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Essay on Diwali in Hindi For School Student

छात्रों के लिए दिवाली पर हिंदी निबंध कक्षा 1 से 12वीं तक

Topic: Essay on Diwali in Hindi For Class 1 To 12th

आज के इस लेख में मैं आपके लिए “दिवाली पर भाषण” के कुल 6 तरह की स्पीच (निबंध) अपडेट करने जा रहा हूँ। इन स्पीच (निबंध) को आप अपने विद्यालय में बोल कर सबको दीपावली का महत्व बता सकते हो। यहां पर हमने सभी बच्चों को ध्यान में रखकर दिवाली पर भाषण तैयार करा है। अगर आप पहली, दूसरी कक्षा में पढ़ते है तो आप 150 शब्द का भाषण पढ़े, अथवा इससे ऊपर वाली कक्षा में पढ़ते है तो अपनी इच्छानुसार निबंध का चयन करें।

सबसे पहले में दिवाली पर 150 शब्द का निबंध लिखने जा रहा हूँ, इसके बाद निबंध के शब्द बढ़ते रहेंगे। तो आपको जो दिवाली निबंध पसंद आए, आपके हिसाब से जो निबंध आपको सही लगे आप उसको याद करें। यह दीपावली निबंध मैंने खास कर प्राइमरी क्लास के बच्चों के लिए तैयार किया है, इसे आप अपने बच्चों को याद करा सकते हैं।

तो आइए ज्यादा समय ना लेते हुए अपना पहला दिवाली पर निबंध पढ़ना शुरू करते है।

जरूर पढ़े: दीपावली पर निबंध और महत्व

Diwali Essay in Hindi

Paragraph on Diwali in Hindi: दीपावली का त्योहार हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व पांच दिनों तक चलता है, जब दशहरा खत्म होता है तो उसके बाद से ही घरों में साफ सफाई होना, अर्थात दीपावली की तैयारी होना शुरू हो जाती है।

क्या आपको पता है कि दिवाली क्यों मनाई जाती है?

इस दिन प्रभु श्री राम (विष्णु भगवान के अवतार), माता सीता (लक्ष्मी माता का अवतार) और भाई लक्ष्मण (शेषनाग) के साथ मिलकर चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापिस लौटे थे इसलिए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

दीपावली के पर्व को लेकर और भी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं…!

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Essay on Diwali in Hindi (दिवाली निबंध)

Diwali Essay Hindi
Diwali Essay in Hindi
  • प्रस्तावना

प्रत्येक समाज, जाति, धर्म, समुदाय के लोग त्योहारों के माध्यम से अपनी खुशी सब के समक्ष प्रकट करते है।

हिन्दुओं के भी ऐसे बहुत सारे त्योहार है जिनको पूरा देश बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। पर हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार की बार करे तो दशहरा, रक्षाबंधन, होली दीपावली इत्यादि हैं।

इन सभी त्योहारों की अपनी ही महानता है, पर इन सभी त्योहारों में से दिवाली सबसे प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार के आते ही मन खुश हो जाता है, यह दीपों का पर्व है, इस त्योहार के आने से घरों में शुभता आती है।

  • दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है?

दिवाली का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या के दिन बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात में भी पूरा देश दीपों से जगमगाने लगता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि प्रभु श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापिस लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से दीपावली का फेस्टिवल मनाया जाता है।

एक दिवाली की कथा यह भी है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध भी किया था। इस दिन को भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इन सभी वजह से भी हम दिवाली का पवित्र त्योहार मानते है।

  • दीपोत्सव मनाने की तैयारियां

दीपावली के पवित्र त्योहार को सभी समुदाय, धर्म के लोग मनाते हैं। दिवाली पर्व आने से कई दिन पहले ही लोग घरों की साफ़ सफाई, सजावट, पुताई इत्यादि करना शुरू कर देते है। इस दिन लोग नए कपड़े बनवाते है अथवा कुछ लोग खरीदने जाते है, मिठाइयां बनाने एवं रिश्तेदारों को मिठाइयां देना अच्छा माना जाता है। दीपवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।

  • दिवाली का उत्सव

दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक यह त्योहार चलता है।

धनतेरस के दिन लोग काफी खरीदारी करते है, इस दिन सोना, चाँदी लेना शुभ माना जाता है, उसके अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है, अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। नए कपड़े पहनना, खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाना, घरों को दीपों से सजाना, घरों, बाजारों, दुकानों, विद्यालयों को सजाना एक अहम हिस्सा है।

अगला दिन सबसे मिलने जुलने का दिन है, सब लोग एक-दूसरे को गले लगाकर दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं अथवा गृहिणियां घर में आएं मेहमानों का स्वागत करती हैं। अगर मिठाई की बात करे तो इस दिन घरों में गुझिया बनाई जाती है।

