दीपावली की कविताएँ
शीर्षक: “Poem on Diwali in Hindi” – अर्थात ‘दीपावली पर्व पर हिंदी कविताएँ’।
जी हाँ दोस्तों, आज मै आपके साथ दिवाली पर कविता शेयर करने जा रहा हूँ। जिनको आप अपने प्रिय सम्बन्धी के साथ शेयर कर सको|
दिवाली का त्यौहार रौशनी का प्रतीक है| इस दिन प्रभु राम (भगवान राम), माता सीता और भ्राता लक्ष्मण जी के साथ रावण का वध करके अयोध्या वापिस लोटे थे.
उनके अयोध्या वापिस लोटने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों ने उनका दीयों से स्वागत किया था तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है.
दीपावली पर्व के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप दीपावली पर निबंध और महत्व वाला लेख पढ़ सकते हो|
आज इस लेख में मै आप सभी के साथ दीपावली पर छोटी हिन्दी कविताएँ शेयर करूंगा| परंतु अगर आप इसके विपिरिक्त दिवाली शायरी, दिवाली कोट्स अथवा दिवाली विशेस डाउनलोड करना चाहते हो तो आप नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करे.
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तो आईये दोस्तों, अपने इस लेख को आगे बढ़ाते है और अपनी Best Poem on Diwali in Hindi Language में पढ़ना शुरू करते है|
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Poem on Diwali in Hindi
मेरी पहली दिवाली पर बाल कविता का शीर्षक है| “मन से मन का दीप जलाओ”|
तो चलिए शुरू करते है हमारी पहली दिवाली हिंदी कविता को|
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दिवाली पर कविताएं
छोड़-छाड़ कर दवेष-भाव को,
मीत प्रीत की रीत निभाओ,
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…
क्या है तेरा क्या है मेरा,
जीवन चार दिन का फेरा,
दूर कर सको तो कर डालो,
मन का गहन अँधेरा,
निंदा नफरत बुरी आदतों,
से छुटकारा पाओ…
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…
खूब मिठाई खाओ छक कर,
लड्डू, बर्फी, चमचम, गुझिया…
पर पर्यावरण का रखना ध्यान,
बम कहीं न फोड़ें कान…
वायु प्रदुषण, धुएं से बचना,
रौशनी से घर द्ववार को भरना…
दिवाली के शुभअवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…
चंदा सूरज से दो दीपक,
तन मन से उजियारा कर दें…
हर उपवन से फूल तुम्हारे
जब तक जियो शान से,
हर सुख, हर खुशहाली पाओ,
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…
Poem on Diwali in Hindi For Class 1, 2, 3, 6
मेरी दूसरी Diwali Poem का शीर्षक है| “दीपों का त्यौहार”| तो चलिए शुरू करते है|
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मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार,
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार,
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार,
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार…
मुझको जो भी मिलना हो, वह तुमको ही मले दोलत,
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत,
सदा मिलती रहे शोहरत, रोशन नाम तेरा हो
कामो का ना तो शाया हो निशा में न अँधेरा हो…
दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक, अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है, उसे हम दूर कर देंगे
मिटा कर के अंधेरों को, दिलो में प्रेम भर देंगे…
मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा ये वतन होगा
धरा अपनी, गगन अपना, जो बासी वो भी अपने हैं
हकीकत में वे बदलेंगे, दिलों में जो भी सपने हैं…
Short Poem on Diwali Festival in Hindi Language
हमारी तीसरी Diwali Hindi Poem का शीर्षक है| “आई दिवाली ख़ुशी मनाएंगे”
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे,
मिलजुल यह त्यौहार मनायेंगे..
चोदह साल काटा वनवास,
राम जी आये भक्तों के पास,
खुशियों के दीप जलायेंगे,
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…
दिल से सारे वैर भूला कर,
इक-दूजे को गले लगाकर,
सब शिकवे दूर भगायेंगे,
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…
चल रहे है बम्ब-पटाखे,
शोर मचाते धूम-धड़ाके,
संग सब के ख़ुशी मनायेंगे.
