महाशिवरात्रि के इस पवित्र लेख में आप सभी शिव भक्तों का सादर प्रणाम। 🙏 यहां आपको महाशिवरात्रि पर निबंध पढ़ने को मिलेगा।
महाशिवरात्रि निबंध शुरू करने से पहले मैं आपको यह बता देता हूँ कि महाशिवरात्रि कब है? उसके बाद जानेंगे की महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?, महाशिवरात्रि के दिन क्या हुआ था? और पूजा के समय क्या-क्या सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी और किन-किन जगहों पर शिवलिंग की स्थापना हुई हैं।
Maha Shivaratri Date 2021, 2022, 2023
Maha Shivaratri 2021 | Thursday, March 11, 2021 |
Maha Shivaratri 2022 | Monday, February 28, 2022 |
Maha Shivaratri 2023 | Saturday, February 18, 2023 |
महाशिवरात्रि पर निबंध
Essay on Mahashivratri in Hindi
भारत में महाशिवरात्रि का त्यौहार हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का एक प्रमुख पर्व या उत्सव है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव-रात्रि का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से पूरे भारत देश में मनाया जाता है। इतिहास के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ होने वाला था तो इसी दिन मध्य-रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतार हुआ था।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
एक बार ऐसा हुआ था कि शिव रात्रि के दिन प्रदोष के वक्त भगवान शिव तांडव कर रहे थे और तांडव करते हुए ही उन्होंने ब्रह्मांड को अपनी तीसरे नेत्र की ज्वाला से विश्व को समाप्त कर देते। इसलिए इसी दिन को महा शिवरात्रि अथवा कालरात्रि के रूप से मनाया जाता है। कई जगह पर तो यह चर्चा भी होती है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी हुआ था। तीनों भुवनों की अपार सुन्दरी और शीलवती गैरों को अर्धांगिनी बनाने वाले भगवान शिवजी प्रेतों व पिशाचों के बीच घिरे रहते हैं।
भगवान शिव का जो रूप है वो सबसे अलग है। शरीर पर श्मशान की भस्म है, उनके गले में सर्पों की माला, कंठ में विष, जटाओ में पावन-गंगा और माथे में प्रलयंकर ज्वाला है। शिवजी बैल को अपना वाहन के रूप में प्रयोग करते है। शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते है और धन-सम्पत्ति प्रदान करते है। पूरे साल में 12 शिव त्यौहार होते है जिसमें से एक महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।
Mahashivratri Puja Vidhi in Hindi
महाशिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव का अभिषेक कई तरीके से किया जाता है।
- जलाभिषेक: जो की जल (पानी) से किया जाता है।
- दूध: दूसरा दूध से किया जाया है।
सुबह-सुबह भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की बहुत लम्बी लाइन जमा हो जाती है। वे सभी शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते है और भगवान से अपने और अपने चाहने वालो के लिए प्रार्थना करते हैं। सभी भक्त सूर्योदय के वक्त पवित्र स्थानों पर स्नान करने के लिए जाते है जैसे की गंगा या फिर खजुराहो के शिव सागर में या फिर किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में।
स्नान शरीर को शुद्ध करता है जो कि सभी हिंदू त्योहारों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
जब स्नान कर लेते हो तो उसके बाद साफ कपड़े (स्वच्छ वस्त्र) पहनने होते है। सभी भक्त शिवलिंग स्नान करने के लिए मंदिर के अंदर पानी का बर्तन ले जाते हैं। सभी महिलाएं और पुरुष दोनों सूर्य शिव और विष्णु की प्रार्थना करते हैं। इसमें आपको 3 या 7 बार शिवलिंग की परिक्रमा करनी होती है और फिर उसमें पानी और दूध भी डालते हैं।
शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पूजा में 6 वस्तुओं को जरूर शामिल करना चाहिए जिसके बारे में आप आगे पड़ोगे।
- शिव लिंग का जल (पानी), शहद और दूध के साथ अभिषेक. बेर या बेर के पत्ते जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- स्नान के बाद शिवलिंग को सिंदूर का पेस्ट लगाया जाता है। यह पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- फल, यह दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते हैं।
- धन, जलती धूप, उपज (अनाज)
- दीपक, यह ज्ञान की प्राप्ति के लिए बहुत ही अनुकूल है।
- सांसारिक सुखों के लिए पान के पत्ते बहुत जरूरी है यह संतोष अंकन करते हैं।
भगवान शिव की अन्य पारंपरिक पूजा
‘बारह ज्योतिर्लिंग’ जिसका अर्थ है (प्रकाश के लिंग) यह पूजा के लिए शिव भगवान के पवित्र धार्मिक स्थल और केन्द्रों में से है। यह स्वयंभू के रूप में जाने जाते हैं, जिसका अनमोल अर्थ हैं “स्वयं उत्पन्न”। 12 जगह पर 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिसके नाम नीचे लिखे है।
- सोमनाथ: यह शिवलिंग आपको गुजरात के काठियावाड़ स्थान पर मिलेगा.
