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सिंधु घाटी सभ्यता - हड़प्पा, भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से एक

सिंधु घाटी सभ्यता – भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से एक !

सिन्धु घाटी सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी गयी है| यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है.

सिन्धु घाटी की सभ्यता का जन्म सिन्धु नदी के किनारे हुआ था|

मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, धोलावीरा, राखीगढ़ी, लोथल और हड़प्पा इस सभ्यता के प्रमुख केंद्र थे| यह एक अत्यंत विकसित सभ्यता थी.

ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है की यह सभ्यता विकसित थी इसके शहर कई बार उजड़े और बसे है| इस सभ्यता का जन्म ताम्र पाषाण काल में हुआ था.

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हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल – सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

सर्वप्रथम आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हडप्पा नामक जगह में इस सभ्यता के बारे में इस सभ्यता के अधिकतर केंद्र स्थल पकिस्तान के पंजाब में पाए गये है| इसके बाद इसका विस्तार दक्षिण और पूर्व की दिशा में भी हुआ और इसी तरह धीरे-धीरे इस सभ्यता के अंतर्ग्रत पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गुजरात, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाग भी शामिल हो गये.

उत्तर पूर्व में इसका इलाका मेरठ तक था| अब तक भारतीय महाद्वीपों में हडप्पा सभ्यता के हजार स्थलों के बारे में पता चल चूका है| इनमे से आधे दर्जन नगरो को नगर की संज्ञा दी जा सकती है|

इनमे से दो नगर तो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है| पंजाब का हडप्पा और मोहनजोदड़ो|

ये दोनों ही स्थल पकिस्तान में है| ये दोनों एक दुसरे से काफी दूर है लेकिन सिन्धु नदी के साथ जुड़े हुए है| इन सभी स्थलों पर हडप्पा सभ्यता या फिर सिन्धु घाटी की सभ्यता की संस्कृति पायी जाती है|

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इन सभी स्थलों की खुदाई के बाद यहा से इस सभ्यता के अवशेष पाए गये है| सिन्धु सभ्यता वाकई में भुत बड़ी सभ्यता थी| इसके बारे में भी इतिहास कारो के बहूत मत है लेकिन यह सभ्यता विकसित और बहूत विशाल सभ्यता पाई गयी है.

सिंधु घाटी सभ्यता के नगर योजना का वर्णन

इस नगर की नगर निर्माण योजना की बहूत महत्ता है| हडप्पा और मोहन जोदड़ो दोनों ही नगरो के अपने अपने दुर्ग थे जहा पर शाषक वर्ग के परिवार रहा करते थे.

हर एक नगर में दुर्ग के बहार अलग-अलग निम्न स्तर के शहर थे जहा ईटो से बने मकान भी थे और समान्य तरह के लोग इन मकानों में रहते थे.

इन नगरो की एक विशेष बात यह थी की इन नगरो में सडके एक दुसरे को समकोण रूप से काटती थी| यह बात सभी सिन्धु बस्तियों की थी अब चाहे वह छोटी हो या फिर बड़ी|

हडप्पा और मोहन जोदड़ो के भवन बड़े थे वहा स्मारक भी थे और वहा के स्मारक इस बात के प्रमाण थे की वह के शाषक मजदूर जुटाने और कर संग्रह में पूर्णरूपेण कुशल थे.

इटो की बड़ी बड़ी इमारते थी इस सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध स्थल मोहन जोदड़ो था| इसमें विशाल सार्वजनिक स्नानागार थे, सीढिया भी थी, उपर जाने के लिए स्नानागार का फर्श पक्की ईटों का बना था, पास के कमरे में एक बड़ा सा कुआ था जिससे पानी लिया जाता था और घर से पानी निकालने के लिए नालिया भी बनी हुई थी|

हर घर में खुला फर्श भी था तथा इनमे दो कतारों में चबूतरे भी बने थे| फर्श की दरारों में गेहूं और जौ के दाने भी मिले हुए थे जो की दर्शाते है की यहा फसल की दवनी होती होगी|

मजदूरों के लिए कमरों वाले वर्क भी मिले थे| इस सभ्यता की नगर योजना बहुत ही विशाल थी जो की दर्शाती है की इस नगर के लोग कितने समझदार और प्रतिष्ठित थे.

सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य विशेषताएं (कृषि और खेती बाड़ी)

अब के मुकाबले उस समय सिंध प्रदेश बहूत ही अधिक उपजाऊ था| पुराकाल में वनस्पती भी बहुत अधिक थी और वर्षा भी बहुत अच्छी होती थी| यहा के वन से लकड़ी बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई गयी जिसकी वजह से धीरे धीरे वनों का आकार कम होता चला गया.

इस जगह की उर्वरता का एक कारण सिन्धु नदी से आने वाली बाढ़ भी थी|

गाव की रक्षा के लिए पक्की ईंट की दीवारे भी बनी थी| यहा हर साल बाढ़ आती थी तो बाढ़ से उतर जाने के बाद लोग बाढ़ आये हुए मैदानों में बीज बो देते थे तथा हल के द्वारा जोते जाते थे.

सिंधु घाटी सभ्यता की जगह पर आज भी गेहूं, जौ, राई, मटर आदि अनाज पैदा करते थे| इन सब के अलावा तिल और सरसों भी उपजाते थे| सबसे पहले कपास भी यही पैदा हुई थी तथा यूनान के लोग इसे सिंडॉन कहने लगे.

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था ?

यहा के लोग आपस में पत्थर, धातु शल्क आदि का व्यापार किया करते थे|

हडप्पा सभ्यता के लोग अफगानिस्तान से व्यापार करते थे वहा इन्होने वाणिज्य उपनिवेश स्थापित किया था जिससे की उन लोगो को व्यापार में बहुत सहूलियत होती थी और बहुत सारी हडपाई सिल मेसोपोटामिया भी मिली है जिससे पता चलता है की मेसोपोटामिया के भी व्यापार के सम्बन्ध थे.

हडप्पा से मेसोपोटामिया के अभिलेखों में मेलुआ के साथ व्यापार के प्रमाण मिले है| इन सब बातो से पता चलता है की हडप्पा सभ्यता के व्यापार भी बहुत दूर दूर से होते थे.

सिंधु घाटी सभ्यता का धर्म – History Of Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi

हड़प्पा में पक्की मिटटी की बहुत सी मुर्तिया मिली है| एक मूर्ति के गर्भ से तो पौधा भी निकलता हुआ दिखाया गया है जिसे देखकर लगता है की यह पृथ्वी देवी की प्रतिमा होगी|

इसका संबंध पोधो की वृद्धि से है| यहा के लोग इसकी पूजा इसी तरह करते थे जैसे की मिस्र के लोग मिस्र की देवी की पूजा करते थे| यहाँ पर एक सील पर पुरुष देवता का चित्र भी मिला है|हड़प्पा में लिंग पूजा का भी प्रचलन था यहां पर कई जगह पर पत्थर से बने हुए लिंग थे.


आज के इस लेख में मेने आप सबको हड़प्पा और सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में बताया है| यह बहुत विशाल सभ्यता मानी गयी है और इस सभ्यता के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए.

वैसे तो इतिहास में इसके बारे में बहुत कुछ लिखा है लेकिन जानकारी के लिए जो इसमें महत्वपूर्ण तत्य थे वो सभी मेने आपको यहा दिए है.

आप इसे पूरा जनरल नॉलेज की तरह भी पढ़ सकते है क्यूंकि मैंने यहां पर हैडिंग के साथ जानकारी दी है| अगर आपको सिंधु घाटी सभ्यता का लेख पसंद आये तो इसे शेयर जरूर करे और कमेंट करके अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें.

सामान्य ज्ञान ⇓

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4 Comments

  1. हडप्पा संस्कृति का यह पोस्ट Students के लिए बहुत helpful साबित होगा । मैं एक स्टूडेंट हूं और यह पोस्ट पढने के बाद थोडी जलन होने लगी की आप Bsc से संबंधित पोस्ट क्यों नही डालते । Keep posting sir

  2. Wow Amazing Article. Thanks for sharing us this knowledge. Your Article is really helpful for me. Thank you so much

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