आई दिवाली ख़ुशी मनायेंगे…
Popular Poem on Diwali in Hindi Font
हमारी चौथी दीपावली हिंदी कविता का शीर्षक है| “झिलमिल करते दीपक न्यारे”
आसमान से उतरे तारे,
झिलमिल करते दीपक न्यारे!
हँसी ख़ुशी का मौसम आया,
संग कई सौगातें लाया,
सबने अपने ही हाथों से,
घर आँगन को खूब सजाया…
वंदनवार सजे हर द्वारे,
झिलमिल करते दीपक न्यारे.
दीपों की सजी है बारात,
तिमिर भूला अपनी औकात…
सप्तरंग की लड़ियाँ सजती,
घूम धड़ाके आज की रात..
ऊँच – नीच की मिटें मीनारें,
झिलमिल करते दीपक न्यारे..
खिल खिल करके हँसते अनार,
फिरकी हरदम खड़ी तैयार,
फुलझड़ी की आभा न्यारी,
चहूँ तरह फैला अंगार…
हँसी ख़ुशी को बाटें सारे,
झिलमिल करते दीपक न्यारे!
Hindi Poetry on Diwali 2020
इस साल दिवाली कुछ इस तरह मनाना दोस्तों
नफरत को भुलाकर दीप खुशियों के जलाना दोस्तों
न रह जाये कोई गम न कोई शिकायत
दीप की दीवारों पर खुशियों के रंग लगाना दोस्तों..
धनतेरस पर बहुत लिया घर का सामान
इस साल किसी गरीब का घर सजाना दोस्तों..
भाई बहन के प्यार का भी है ये त्यौहार
भाई दोज पर रूठी बहन को मनाना दोस्तों..
दूर कर देना अंधेरों को मिटा देना अहंकार को
दीपक की तरह जगमगाना दोस्तों..
कुछ इस तरह दिलो को जोड़ना दिलो से
सिर्फ अपनों को नहीं परायों को भी अपना बनाना दोस्तों…
इस साल दिवाली कुछ इस तरह मनाना दोस्तों…
Short Poem on Deepawali in Hindi
अंधेरे बहुत है मेंरी जिंदगी मैं,
तारे दिल मैं कोई जोत जलना चाहते है,
क्या करूंगा जलाकर दिये,
जब तेरे इश्क से दिल रोशन कर लिया है,
तेरे साथ हर दिन दीपावली सा लगता है,
बिन तेरे ये भी खाली सा लगता हैं
लो दीपावली भी आ गयी पर खुशिया कहा है,
कुछ है भी या कुछ भी नही है,
पर हां बाहार शोर बहुत है,
एक दीप तेरे नाम का हमेशा जलता रहेगा,
ये मेरी दीपावली कभी खत्म नही होगी
दिल जलाओ या दिए आखो के दरवाजे पर,
वक्त से पहले तो आते नही आने वाले
कल रोशन की बरसात थी,
आज फिर अँधेरी रात,
बुझते हुए दियो ने हमको भी बुझा दिया
दिल में जला के रखा है तेरी यादो का दिया,
तुम सब आज दीपावली मनाओ,
हम हर रोज दीपावली मनाते है
झिलमिलाते दियो की रौशनी से सजी महफिल बड़ा सताती है,
उसके साथ मनाए वो दीपावली मुझे
बहुत याद आती है…!