इसे पढ़े: गुझिया बनाने की विधि

  • दिवाली पर उपसंहार

दिवाली का त्योहार खुशी प्रदान करने का दिन है, यह त्योहार नया जीवन जीने का एक जरिया है, सारी बुरी आदत छोर इस दिन से नयी शुरुआत करें, खुश रहे और खुश रहने दे। कुछ लोग इस दिन जुआ भी खेलते है, जो बहुत ही बुरी बात है। हमे बुरी चीजों से बचना है और अच्छे रास्ते पर चलना है। दिवाली के दिन एवम सभी दिन हम इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वजह से किसी भी व्यक्ति को कोई भी दुख न पहुचे।

|| धन्यवाद ||

आप सभी को हिमांशु ग्रेवाल की और तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

Essay on Diwali in Hindi For Class 1 To 3 (150 Words)

Essay on Diwali in Hindi
Essay on Diwali in Hindi

दिवाली का त्यौहार मेरा सबसे पसंदीदा त्यौहार है, क्योंकि यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई को दर्शाता है और मुझे अच्छे लोग बहुत पसंद है क्योंकि वो बहुत अच्छी-अच्छी बाते करते हैं और मुझे भी अच्छी बाते ही सिखाते हैं।

दिवाली को रोशनी का त्योहार के रुप में जाना जाता है जो भरोसा और उन्नति लेकर आता है। हिन्दू, सिख और जैन धर्म के लोगों के लिये इसके कई सारे प्रभाव और महत्ता है| ये पाँच दिनों का उत्सव है जो हर साल दशहरा के 21 दिनों बाद आता है। इसके पीछे की वजह है कि भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य के आगमन पर मनाया जाता है।

मैं दिवाली की शाम ढेर सारे पटाखे अपनेपरिवार के साथ मिल कर जलाता हूँ, उस दिन मुझे मेरी मम्मी नये कपड़े भी पहनने को देती है और उस दिन मेरे कई दोस्त मेरे घर भी आते हैं और हम साथ में बहुत सारी मिठाई खाते हैं क्योंकि हमे मिठाई बहुत अच्छी लगती है।

बच्चों के लिए: Popular Poem on Diwali in Hindi For Class 1 to 12

Hindi Essay on Diwali 250 Words

Hindi Essay on Diwali
Hindi Essay on Diwali

वैसे तो इस निबंध में और पहले भाषण में ज्यादा शब्दों का फर्क नहीं है और यह स्पीच भी छोटे बच्चे याद कर सकते हैं। तो आपको इन दोनों में से जो भी स्पीच अच्छी लगे आप उसको याद करा सकते हैं।


आदरणीय प्रधानाध्यापक, सर, मैडम और मेरे प्यारे सहपाठियों को सुबह की नमस्ते।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, आज मैं यहाँ आप सभी के सामने दिवाली पर अपने कुछ भाव प्रकट करना चाहता हूँ-

दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है और इसे हम सभी बहुत ख़ुशी और उल्लास के साथ मनाते हैं, वही कुछ लोग इस दिन अपने घर दुकानों दफ्तरों की साफ़ सफाई करते हैं और उसको सजाते हैं तो कुछ लोग इस दिन नये कपड़े पहन कर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं।

काफी लोग अपने ही घर में दिवाली की पार्टी भी देते हैं जहाँ सभी इकठे होकर नाच गाना करते हैं और मिठाई और अलग पकवान मिल बाट कर खाते हैं। बच्चों के लिए यह दिन खास इसलिए होता है क्योंकि इस दिन बच्चे नये वस्त्र पहनते हैं और पटाखे फोड़ते हैं। मुझे याद है कि पीछे वर्ष हमने न्यूज़ में देखा था कि भारत में बहुत प्रदूषण हो रहा है, इसलिए मैं सभी बच्चों को कहना चाहूँगा कि दिवाली मतलब पटाखे जलाना नहीं होता।

आप इस दिन नये कपड़े पहने, मिठाई खाए, नाच-गाना करे और साथ ही में हर वो काम करे जो आपको अच्छा लगता है लेकिन आइए अंत में मेरे साथ कहिये – Say No To Burn Crackers this DiwALI.


