भगवान शिव का पवित्र त्यौहार महाशिवरात्रि
नव वर्ष का आगमन होते ही महादेव के भक्तों को महाशिवरात्रि का इंतजार बेसब्री से होता है। क्योंकि भारतवर्ष में महाशिवरात्रि का त्यौहार हर बार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, मंदिरों में भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग शिवलिंग में जल चढ़ाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2020 में 21 फरवरी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है।
महाशिवरात्रि 2020 के आगमन पर भोलेनाथ जी का आशीर्वाद हम सब पर बना रहे इसी कामना के साथ मैंने आज आप सब के लिए महाशिवरात्रि पर निबंध का एक भक्ति लेख लिखा हैं।
अतः वे छात्र जो स्कूल, कॉलेज में पढ़ते हैं, उनके लिए आज का यह निबंध उपयोगी साबित होगा। महाशिवरात्रि निबंध कई बार परीक्षाओं में आ जाता है साथ ही स्टेज से भी आप महाशिवरात्रि पर्व के विषय पर जानकारी दूसरों तक पहुंचा सकते हैं।
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महाशिवरात्रि पर निबंध हिंदी में
यहां आपको Essay on Mahashivratri in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए मिल जाएगा।
भगवान शिव को शंकर, नीलकंठ , गंगाधर, देवों के देव महादेव, जैसे नामों से जाना जाता है। युगों युगों से भगवान भोलेनाथ लोगों की आस्था के प्रतीक रहे हैं।
हिन्दुओं के इस धार्मिक त्यौहार को प्रति वर्ष उनके जन्मदिन के रूप में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व के इस पावन पर्व पर मंदिरों, तीर्थ स्थलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ को एक लोटा जल चढ़ाने के लिए लोग व्याकुल रहते हैं।
भगवान शिव के प्रति लोगों की यह आस्था देखना वाकई एक शानदार दृश्य होता है। देश के अलग-अलग राज्यों में विधिवत तरीकों से भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक करते हैं। भगवान शिव की आराधना के लिए लोग इस दिन उपवास रखते हैं।
वैसे तो हर महीने शिवरात्रि आती है परंतु फाल्गुन मास की शिवरात्रि विशेष होती है, जिसका सभी भक्तजनों को काफी समय से इंतजार रहता है।
देश के कई शिव मंदिरों में जैसे मध्य प्रदेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए यह भव्य धार्मिक स्थलों में एक माना जाता है। इसलिए दूर-दूर से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए लोग इस मंदिर में आते हैं।
इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर में भी श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने, भक्ति करने एवं उनका आशीर्वाद पाने हेतु महाशिवरात्रि के पर्व पर आते हैं।
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महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर सुबह से ही मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए उपस्थित रहते हैं। भक्तजनों द्वारा शिवलिंग में दूध, बेर, पुष्प, गंगाजल इत्यादि भगवान को अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन भगवान शिव को भांग भी चढ़ाया जाता है।
माना जाता है महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा करने से भगवान श्रद्धालुओं से प्रसन्न होते हैं, एवं सच्चे दिल से की गई उनकी प्रार्थना जरूर स्वीकार करते है।
इस दिन कई स्थानों पर भगवान शिव के वाहन नंदी की भी पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले हिंदुओं द्वारा श्रद्धा भाव से मनाया जाता हैं।
पड़ोसी देश नेपाल में भी भक्तजनों को भोलेनाथ के इस पर्व का उन्हें भी बेसब्री से इंतजार रहता है। नेपाल में महाशिवरात्रि से पहले ही मंदिरों कि मंडप की तरह सजावट होती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था। इसलिए भक्तजनों द्वारा मां पार्वती और भगवान शिव को दूल्हा दुल्हन बनाकर घुमाया जाता है, तथा महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह किया जाता है।
महाशिवरात्रि के पर्व की रौनक हर जगह हमें देखने को मिलती है, कई स्थानों पर इस दिन में मेले का भी आयोजन होता है, और बड़ी संख्या में बच्चे, युवा,बुजुर्ग मेला देखने जाते हैं।
अतः भगवान शिव के सभी भक्तजनों के लिए भक्ति में लीन होकर आनंद पाने का यह विशेष अवसर होता है।
» शिवरात्रि के दिन बस शिवलिंग को अपनी हथेलियों से रगड़ें, फिर देखे रहस्मय चमत्कार
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है इसका कारण बताइए?