- श्री शैल मल्लिकार्जुन: यह शिवलिंग आपको मद्रास में कृष्ण नदी के किनारे वाले पर्वत पर स्थापित मिलेगा जिसका नाम श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग है.
- महाकाल उज्जैन में अवंति नगर स्थापित आपको महाकालेश्वर नाम का शिवलिंग मिलेगा। यहां पर शिव भगवान ने दैत्यों का नाश किया था.
- ओंकारेश्वर: यह मध्यप्रदेश के एक धार्मिक स्थान ओंकारेश्वर में नर्मदा के तट पर पर्वतराज विंध्य की कठीन तपस्या से प्रसंग होकर वरदाने देने हुए शिवजी इस स्थान पर प्रकट हुए थे। उसी समय से इस स्थान पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया था.
- नागेश्वर: यह ज्योतिर्लिंग आपको गुजरात के द्वारका धाम के निकट मिलेगा.
- बैजनाथ ज्योतिर्लिंग: जो कि बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित है.
- भीमाशंकर: यह ज्योतिर्लिंग आपको महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे स्थापित मिलेगा.
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यम्बकेश्वर में स्थापित है.
- घुमेश्वर: घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग आपको महाराष्ट्र स्टेट के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में मिलेगा.
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय का दुर्गम ज्योतिर्लिंग है जो कि हरिद्वार से 150 मिल दूरी पर ही स्थित है.
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग जो काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित हैं.
- रामेश्वरम: यह ज्योतिर्लिंग श्री राम द्वारा स्थापित है जो आपको मद्रास में समुद्र तट के निकट मिलेगा.
शिवरात्रि का क्या मतलब है?
शिवरात्रि का सीधा सरल मतलब है शिव की रात्रि। इस दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के सभी त्योहारों में इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है। देवों के देव महादेव की शिवरात्रि के दिन भव्य पूजा होती हैं। शिवरात्रि के विषय में तो सब यही जानते है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती हैं लेकिन शिवरात्रि मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं है जो इस दिन के महत्व को बढ़ाती हैं।
- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा फूल, पान, फल, बेल पत्र, दूध, खीर, भांग के साथ की जाती हैं। इस त्यौहार पर कुंवारी कन्याओं और औरतें द्वारा व्रत रखा जाता हैं।
- शिवरात्रि के दिन सभी भगवान शिव का ध्यान करके व्रत रखती हैं, और दूसरे दिन पूजा के उपरांत अपने व्रत को तोड़ती हैं। ऐसा कहा जाता है कि लड़कियां शिवरात्रि का व्रत शिव जी के गुणों से युक्त एक महान और सुंदर वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।
- यह भी मान्यता है कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति मिल जाती हैं।
- शिवरात्रि का यह दिन हर शिव भक्त के मन में एक अलग ही उत्साह भर देता है। शिवरात्रि की पूजा में लोग इस तरह शिव की भक्ति में लीन हो जाते है कि उन्हें अपने व्रत की भी कोई अनुभूति नहीं होती है।
महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
- महाशिवरात्रि में शिव जी की पूजा व्रत रखकर की जाती हैं। शिवरात्रि में भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और मन ही मन शिव का जाप करते हैं।
- शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि का व्रत दिन के चारों पहर में से किसी भी पहर में खोला जा सकता है। लेकिन मान्यता यह है कि शिवरात्रि का व्रत रात में ही खोला जाना चाहिए। इस दिन व्रत रखने वाले स्नान कर मंदिर जाते हैं और उत्तर की ओर मुख करके भगवान शिव की पूजा करते हैं। भक्त पुष्प, चंदन, बेल पत्र, फल, बैर का चढ़ावा भगवान को लगाते हैं और दूध, दही, घी से शिवलिंग का अभिषेक कर दीप और धूप जलाकर भगवान की पूजा करते हैं।
शिवरात्रि की पूजा में क्या-क्या चढ़ाया जाता है?