इसे भी पढ़े: दशहरा पर निबंध 200 शब्दों में

Information About Diwali in Hindi Short Essay

Information About Diwali in Hindi Short Essay
Information About Diwali in Hindi Short Essay

आदरणीय प्रधानाध्यापक, सर, मैडम और मेरे प्यारे सहपाठियों को सुबह की नमस्ते…

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, आज हम यहाँ मैं आप सभी के सामने दीपावली पर अपने कुछ शब्द कहना चाहता हूँ-

दीपावली के दौरान लोग अपने घर और कार्यस्थली की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते है। आमजन की ऐसी मान्यता है कि हर तरफ रोशनी और खुले खिड़की दरवाजों से देवी लक्ष्मी उनके लिये ढेर सारा आशीर्वाद, सुख, संपत्ति और यश लेकर आएगी। इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाने के साथ रंगोली से अपने प्रियजनों का स्वागत करते है। नये कपड़ों, खुशबूदार पकवानों, मिठाईयों और पटाखों से पाँच दिन का ये उत्सव और चमकदार हो जाता है।

  • दिपावली के पहले दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी कहते है जिसे माँ लक्ष्मी जी की पूजा के साथ मनाया जाता है। इसमें लोग देवी को खुश करने के लिये भक्ति गीत, आरती और मंत्र उच्चारण करते है।
  • दूसरे दिन को नारक चतुर्दशी या छोटी दीपावली कहते है जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है क्योंकि इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था.
  • ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते है और उन्हें कुमकुम लगाते है।
  • तीसरा दिन मुख्य दीपावली का होता है जिसमें मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, अपने मित्रों और परिवार में मिठाई और उपहार बांटे जाते है साथ ही शाम को जमकर आतिशबाजी की जाती है, जिससे बहुत प्रदूषण होता है और हमे यह नहीं करना चाहिए।
  • चौथा दिन गोवर्धन पूजा के लिये होता है जिसमें भगवान कृष्ण की आराधना की जाती है। लोग गायों के गोबर से अपनी दहलीज पर गोवर्धन बनाकर पूजा करते है.
  • ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर अचानक आयी वर्षा से गोकुल के लोगों को बारिश के देवता इन्द्र से बचाया था।
  • पांचवें दिन को हम लोग यामा द्वितीय या भैया दूज के नाम से जानते है। ये भाई-बहनों का त्योहार होता है.

आपके लिए: भाई दूज की कथा और कहानी


Important Essay on Diwali in Hindi (Deepawali Essay in Hindi)
Important Essay on Diwali in Hindi
Important Essay on Diwali in Hindi

दीपावली, भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया।

दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानी पंक्ति।

इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्ज‍ित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व, अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय कर देता है। दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियां हैं।

हिंदू मान्यताओं में राम भक्तों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा आसुरी वृत्तियों के प्रतीक रावणादि का संहार करके अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।

कृष्ण भक्ति धारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीये जलाए।

एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्र मंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।

जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है| सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था।

नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय “ओम” कहते हुए समाधि ले ली.

महर्षि दयानंद ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की.

हिंदुओं में इस दिन लक्ष्मी जी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी जी, विघ्न विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है.

ब्रह्म पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या की इस अंधेरी रात्रि अर्थात अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं।

जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीके से सुसज्जित और प्रकाशयुक्त होता है वहां अंश रूप में ठहर जाती हैं और गंदे स्थानों की तरफ देखती भी नहीं। इसलिए इस दिन घर-बाहर को खूब साफ-सुथरा करके सजाया-संवारा जाता है.

कहा जाता है कि दीपावली मनाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से सदगृहस्थों के घर निवास करती हैं। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह इस दिन पूरे चरम पर आता है.

यह पर्व अलग-अलग नाम और विधानों से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कि इसी दिन अनेक विजयश्री युक्त कार्य हुए हैं.

बहुत से शुभ कार्यों का प्रारम्भ भी इसी दिन से माना गया है। इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। विक्रम संवत का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है| यानी यह नए वर्ष का प्रथम दिन भी है.

इसी दिन व्यापारी अपने बही-खाते बदलते हैं तथा लाभ-हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं.


दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) – दीपावली का निबंध हिंदी में यहां से पढ़ें

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भारत त्यौहारों का एक देश है जहां वर्ष भर में विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा अनेक सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते है और उन्हीं प्रमुख त्योहारों में से एक है दीपावली का पर्व जिसे दीपों का पर्व भी कहा जाता है। जिसे बुराई पर सच्चाई की विजय के तौर पर भारत वासियों द्वारा मनाया जाता है।

कार्तिक माह की अमावस्या की रात्रि को मनाए जाने वाला दीपावली का पर्व भगवान श्री राम के भक्तों के लिए विशेष है। मान्यता है लंकेश्वर (रावण) का सर धड़ से अलग कर प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिला कर इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के कठोर वनवास को पूरा करके वापस अयोध्या में पधारे थे। क्योंकि उस समय बिजली, कैंडल्स का कोई इंतजाम न था। अतः अमावस्या की अंधकार मय रात्रि के दिन भगवान का स्वागत करने हेतु अयोध्या के प्रत्येक घर, मौहल्ले, गलियों को दीपों की जगमगाहट से सजाया गया। और तभी से युगों युगों से भारत में दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है।