भारतवर्ष में धूमधाम से मनाए जाने वाले इस त्योहार को मनाने के पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन इस ब्रह्मांड में पहली बार शिव जी प्रकट हुए थे। और इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन की रात भी कहा जाता है।
मान्यता है कि शिव जी का प्राकट्य शिवलिंग एक अग्नि के शिवलिंग के रूप में प्रकट हुआ था। इस शिवलिंग का ना तो कोई आदी था और ना ही अंत। माना जाता है कि देवतागण भी इस शिवलिंग के बारे में जान न सके।
इसलिए शिवलिंग का पता करने के लिए स्वयं ब्रह्मा जी (स्वयंभू) ने हंस का रूप लिया और शिवलिंग के बारे में जानने के लिए उन्होंने शिव लिंग के ऊपरी भाग को देखने की कोशिश की लेकिन वे इस कार्य में असफल रहे।
भगवान विष्णु ने भी रूप में परिवर्तन कर एक वराह का रूप ले लिया। यह अवतार भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से तीसरा अवतार है। और इस अवतार में वे शिवलिंग के आधार को खोजने लगे परंतु उन्हें भी नहीं मिला।
एक अन्य पौराणिक मान्यता यह है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग 64 स्थानों में प्रकट हुए। और आज तक सिर्फ 12 स्थानों के बारे में जानकारी मिली। इन स्थानों को हम ज्योतिर्लिंग कहते हैं।
इसके साथ ही अनेक शिवभक्त महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के समय जागरण करते हैं। तथा इस दिन को शिवजी के विवाह के पर्व के रूप में भी मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर्व के दिन ही भगवान शिव के साथ मां पार्वती का विवाह हुआ और तब से शिव जी ने वैरागी जीवन का त्याग दिया।
महाशिवरात्रि से जुड़ी एक और प्रचलित कथा है कि जब भगवान शिव ने विषपान कर संसार को नष्ट होने से बचाया था। आपने यह कथा शायद जरूर बचपन में किताबों में या टीवी में जरूर सुनी होगी।
नीलकंठ महादेव की कहानी
दरअसल समुद्र मंथन के समय देवता गण और राक्षस के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था। अमृत पीने की होड़ में राक्षस बेताब थे। परंतु सागर मंथन से अमृत निकले उससे पूर्व सागर के अंदर कालकूट नामक विष निकला और इस विष का प्रभाव इतना शक्तिशाली था कि पूरे ब्रह्मांड को मिटा सकता था और इस विश्व संकट को देखते हुए भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रक्षा हेतु इस भयंकर विष को अपने गले में रख दिया।
विष के प्रभाव से भगवान शिव का गला नीला हो गया। इसलिए हम भगवान शिव को नीलकंठ भी कहते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत की पूजन विधि
महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ के मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ होती है, इसलिए कई लोग भगवान शिव की आराधना घर पर ही विधिवत करते हैं। आइए जानते हैं किस तरीके से विधिवत घर पर महाशिवरात्रि व्रत पूजन करते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन प्रातः उठकर स्नान करें उसके पश्चात भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
- पूजन की तैयारी हेतु शुद्ध आसन ग्रहण करे जल से।
- आचमन करें तथा धूप एवं दीपक को प्रज्वलित कर पूजन की विधि शुरू करें।
- भगवान शिव के समक्ष स्वस्ति पाठ करें।
महाशिवरात्रि पूजा विधि मंत्र
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
- साथ ही भगवान से प्रार्थना करें हे भोलेनाथ पूजन में हमसे कुछ गलती हो जाए तो नादान समझ कर माफ करें।
- इससे पहले कि आप पूजन का संकल्प लें शिव परिवार का पूजन करना आवश्यक हो जाता है, अतः भगवान श्री गणेश एवं मां पार्वती का नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय और सर्प का संक्षिप्त पूजन करें।
- अब हाथ में बिल्वपत्र और चावल लेकर भगवान शिव को अर्पित करें। बिल्वपत्र को अर्पित करने से पूर्व उन पर ॐ नमः शिवाय लिखें। 5, 11 या 21 बिल्वपत्र भगवान शिव को अर्पित करने के पश्चात उन्हें आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घीद्य-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं।
- तत्पश्चात भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) का स्नान कराएं। फिर इत्र और इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- अब भगवान को वस्त्र अर्पित करें तथा उन्हें जनेऊ चढ़ाएं। उसके बाद इत्र, अक्षत, फूल माला, बिल्वपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं।
- फिर भगवान को फल एवं दक्षिणा अर्पित करें। अब एक प्लेट में आरती का सामान रख कर दीया व धूप के साथ कपूर प्रज्ज्वलित कर भोलेनाथ की आरती (जय शिव ओंकारा…) करें।
OM Jai Shiv Omkara Lyrics in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे स्वामी पञ्चानन राजे हंसासन गरूड़ासन हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॐ जय शिव ओंकारा दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज ते सोहे स्वामी दसभुज ते सोहे तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे ॐ जय शिव ओंकारा अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी स्वामी मुण्डमाला धारी चन्दन मृगमद चंदा चन्दन मृगमद चंदा भोले शुभ कारी ॐ जय शिव ओंकारा श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे स्वामी बाघाम्बर अंगे ब्रह्मादिक संतादिक ब्रह्मादिक संतादिक भूतादिक संगे ॐ जय शिव ओंकारा कर मध्ये च’कमण्ड चक्र त्रिशूलधरता स्वामी चक्र त्रिशूलधरता www.hinditracks.in जग कर्ता जग हरता जग कर्ता जग हरता जगपालन करता ॐ जय शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका प्रनाबाच्क्षर के मध्ये प्रनाबाच्क्षर के मध्ये ये तीनों एका ॐ जय शिव ओंकारा त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ जन गावे स्वामी जो कोइ जन गावे कहत शिवानन्द स्वामी कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे ॐ जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा
- इस प्रकार पूजन समाप्त होने के बाद भगवान से फिर से प्रार्थना करें एवं इस क्षमा याचना मंत्र को जपें।
आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजां स्व न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:’
अर्थात: “हे प्रभु मैं ज्यादा तो कुछ नहीं जानता लेकिन मैंने अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार अधिक किया है, इसलिए हे प्रभु आप मेरी पूजा स्वीकार कीजिए और मुझ पर अपना दया दृष्टि एवं आशीर्वाद बनाए रखें।
- उसके बाद भगवान शिव को अक्षत एवं फूल चढ़ाएं। इस प्रकार महाशिवरात्रि पर पूजन करने से भोलेनाथ आपकी मनोकामना पूरी करेंगे।
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– Mahashivratri Essay in Hindi