दीपावली पर हास्य कविता
बचपन में दीपावली मनाने के लिए दोस्तों का जमावड़ा लग जाता था, खूब मस्ती की जाती थी पर आज समय बदल चुका है। आज हम इंटरनेट के माध्यम से दूर बैठे अपने दोस्तों रिश्तेदारों और खास लोगों को दीपावली की शायरियां, कोट्स तथा कविताएं साझा करके इस पर्व कि उन्हें अग्रिम बधाइयां देते हैं। यहां पेश है दीपावली पर्व पर रचित कवियों की कविताओं के कुछ शानदार अंश, मन को भा जाने पर इन कविताओं को आप फेसबुक एवं व्हाट्सएप पर शेयर कर सकते हैं।
उजियारा कर देने वाली
मुस्कानों से भी परिचित हूं,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है।
-हरिवंशराय बच्चन
दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है
दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है
जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद
जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है
-शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
-गोपालदास “नीरज”
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
-अटल बिहारी वाजपेयी
जलती बाती मुक्त कहाती
दाह बना कब किसको बंधन
रात अभी आधी बाकी है
मत बुझना मेरे दीपक मन
-रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’
Diwali Kavita in Hindi For Kids
हिंदी कवियों की हिंदी कविताए हमारी संस्कृति की पहचान है। इसलिए विभिन्न सामाजिक मुद्दों, समारोह या फिर किसी विशेष पर्व पर लिखी गई कविताएं हमें सुनने को मिलती हैं। अब क्योंकि दीपावली का पर्व नजदीक है तो ऐसे में दीपावली के इस पर्व कि हर तरफ खुशियां बिखेरने के लिए सुनते है दीपावली की कविताओं को। अतः प्रस्तुत है दीपावली के पर्व पर रचित कुछ बेहतरीन कविताएं।
कहा उस ने आओ प्रिये दीवाली मनाएं अपने संग होने की खुशियों में समायें आओ प्रिये दीवाली मनाएं हाथ पकड़ दिए के पास लाई जलाने को जो उसने लौ उठाई तभी देखा दूर एक घर अंधेरों में डूबा था बम के धमाके से ये भी तो थरराया था आँगन में उनके करुण क्रन्दन का साया था पड़ोस डूबा हो जब अन्धकार में तो घर हम अपना कैसे सजाएँ तुम ही कहो प्रिये दीवाली हम कैसे मनाएं? कर के हिम्मत उसने एक फुलझडी थमाई लाल बत्ती पे गाड़ी पोछते उस मासूम की पथराई ऑंखें याद आई याचना के बदले मिला तिरस्कार पैसों के बदले दुत्कार घर में जब गर्मी न हो वो पटाखे कैसे जलाये जब है खाली उसके हाथ हम फुल्झडियां कैसे छुडाएं ? तुम ही कहो प्रिये दीवाली हम कैसे मनाएं ? जब खाया नही तो दूध कहांसे आए छाती से चिपकाये बच्चे को सोच रही थी भूखी माँ मिठाइयों की महक से हो रही थी और भूखी माँ खाली हो जब पेट अपनों के कोई तब जेवना कैसे जेवे अब तुम ही कहो प्रिये दिवाली हम कैसे मनाएं? भरी आँखों से देखा उसने फ़िर लिए कुछ दिए ,पटाखे मिठाइयां संग ले मुझको झोपडियों की बस्ती में गई हमारी आहट से ही नयन दीप जल उठे पपडी पड़े होठ मुस्काए सिकुड़ती आंतों को आस बन्धी अंधियारों में डूबा बच्पन आशा की किरण से दमक उठा अमावस की काली रात में जब प्रसन्नता की दामिनी चमक उठी तो अब आओ प्रिये दीवाली हम खुशी से मनाये सुनो न दीवाली हम सदा एसे मनाएं --रचना श्रीवास्तव
Diwali Poems in Hindi
दीपावली पर्व की रंगत हर कहीं देखने को मिलते है। फिर चाहे शहर हो, गांव हो, किसी अमीर के घर हो, गरीब के घर हो सब अपने-अपने अंदाज में इस पर्व को धूमधाम से मनाने की कोशिश करते हैं। विशेषकर बच्चों के लिए तो यह त्यौहार खुशियों का पिटारा होता है जिसमें उन्हें खूब मजा आता है। तो सी आर राजश्री जी द्वारा अपनी कविता के माध्यम से दीपावली पर्व आने से दिल को मिलने वाली खुशी को शब्दों में बयां करने की कोशिश की है।
