी की मूर्ति के सामने दक्षिणा और पुष्प अर्पित कीजिए।
- यह हो जाने के बाद आपको आरती का थाल तैयार करना है और उसमें कपूर जलाकर गणेश जी की आरती उतारनी है।
- आरती के दौरान हाथों में पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करके उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कीजिए। पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद गणपति जी की मूर्ति की परिक्रमा कीजिए और अपनी गलती की क्षमा याचना कीजिए।
- अंत में गणेश जी को शत शत नमन करके उनसे सुख और समृद्धि की कामना कीजिए।
- घर में गणेश जी की पूजा इसी तरह से की जाती है तो आप बेफिक्र होकर अपनी पूजा कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी कब है और कैसे मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी जिसे गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है उसे भाद्रपद महीने के शुक्ल चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हर साल अगस्त से सितंबर के बीच ही पड़ता है। साल 2021 में गणेश जी की पूजा 10 सितंबर के दिन की जाएगी क्योंकि इसी दिन शुक्ल चतुर्थी है। 10 सितंबर के दिन गणेश जी की स्थापना पंडालों व घरों में की जाएगी।
गणेश चतुर्थी भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का सबसे पहला पर्व माना जाता है इसीलिए लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ इस पर्व को मनाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन घर घर में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है और गणेश जी के लिए बड़े-बड़े पंडाल भी बनाए जाते हैं।
महाराष्ट्र में गणेश जी की पूजा बड़े जोरों शोरों से की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश जी की बहुत बड़ी बड़ी प्रतिमाएं तैयार की जाती हैं। कुछ प्रतिमा इतनी बड़ी होती है कि उन्हें देखने के लिए लोग अपनी गर्दन पूरी टेड़ी कर लेते हैं। बच्चे स्वादिष्ट मिठाइयां खाने के लिए और नए नए कपड़े पहनने के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं। इन दिनों भक्ति के साथ-साथ आनंद का भी रंग वातावरण में छाया रहता है।
गणेश चतुर्थी के 10 दिन का महत्व
गणेश चतुर्थी के समय गणेश जी के मूर्ति की स्थापना 10 दिनों के लिए घर में की जाती है और इन 10 दिनों में घर में गणेश जी की पूजा हर दिन की जाती है। गणेश जी सर्वप्रथम पूजे जाते हैं इसलिए उनकी पूजा सबसे पहले होती हैं। गणेश जी घर से हर विघ्न, हर बाधा को दूर कर देते हैं। गणेश जी घर में सुख शांति और समृद्धि देते हैं इसीलिए लोग अपने अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करके प्रति वर्ष उनकी पूजा करते हैं।
गणेश चतुर्थी पर शायरी कविता मैसेज
हर त्यौहार की तरह गणेश चतुर्थी के त्योहार के दिन भी लोग गणेश जी को याद करते हुए एक दूसरे को गणेश चतुर्थी की बधाई देते हैं। लोग अपने परिवार जनों को और अपने दोस्तों को बाल गणेश की याद दिलाते हुए wish करते हैं। तो कुछ लोग गणेश जी से हर परेशानियों का निवारण करने की प्रार्थना करते हुए विश करते हैं।
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
भगवान श्री गणेश की कृपा आप पर बनी रहे हरदम! जीवन में सफलता मिले, ना आए कोई गम!! गणेश चतुर्थी 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं.
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सब शुभ कार्य में पहली पूजा तेरी! तुम बिन काम ना सरे, अरज सुन तुम मेरी! रिद्धि सिद्धि को लेकर करो भवन में फेरी! करो ऐसी कृपा नित करु मैं पूजा तेरी!! Happy Ganesh Chaturthi
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एक दो तीन चार गणपति की जय जयकार! पांच छह सात आठ गणपति है सबके साथ!! बोलो जय गणेश जी! Happy Ganesh Chaturthi
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दिल से जो भी मांगोगे वह मिलेगा! यह गणेश जी का दरबार है!! देवों के देव वक्रतुंड महाकाय को! अपने भक्तों से बड़ा प्यार है!! गणपति बप्पा मोरया
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गणेश चतुर्थी के महत्व के साथ साथ इससे जुडी सभी बातों की जानकारी देने के लिए आपका धन्यबाद
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achi lagi aap ki ye post
कृप्या सर्च इंजन आप्टीमाइजेशन के बारे में
जानकारी बताइऐ।
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