दीपावली आते ही इसकी तैयारी की चहल पहल हर जगह दिखाई देती है, त्योहार के आने की कुछ दिन पूर्व ही बच्चों में इसकी उत्सुकता एवं बड़ों में इस त्यौहार से मन में होने खुशी महसूस कि जा सकती है। आज दौर बदल चुका है अतः दीपावली आते ही इस पर्व की खुशी हेतु बच्चों एवं बड़ों द्वारा पटाखे-रॉकेट छोड़े जाते है, घरों को रंग बिरंगी लाइट्स से सुशोभित कर घर को एक दुल्हन की भांति सजाया जाता है। इसलिए प्रत्येक क्षेत्र की गली मौहल्ला लाइट से जगमगा उठता हैं।

दीपावली की शाम भक्तों द्वारा भगवान श्री राम और सीता माता का ध्यान करने के साथ ही मां लक्ष्मी और गणेश भगवान का पूजन किया जाता है। मान्यता है दीपावली के पर्व में मां लक्ष्मी को सच्चे दिल से याद कर उनकी भक्ति की जाए तो उस घर में सुख संपदा आती है एवं मां लक्ष्मी घर में निवास करती हैं। पूजा के पश्चात खिल, बताशे एवं मिठाइयां को भगवान के प्रसाद के रूप में आस-पड़ोस मोहल्ले में वितरित किया जाता है एवं मोहल्ले के सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर प्रसाद बांट कर इस पर्व की बधाइयां देते हैं।

यह त्यौहार मन के बैर को मिटा कर फिर से एक दूसरे से दिल लगाकर खुशियां देने एवं बांटने का पर्व है। इसलिए प्रत्येक भारतीय के लिए यह त्यौहार महत्वपूर्ण है हालांकि पढ़ाई, कार्यों की वजह से जो लोग अपने परिवार से दूर रहते है वह इस पर्व में अपने घर आने की कोशिश करते है क्योंकि परिवार के साथ इस पर्व को मनाने पर होने वाले आनंद की अनुभूति कुछ और ही होती है।

दीपावली का यह पर्व भारत ही नहीं अपितु विश्व के अन्य देशों में भी विधि पूर्वक मनाया जाता है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विश्व के कई विकसित देश जहां भारतीय रहते है अपनी भारतीय परंपरा को आज भी दिल में संजोए इस त्यौहार के आते ही वहां इसे सेलिब्रेट करते हैं।

अतः इस प्रकार कहा जाए तो समय बदल चुका है परंतु इस त्यौहार के मायने अभी भी लोगों के दिलों में बेहद खास हैं। इसलिए दीपावली का पर्व हिंदुओं के लिए बेहद यादगार पर्व है और न सिर्फ हिंदू बल्कि भारत में मुस्लिम,नसिख जैन, जैसे विभिन्न धर्मों के लोग इस धार्मिक पर्व को मिल बांट कर मनाते हैं। गैर हिन्दू व्यक्ति द्वारा हिंदू धर्म के व्यक्ति को दीपावली पर्व की बधाइयां देकर बेहद हर्ष और उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है।

जो भारत की विविधता में एकता का भी संदेश देता है। हालांकि इस त्यौहार के जाने के बाद पर्यावरण में प्रदूषण स्तर काफी बढ़ जाता है विशेषकर शहरों में। क्योंकि पहले से ही शहरों में जहां यातायात, इंडस्ट्री के धुंए से वायु प्रदूषण होता है। वहीं दूसरी तरफ जब दीपावली में पटाखे जलते है तो इससे प्रदूषण की मात्रा में काफी वृद्धि हो जाती है अतः कहा जाता है दीपावली के पर्व में पटाखे ना जलाएं।

हम भी आपसे यही अनुरोध करते है कि इस खुशियों के त्यौहार को इस बार दिए जलाकर आपस में मिठाइयां बांटकर सेलिब्रेट करें और इस वर्ष दीपावली में पटाखे न जलाए, साथ ही घर के छोटे बच्चों को भी पटाखे कम से कम जलाने के लिए प्रेरित करें। इन्हीं अंतिम शब्दों के साथ में हिमांशु ग्रेवाल आपको 2020 दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।


दोस्तों, मेरा दिवाली पर निबंध का यह लेख यही पर समाप्त हो रहा है, आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा और आप चाहे तो अपने भाव नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स के माध्यम से शेयर कर सकते हैं।

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आप सभी को HimanshuGrewal.com की और से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं, आपका दिन शुभ हो…

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