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा की जाती हैं। इस दिन शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद, शिवलिंग पर फूल, चंदन, बेल पत्र, बैर और धतूरा चढ़ाया जाता है। बहुत से लोग इस दिन भगवान को भांग का भी चढ़ावा लगाते हैं। फिर अगरबत्ती और दीए जलाकर भगवान की पूजा की जाती हैं।
Maha Shivaratri Story in Hindi
जैसा कि हमने आपको बताया शिवरात्रि मनाने के पीछे कई ऐसी पौराणिक कहानियां है, जिस वजह से प्रत्येक शिव भक्त के लिए महाशिवरात्रि के मायने बेहद खास है। शिवरात्रि का महत्व को समझने में नीचे बताई गई ये कहानी आपके बड़े काम आ सकती हैं।
शिवलिंग के रूप में महादेव की पूजा
कई पौराणिक कथाओं में ये सुनने को मिलता है कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्थी के दिन यानी शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। उनके इस शिवलिंग स्वरूप का पूजन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने किया था। तब से आज तक शिवरात्रि के इस पावन दिन के मौके पर भगवान शिव की शिवलिंग स्वरूप की पूजा की जाती हैं। ऐसा भी माना जाता हैं कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव शंकर खुद शिवलिंग में निवास करते हैं।
महादेव और माता पार्वती का विवाह
इसके अलावा शिवरात्रि मनाने के पीछे सबसे प्रचलित और लोकप्रिय कहानी महादेव और माता पार्वती के विवाह की है। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन महादेव ने हिमालय पुत्री पार्वती से विवाह किया था। उस विवाह में देवों के साथ-साथ भूत पिशाच भी सम्मिलित हुए थे। तब से आज तक शिवरात्रि को भोले शिव शंकर माता पार्वती की शादी के सालगिरह के रूप में भी मनाते हैं। शिवरात्रि आते ही मंदिरों को मंडप की तरह सजाया जाता है। कई जगह तो शिवरात्रि के दिन लोगों को शिव और पार्वती बनाकर नाट्य रूपांतरण करके भी दिखाया जाता है। इस कथा में एक मान्यता यह भी है कि शिवरात्रि के दिन यदि कोई कुंवारी कन्या सच्चे मन से शिव का ध्यान करके व्रत रखती हैं। तो उनका विवाह जल्द से जल्द हो जाता हैं।
समुद्र मंथन से निकले विषपान की कथा
कई कथाओं में ये भी सुनने को मिलता है कि शिवरात्रि के दिन समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा करने के लिए स्वयं पी लिया था। विष पीने के कारण शिव जी कंठ यानी गले का रंग नीला पड़ गया था। उस दिन से भोले शंकर नीलकंठ के नाम से भी पुकारे जाने लगे। शिवजी ने विष पीकर पूरे संसार को बचाया था इसलिए शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की धूमधाम से पूजा की जाती है।
यह थी कुछ बाते महाशिवरात्रि के बारे में। मैं आशा करता हूँ कि आपको इस लेख में महाशिवरात्रि की जानकारी मिली होगी जो आप जानना चाहते थे। अगर आपको इस लेख में कुछ कमी दिखे और अगर आप इस पावन दिन के बारे में कुछ जानते हो जिसको आप हमारे साथ शेयर करना चाहते हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हो और इस शिवरात्रि के इस लेख को सभी शिव भक्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करें। महाशिवरात्रि पर निबंध।
Thank you himanshu aapne ye sab Jankari hamare sath share kari
🙂 welcome
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