दिवाली देखो कैसी रौनक लायी दीपो की छठा देखो फ़िर निखर आई वैर भाव भूल कर समानता का पैगाम लायी आतिशबाजी मिठाई के संग खुशियों की सौगात लायी बच्चों की आँखों देखो कैसे खिल गई जवानों की हर अरमान पूरी हो गई बड़े बूढों की जैसे जिंदगी सफल हो गई दिवाली के इंतजार की वेला ख़त्म हो गई दीपो की पंक्ति धारा को शोभित करती हैं तारें जैसे नभ को सुशोभित करती हैं ये रंगीला पर्व कितनी सुंदर लगती है उत्साह की ये घड़ी मन में तरोताजा रहती है दिलों दिमाग में हमेशा छाई रहती है सुसज्जित वातावरण काफी आकर्षक लगती है दिवाली बहुत सुहावनी लगती है दिवाली कैसी मनोरम लगती है दिवाली बड़ी लुभावनी लगती है दिवाली कितनी खूबसूरत लगती है --सी.आर राजश्री
Diwali Hindi Kavita
अब हम आपके साथ दीपावली पर्व पर रचित एक ऐसी कविता साझा कर रहे है जो आधुनिक भारत की सच्चाई को बयां करती है। सदियों पूर्व दिवाली मनाने का अंदाज और आज में काफी अंतर आ चुका है। महेश कुमार वर्मा जी द्वारा रचित यह कविता आपको वर्तमान की दीपावली से परिचित करवाती है।
होती थी यह वर्षों पहले जब दिवाली में जलते थे दिये पर अब चाहे हो जैसे दिवाली में जलते हैं पैसे छोड़ते हैं बम-पटाखे और छोड़ते हैं रॉकेट फैलाते है प्रदुषण बढ़ाते हैं बीमारी चाहे हो जैसे पर दिवाली में जलते हैं पैसे दिवाली मैं दिये अब जलते नहीं दिये के स्थान पर है अब मोमबत्ती मोमबत्ती का स्थान भी ले लिया अब बिजली बिना बिजली के नहीं होता अब दिवाली पर आपस में ख़ुशी बाँटने के जगह खेलकर जुआ करते हैं पैसे की बर्बादी चाहे हो जैसे पर दिवाली में जलते हैं पैसे दिवाली में जलते हैं पैसे --महेश कुमार वर्मा
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मुझे उम्मीद है की यहाँ पर जितने भी Poem on Diwali in Hindi Font में है आपको अत्यंत पसंद आई होगी.
कविता पसंद आने पर इस लेख को अपने सभी चाहने वालो के साथ फेसबुक, ट्विटर, गूगल+ अथवा व्हाट्सएप्प पर शेयर जरुर करें और कमेंट के माध्यम से सभी को दीपावली की शुभकामनाएं दे. 🙂
बहुत सुन्दर कविता है.
हिमांशु जी क्या मैं एक कविता आप को पोस्ट कर सकता हूँ?
nice kavita
*जग-मग सबकी मने दिवाली*
…आनन्द विश्वास
जग-मग सबकी मने दिवाली,
खुशी उछालें भर-भर थाली।
खील खिलौने और बताशे,
खूब बजाएं बाजे ताशे।
ज्योति-पर्व है,ज्योति जलाएं,
मन के तम को दूर भगाएं।
दीप जलाएं सबके घर पर,
जो नम आँखें उनके घर पर।
हर मन में जब दीप जलेगा,
तभी दिवाली पर्व मनेगा।
खुशियाँ सबको घर-घर बाँटें,
तिमिर कुहासा मन का छाँटें।
धूम धड़ाका खुशी मनाएं,
सभी जगह पर दीप जलाएं।
ऐसा कोई कोना हो ना,
जिसमें जलता दीप दिखे ना।
देखो, ऊपर नभ में थाली,
चन्दा के घर मनी दिवाली।
देखो, ढ़ेरों दीप जले हैं,
नहीं पटाखे वहाँ चले हैं।
कैसी सुन्दर हवा वहाँ है,
बोलो कैसी हवा यहाँ है।
सुनो, पटाखे नहीं चलाएं,
धुआँ, धुन्ध से मुक्ति पाए।
…आनन्द विश्वास
HIMANSHU JI AAYE DEWALI KAVITA ME RECORAD KARNA CHAHATA HON AAP KA NAAM USMEY VIDEO DE DONGA KYA AAP KO KOOEE DIKKAT TO NAHI MERA YOU TUBE CHANEL HE MERA NO 932287xxxx
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अति सुन्दर कविता
bahut shaandar poems hain.. sir
4th wali zyada aachi hai
Thank You for your opinion.